tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post2242340123562525213..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: गीता और गीत-संगीत की गाथाअजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-69726484603905861712008-07-26T21:52:00.000+05:302008-07-26T21:52:00.000+05:30अजितजी, इसमें कोई शक नहीं कि प्रकृति हो या जीवन .....अजितजी, इसमें कोई शक नहीं कि प्रकृति हो या जीवन ... नियम से ही चल कर गति पाते हैं...लेकिन बदलते समय में लेखन के नए नए रूप लुभाते हैं तो पुराने का मोह भी नहीं छूटता..Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-68699531963342369772008-07-24T05:30:00.000+05:302008-07-24T05:30:00.000+05:30Bahut dino bad aapke blog par aana hua aur itane s...Bahut dino bad aapke blog par aana hua aur itane sureele vishay ki jankari mili. Badhaee !Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-92048415492267224672008-07-22T12:28:00.000+05:302008-07-22T12:28:00.000+05:30यहाँ आओ और कुछ नया न पढने को सीखने को न मिले ऐसा ह...यहाँ आओ और कुछ नया न पढने को सीखने को न मिले ऐसा हो ही नही सकता ..कई चीजे हम जानते हैं पर वक्त के साथ साथ भूलते जाते हैं ..यह लेख बहुत ही सर्तःक लगा इस दिशा में ...शुक्रिया अजित जीरंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-23060083482275120602008-07-22T10:41:00.000+05:302008-07-22T10:41:00.000+05:30गीत- संगीत की जानकारी बहुत रोचक और ज्ञानवर्धक थी.श...गीत- संगीत की जानकारी बहुत रोचक और ज्ञानवर्धक थी.शुक्रिया,दादा.Unknownhttps://www.blogger.com/profile/01634947543138803817noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-37385765507326606712008-07-21T23:39:00.000+05:302008-07-21T23:39:00.000+05:30लाजवाब लिखा है आपने, एक ऐसा विषय छेड़ा है, जिस पर द...लाजवाब लिखा है आपने, एक ऐसा विषय छेड़ा है, जिस पर दिग्गज भी लिखते कतराते हैं ! मेरे विचार में जिसे भी लिखने का नया शौक पैदा हो वह छन्दमुक्त कविता से बेझिझक शुरू कर सकता है, और "बुद्धिजीवी" वर्ग तालियाँ बजायेगा ही !मगर इस कविता लेखन में बहुत बड़े बड़े नाम शामिल है, आपने हिम्मत की इस अछूते विषय पर लिखने की ! आशा करता हूँ कि कुछ मशहूर नाम आगे आकर इस विषय पर नयी दिशा व् मान्यताएं देने कि कृपा करेंगे ! हिन्दी आपका आभार मानेगी अजित जी !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-85031893914394524852008-07-21T21:57:00.000+05:302008-07-21T21:57:00.000+05:30आपकी पोस्टों से भी अधिक अच्छी इस पोस्ट की भूमिक...आपकी पोस्टों से भी अधिक अच्छी इस पोस्ट की भूमिका लगी। आपसे विनम्र निवेदन है कि बीच-बीच में ऐसी भूमिकाएं लिखते रहें, इससे साहित्य और ब्लॉगजगत दोनों का भला होगा।<BR/><BR/>छंद के संबंध में आपके विचारों से सहमति है। <BR/><BR/>मुक्त छंद और छंदमुक्त में अंतर किया जाना चाहिये। मुक्त छंद में लय के रूप में छंद का बंधन रहता है। मुक्त छंद की कविता का कथ्य सबसे अधिक असरदार रहता है। लय की मौजूदगी के कारण यह कविता लंबे समय तक पाठक की स्मृति में भी रहती है। महाकवि निराला अथवा केदारनाथ अग्रवाल की मुक्त छंद की कविताएं बेहतरीन उदाहरण हैं।<BR/>छंदमुक्त कविता में छंद का बंधन बिल्कुल नहीं रहता और इसी कारण यह कभी-कभी कविता लगती ही नहीं।Ashok Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/14682867703262882429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-27584479668175601792008-07-21T13:21:00.000+05:302008-07-21T13:21:00.000+05:30हमे भी हाजिरी डाल दे सरकारहमे भी हाजिरी डाल दे सरकारडॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-22247754850284401842008-07-21T12:30:00.000+05:302008-07-21T12:30:00.000+05:30सिद्धार्थ भाई , आपने सही याद दिलाया। दरअसल यह पूरी...सिद्धार्थ भाई , <BR/>आपने सही याद दिलाया। दरअसल यह पूरी पोस्ट पब्लिश करने से पहले उड़ गई। सेव भी नहीं हो पाई। दोबारा स्मृति के आधार पर लिखी। उसी वजह से चूक रह गई। शुक्रिया आपका ।