Sunday, April 11, 2010

अकविता/ शब्दार्थ –3 गढ़ा किसने!!!!

aaशाश्वत है,

अनश्वर है

ब्रह्म है

शब्द

किसने गढ़ा उसे

जानता नहीं कोई।

ब्द में

अर्थ की स्थापना

अलबत्ता

मनुष्य ने की

और उसे भूल गया।

याद रहा

सिर्फ शब्द

और यह पूछना

इसे गढ़ा किसने!!!!

अकविता/ शब्दार्थ –1 अकविता/ शब्दार्थ –2

7 कमेंट्स:

दिनेशराय द्विवेदी said...

गंभीर है भाई! वजनदार भी।

सु-मन (Suman Kapoor) said...

शब्द...शब्द...शब्द बस शब्दों का सफर चलता रहता है............
अर्थ को तलाशती सुन्दर रचना

उम्मतें said...

अत्यंत अर्थपूर्ण ... शब्द के गढ़ने को लेकर मनुष्य ...अपनी उत्पत्ति के छोर पर पशुओं के साथ खड़े होने की कल्पना मात्र से विभ्रमित है शायद इसीलिए शब्द के अर्थ के प्रति अनभिज्ञ सा भी !

Randhir Singh Suman said...

nice

Mansoor ali Hashmi said...

यहाँ भी आपका लोहा मानना ही पड़ेगा.

प्रयोग करके शब्दों के ब्रह्मास्त्र चल दिये,
अर्थो का क़र्ज़ लाद के अब चल रहे है हम.

----और भी... प्रेरक को सलाम करते हुए....http://aatm-manthan.com पर.

Unknown said...

बेहतरीन!

संजय भास्‍कर said...

शब्द...शब्द...शब्द बस शब्दों का सफर चलता रहता है............
अर्थ को तलाशती सुन्दर रचना

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