पिछली कड़ी- तकिये की ताकत
अ ब आते हैं तकियाक़लाम पर । तकियाक़लाम एक ऐसा अनावश्यक शब्दयुग्म या पद होता है जिसे बोलने की आदत कई लोगों में होती है । इसका असर शुरुआत में नाटकीय किन्तु अक्सर चिढ़ पैदा करने वाला होता है, मगर बोलने वाले को इसका अहसास नहीं होता । मिसाल के तौर पर – “जो है सो”, “क्या बात है,” “माने की”, “आप जानो कि,” “क्या कहते हो, “आप तो जानते हो”, “नई यार”,“अब क्या बताएँ” आदि आदि । तकियाकलाम के आदी क़िरदार अक्सर समाज में मज़ाक का पात्र बनते हैं । अंग्रेजी में इसे कैचफ़्रेज़ catchphrase कहते हैं । तकियाक़लाम बना है फ़ारसी के तक्या और अरबी के क़लाम से मिल कर । इसका सही रूप भी तक्याकलाम ही होता है । तकियाकलाम के लिए उर्दू में सखुनतकिया शब्द भी है जो किसी ज़माने में हिन्दुस्तानी में भी प्रयुक्त होता था, अब कि हिन्दी में इसका चलन नहीं है । चाहे जो हो, ये “कलाम” का “तकिया” भी कमाल का होता है । देखते हैं इसकी जन्मपत्री ।
तकिया
तकिया की आमद हिन्दी में फ़ारसी से हुई है और इसका सही रूप है तक्या takya जो हिन्दी में दीर्घीकरण के चलते तकिया हो गया । तकिया शब्द हिन्दी में फ़ारसी से आया । तकिया शब्द में मुलायमियत, गद्देदार या नरमाई का लक्षण महत्वपूर्ण नहीं है । तकिया की रिश्तेदारी हिन्दी, उर्दू, फ़ारसी, अरबी भाषाओं में मौजूद कई अन्य शब्दों से भी जुडती है जैसे ताक़ यानी आला, आलम्ब, म्याल अथवा मेहराब । शक्ति के अर्थ में ताक़त भी इसी कड़ी में है । मुतक्का यानी आलम्ब या सहारा भी इसी क़तार में खड़ा नज़र आता है । तकिया ( फ़ारसी तक्या ) के मूल में भी ताक शब्द ही नज़र आता है जिसमें मेहराब, म्याल, आलम्ब, आधार का भाव है जिस पर छत टिकती है । अरबी में यह ताक़ है और फ़ारसी से ही गया है । इस पर पिछले आलेख में विस्तार से चर्चा हो चुकी है । स्पष्ट है कि सिर के नीचे इस्तेमाल होने वाले जिस तकिया से हम सबसे ज्यादा परिचित हैं उसमें मूल भाव सिर को सहारा देने का है । प्रकारान्तर से इसमें आराम का भाव भी जुड़ जाता है ।
क़लाम
अरबी का क़लाम शब्द भी हिन्दी में खूब बोला-समझा जाता है जिसमें मूलतः कही गई बात का आशय है जैसे वचन, कथन, उक्ति, वक्तव्य आदि । कलाम बना है सेमिटिक धात k-l-m से जिसमें कहने का भाव है । कलाम का अर्थ हिन्दी में आम तौर पर काव्यगत उक्ति या छंदबद्ध उक्ति से लगाया जाता है । किसी शायर की रचना से उठाई गई बात कलाम कही जाती है । जॉन प्लैट्स के कोश के मुताबिक कलाम में तर्क, बहस, दलील, विवेचना, विवाद जैसे भाव भी हैं,
मुम्बइया फिल्मों में तो हास्य पैदा करने के लिए ऐसे क़िरदार घड़े जाने की रिवायत आज तक चली आ रही है और साधारण सी फिल्में भी फूहड़ तकियाक़लाम बोलने वाले क़िरदारों की वजह से सुपरहिट हो गईं
इसका मूलार्थ है मुसलमान बनना । इस्लाम के प्रति धर्मनिष्ठ होना । इस्लाम की दीक्षा लेना । मगर हिन्दी में इसका प्रयोग किसी के प्रति खास अनुराग या निष्ठा दिखाने के आशय से भी होता है जैसे- “शर्माजी आजकल वर्माजी के नाम का कलमा पढ़ रहे हैं ।” मगर हिन्दी में इस आशय के प्रयोग कलाम के संदर्भ में कम देखने को मिलते हैं । कलाम की कतार में ही कलीम जिससे हिन्दी वाले व्यक्तिनाम के तौर पर परिचित हैं जैसे कलीमुल्ला, कलीमुद्दीन । कलीम का अर्थ होता है कहने वाला, वक्ता । इसी तरह कलमा शब्द भी है जिसका आशय वचन, उक्ति से ही है मगर इसका रूढ़ अर्थ है । अरबी में कलमा नहीं बल्कि कलीमा है । कलीमा से आशय मुख्यतः इस्लाम धर्म के प्रसिद्ध बोधवाक्य “ ला इलाहा इलिल्लाह” जिसमें “ईश्वर ही सर्वशक्तिमान है, दूसरा कोई नहीं” जैसी बात कही गई है । हिन्दी में कलमा पढ़ना या कलमा पढ़ाना प्रसिद्ध मुहावरे हैं भी है ।
तकियाकलाम
तकिया और कलाम दोनों पदों की अर्थवत्ता जानने के बाद तकियाकलाम पद का आशय साफ़ हो जाता है । ऐसा वाक्य या शब्द जिसका सहारा लिए बिना कोई (व्यक्ति) खुद को अभिव्यक्त ही न कर सके । यह शब्द या वाक्य निरर्थक होता है, मगर कहने वाला इसे बोलने का इतना आदी हो चुका होता है कि प्रत्येक संवाद के दौरान वह एक ख़ास क़लाम यानी शब्द या वाक्यांश का तकिया यानी सहारा लेता है । इसीलिए उस विशिष्ट शब्द या वाक्यांश को तकियाकलाम नाम मिल गया । मुम्बइया फिल्मों में तो हास्य पैदा करने के लिए ऐसे क़िरदार घड़े जाने की रिवायत आज तक चली आ रही है और साधारण सी फिल्में भी फूहड़ तकियाक़लाम बोलने वाले क़िरदारों की वजह से सुपरहिट हो गईं । -समाप्त
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