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-54065649664154310322008-07-21T11:04:00.000+05:302008-07-21T11:04:00.000+05:30एक संगीतमयी पोस्ट, गीता का आधार लिएएक संगीतमयी पोस्ट, गीता का आधार लिएSajeevhttps://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-2772578735480898522008-07-21T10:36:00.000+05:302008-07-21T10:36:00.000+05:30समीर जी की तरह हम भी बोंड साइन करने को तैयार हैं :...समीर जी की तरह हम भी बोंड साइन करने को तैयार हैं :-)Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-8114001082203141952008-07-21T10:16:00.000+05:302008-07-21T10:16:00.000+05:30कविता...कलरव....कलकल निनादगीत.....गीता.....गाथा......कविता...कलरव....कलकल निनाद<BR/>गीत.....गीता.....गाथा.....संवाद...!<BR/>=========================<BR/>सफ़र तो जिंदगी और समझ के <BR/>सारे मौसम <BR/>हमराहियों को सौगात की तरह <BR/>सौंप जाता है भाई...इस बार फिर बधाई.<BR/>================================<BR/>डा.चन्द्रकुमार जैनDr. Chandra Kumar Jainhttps://www.blogger.com/profile/02585134472703241090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-68476047308951920562008-07-21T09:04:00.000+05:302008-07-21T09:04:00.000+05:30मोटे तौर पर प्रकृति में उत्पन्न सुरीली ध्वनियों को...मोटे तौर पर प्रकृति में उत्पन्न सुरीली ध्वनियों को संगीत कहा जा सकता है। इसमें जीव धारियों के कंठ से उत्पन्न ध्वनियों से लेकर पक्षियों के कलरव और निसर्ग में व्याप्त सभी मधुर आवाजें आ जाती हैं। ...<BR/><BR/>अजीत जी विश्लेषण अच्छा लगा। लेकिन ऊपर दी गयी परिभाषा में मानव निर्मित सैकड़ो प्रकार के वाद्य यंत्रों से निकलने वाली सुरीली और कर्णप्रिय ध्वनियों तथा बहुतेरे कानफोड़ू शोर शराबे वाला कथित संगीत छूट गया लगता है। ऐसा संगीत किसी प्राकृतिक श्रोत से कहाँ निकलता है?सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-61839218554879653232008-07-21T08:18:00.000+05:302008-07-21T08:18:00.000+05:30बिना व्याकरण ही सुसंस्कृत भाषा बोलना, कविता को समझ...बिना व्याकरण ही सुसंस्कृत भाषा बोलना, कविता को समझना, उस की तरलता को महसूस करना। यह स्वाभाविक प्रक्रियाएं हैं। जब अंतर्मन इन गणितिय सूत्रों को बिना व्याख्या के भी समझना सीख जाता है तो वह नैसर्गिक गुण ही कहा जाता है। कवि में यह नैसर्गिक गुण होना आवश्यक है। लेकिन इस के बिना भी लोग कवि होने का प्रयत्न करते और अभ्यास से हो जाते हैं। अभ्यास ही है जो इस गुण को मांजता है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-60992536917762845142008-07-21T07:19:00.000+05:302008-07-21T07:19:00.000+05:30सँगीत शब्द की व्याख्या भी वाकई असाधारण रही -दूसरी ...सँगीत शब्द की व्याख्या भी वाकई असाधारण रही -<BR/>दूसरी बातेँ भी , नया सीखला रहीँ हैँ <BR/>स्नेह,<BR/>-लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-63357782923948935092008-07-21T06:37:00.000+05:302008-07-21T06:37:00.000+05:30लाइवराइटर में पिक्चर सलेक्ट कर Margins में Custom ...लाइवराइटर में पिक्चर सलेक्ट कर Margins में Custom Margins के अंतर्गत दायें/बायें/ऊपर/नीचे पर्याप्त मार्जिन भरें। तब शब्द चित्र से कम सटे प्रतीत होंगे। और अगर आपने मर्जिन भर रखे हैं तो थोड़ा बढ़ा दें विशेषत: दायीं या बाईं ओर (चित्र के बायें या दायें अलाइन होने के अनुसार।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-80128736774121945222008-07-21T06:32:00.000+05:302008-07-21T06:32:00.000+05:30आप निश्चिंत रहें और बॉन्ड लिखवा लें कि हम इस सफर म...आप निश्चिंत रहें और बॉन्ड लिखवा लें कि हम इस सफर में बनें रहेंगे वरना तो दुनिया के सबसे बड़े मूर्ख बने रह जायेंगे अगर ज्ञानसरिता से किनारा कर लिया तो. :) आभार आपका कि आप हमें साथ रखे हैं.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-74815421474287917952008-07-21T05:44:00.000+05:302008-07-21T05:44:00.000+05:30बहुत ही नए तरीके प्रस्तुतिकरणबहुत ही नए तरीके प्रस्तुतिकरणRamashankarhttps://www.blogger.com/profile/09873866884519903643noreply@blogger.com