tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post1574965927920900877..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: अश्लील में ‘श्री’ की तलाशअजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-127629116270592372015-11-12T17:42:28.961+05:302015-11-12T17:42:28.961+05:30शरारत वाले शरीर से भी इस का कोई संबंध है या नहीं? ...शरारत वाले शरीर से भी इस का कोई संबंध है या नहीं? पर नजदीकी जरूर नजर आते हैं।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-3885007075560852632011-11-16T19:31:49.053+05:302011-11-16T19:31:49.053+05:30इसे भी श्री लगा दो, कुछ शर्म आ जावेगीइसे भी श्री लगा दो, कुछ शर्म आ जावेगीSANDEEP PANWARhttps://www.blogger.com/profile/06123246062111427832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-82916378776012585362011-11-14T18:33:17.988+05:302011-11-14T18:33:17.988+05:30यह तो रोचक ही नहीं, जोरदार भी है - 'अश्लील मे...यह तो रोचक ही नहीं, जोरदार भी है - 'अश्लील में भी श्री है।'<br /><br />पोस्ट पढकर याद आ रहा है कि 'अश्रीर' कहीं पढा था किन्तु कब और कहॉं - यह याद नहीं आ रहा।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-68526518281852662032011-11-13T20:50:26.928+05:302011-11-13T20:50:26.928+05:30अश्रीर से अश्लील यानि जो श्री से विहीन हो ऐसी भाषा...अश्रीर से अश्लील यानि जो श्री से विहीन हो ऐसी भाषा या कार्य । जानकारी पूर्ण लेख का आभार ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-3159147337991107532011-11-13T13:01:05.423+05:302011-11-13T13:01:05.423+05:30श्री और अश्रीर की सुंदर व्याख्या !
आभार!श्री और अश्रीर की सुंदर व्याख्या !<br />आभार!अशोक सलूजाhttps://www.blogger.com/profile/17024308581575034257noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-10804190440568250672011-11-13T11:50:14.978+05:302011-11-13T11:50:14.978+05:30अश्रीर टाइप कर रहे थे तो कीबोर्ड भी अश्लील का सुझा...अश्रीर टाइप कर रहे थे तो कीबोर्ड भी अश्लील का सुझाव दे रहा था, समाज में भी यही हुआ होगा।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-47641858258513242382011-11-13T11:42:13.759+05:302011-11-13T11:42:13.759+05:30'श्री' ही तो 'श्लील' है; हसीन है, ...'श्री' ही तो 'श्लील' है; हसीन है, जमील है,<br />है दुष्टता से पाक; सत्यता की ये दलील है.<br /><br />अनुशास्मकता शील है, धरम का संगे मील है, <br />श्री ज़मीं भी स्वर्ग और 'मुक्ति की सबील'* है. <br /><br />है दौर ये तो कलयुगी; 'श्री' न धूंद अब "श्री",<br />श्लील आचरण के लोग मिलते अब क़लील* है.<br /><br />* मुक्ति की सबील = नजाती का रास्ता <br />* क़लील = थोड़े <br /><br />परिभाषाएँ !<br />=======<br />न पकड़े जाए जब तलक गुनाह भी 'श्लील' है, <br />तुतलाते आदमी से 'रन' बुलवाना, अश्लील है! <br /><br />http://aatm-manthan.comMansoor ali Hashmihttps://www.blogger.com/profile/09018351936262646974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-61955515810520437032011-11-13T02:26:34.694+05:302011-11-13T02:26:34.694+05:30बिहार में तो मैंने पढ़ा है कि हिन्दी को लेकर लोगों...बिहार में तो मैंने पढ़ा है कि हिन्दी को लेकर लोगों में कोई अच्छी भावना ही नहीं थी। बंगाल के कुछ लोगों की मेहनत से बिहार में हिन्दी के प्रति राष्ट्रभाषा का माहौल बना और भाषायी चेतना बढ़ी।चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-87270511037015169832011-11-12T23:34:38.851+05:302011-11-12T23:34:38.851+05:30@चंदन कुमार मिश्र
समझ लीजिए कि ये दोनों ही समकाली...@चंदन कुमार मिश्र <br />समझ लीजिए कि ये दोनों ही समकालीन हैं। पौराणिक ग्रन्थों में इनका प्रयोग हुआ है।<br />मोनियर विलियम्स कोश के मुताबिक इन दोनों शब्दों का प्रयोग ब्राह्मण साहित्य अर्थात ऐतरेय ब्राह्मण, शाङ्खायन-ब्राह्मण आदि में मिलता है।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-89608841662582613292011-11-12T23:08:02.817+05:302011-11-12T23:08:02.817+05:30अश्लील यानी श्रीहीन। अश्लील हरकत यानी श्रीहीन हरकत...अश्लील यानी श्रीहीन। अश्लील हरकत यानी श्रीहीन हरकत। बिल्कुल सही।नीरज मुसाफ़िरhttps://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-48714865780842488722011-11-12T22:15:22.333+05:302011-11-12T22:15:22.333+05:30पुनः साधुवाद । अश्लील शब्द पर व्याप्त भ्रांतियों न...पुनः साधुवाद । अश्लील शब्द पर व्याप्त भ्रांतियों नें इसे अभद्रता की पराकाष्ठा का पर्याय बना दिया था । रूढियों के चलते इतना सफर अस्वाभाविक भी नहीं । जैसा कि आपके आलेख से ध्वनित होता है, देशज शैली में बोली जाने पर परिष्कृत भाषा भी अश्लील ही कही जायेगी । बिहार प्रांत यूँ तो हिन्दी को पल्लवित करने के लिये प्रख्यात रहा है परंतु न जाने क्यों भाषाई शुद्धता का आग्रह अब यहाँ कहीं दृष्टिगोचर नही होता । आचलिक दुराग्रह के कारण, भाषा ही नहीं क्षेत्र भी श्रीहीन प्रतीत होता है ।RDShttps://www.blogger.com/profile/14134695386879343906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-21266159040546032652011-11-12T21:49:36.726+05:302011-11-12T21:49:36.726+05:30चंदन भाई,
कब हुआ का महत्व नहीं है। र को ल बोलने व...चंदन भाई, <br />कब हुआ का महत्व नहीं है। र को ल बोलने वाले समाज ने इसका लकार के साथ उच्चार किया और यही रूढ़ हो गया।<br />लखनऊ कब नखलऊ हुआ जैसे इसका महत्व नहीं है, वही बात यहाँ है। ये दोनों शब्द साथ साथ चलते हैं। भाषायी बर्ताव का मामला है ये।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-17298381651628722482011-11-12T20:51:08.098+05:302011-11-12T20:51:08.098+05:30लेख श्लील या श्रीर रहा…वैसे अश्लील का पहला प्रयोग ...लेख श्लील या श्रीर रहा…वैसे अश्लील का पहला प्रयोग कब हुआ?चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.com