tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post2310141149405013743..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: टाटा के सपने का जन्मअजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-29154049213624953722015-02-06T10:22:45.413+05:302015-02-06T10:22:45.413+05:30बहुत रोचक और जानकारी से भरा हुआ। आपके ब्लॉग पढ़ना श...बहुत रोचक और जानकारी से भरा हुआ। आपके ब्लॉग पढ़ना शुरू करता हूँ तो डूब जाता हूँ। आज कम से कम 15-20 ब्लॉग पढ़ डाले। दरअसल यह एक बहुत मौलिक काम है, जो लगन और श्रम की मांग करता है। हिन्दी के लिए आपका योगदान कोई भूल नहीं सकता। Ajit Harshehttps://www.blogger.com/profile/06123937087813555958noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-82698391546800705062009-06-14T19:34:30.648+05:302009-06-14T19:34:30.648+05:30वाह पाठको को तो बांध ही दिया आपके इस लेख ने सुन्दर...वाह पाठको को तो बांध ही दिया आपके इस लेख ने सुन्दर......<br />मेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है.......<br />aapka blog bhi bahut accha hai accha laga aakar.....<br />मेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है.......<br /> <a href="http://akshaya-mann-vijay.blogspot.com/" rel="nofollow"><br />अक्षय-मन </a>!!अक्षय-मन!!https://www.blogger.com/profile/05340059809215740706noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-13584216117221586692009-06-14T19:30:43.842+05:302009-06-14T19:30:43.842+05:30लाला की लिखी हैगियोग्राफीज पढ़ी हैं। अच्छी लगीं। और...लाला की लिखी हैगियोग्राफीज पढ़ी हैं। अच्छी लगीं। और उनने इस औद्योगिक समूह के प्रति आदर में वृद्धि ही की है।<br />आपकी पोस्ट वैल्युयेबल है।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-1018533452351123022009-06-14T17:59:20.559+05:302009-06-14T17:59:20.559+05:30जब कालेज में अर्थशास्त्र पढ़ते थे तब हमारे प्रोफेस...जब कालेज में अर्थशास्त्र पढ़ते थे तब हमारे प्रोफेसर हमेशा टाटा और बिरला का ही उदाहरन देते थे आज उस बात को ३८ साल हो गये .जीवन की व्यस्तताओ में वो सब पीछे छुट गया ,किन्तु आज जब इस पुस्तक की समीक्षा जो की आपने काफी सुन्दर ढंग से लिखी है तो टाटा के बारे में जानने को उत्सुकता बढी है |अवश्य पुस्तक padhugi <br />dhanywadशोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-52504409310930230842009-06-14T15:39:53.997+05:302009-06-14T15:39:53.997+05:30किताब पढने का आपका सुझाव इसे अच्छी पुस्तक भी बता र...किताब पढने का आपका सुझाव इसे अच्छी पुस्तक भी बता रहा है.<br />जे आर डी पारसियों की उद्यमशीलता के एक रूपक में बदल चुके है.गुजराती भाषा का व्यवहार,चित्र में पारसी महिलाओं का साडी में दिखना और सबसे बड़ी बात कि भारत आने वाले पहले जत्थे का ये कह कर राजा को मनाना कि हम तो दूध में शक्कर की तरह रच बस जायेंगे,उन्हें एक उदार और प्रेरक समाज के रूप में स्थापित करता है.<br />जै जैsanjay vyashttps://www.blogger.com/profile/12907579198332052765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-30236226691253756972009-06-14T14:28:49.448+05:302009-06-14T14:28:49.448+05:30@अनिल पुसदकर
दोनो ही चलते हैं। उच्चारण की बात है। ...@अनिल पुसदकर<br />दोनो ही चलते हैं। उच्चारण की बात है। पुस्तक में इन शब्दों का उल्लेख जिस रूप में आया, उसी रूप में यहां लिखना उचित समझा। वैसे आप जो लिखते हैं, वही मैं भी लिखता हूं। गलत भी नहीं है।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-12199504416297026712009-06-14T14:26:08.389+05:302009-06-14T14:26:08.389+05:30@गिरिजेश राव
आपका सुझाव सिर माथे। आमतौर पर हिन्दीव...@गिरिजेश राव<br />आपका सुझाव सिर माथे। आमतौर पर हिन्दीवाला होने की वजह से अनुवाद देख कर ही पुस्तक खरीदता हूं। बुरे अनुवाद का उल्लेख करना ज्यादा ज़रूरी समझता हूं। अगर ऐसा नहीं है तो समझें सब कुछ ठीक है। मैं अनुदित पुस्तकों के अनुवाद के स्तर का रोना ज्यादा नहीं रोता। मेरे लिए भाषा, उस उस पुस्तक से परिचित होने, उसके जरिये लेखक की मनोभूमि तक पहुंचने का ज़रिया है, बस।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-2766659276682687742009-06-14T14:05:17.460+05:302009-06-14T14:05:17.460+05:30समीक्षा पुस्तक पढ़ने को प्रेरित करती है। भारत संस्...समीक्षा पुस्तक पढ़ने को प्रेरित करती है। भारत संस्कृतियों का मिलन स्थल है। इस ने बहुत सी संस्कृतियों को सहेज कर रखा है। अब अवश्य अतिवाद इन संस्कृतियों को नष्ट कर सकता है। लेकिन वह भारत ही क्या जो अतिवाद को स्थान दे दे। अतिवाद कोई संस्कृति तो नहीं।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-24937694156557833962009-06-14T13:26:32.246+05:302009-06-14T13:26:32.246+05:30आपकी पुस्तक चर्चा गागर में सागर है ऐसा लगने लगता ह...आपकी पुस्तक चर्चा गागर में सागर है ऐसा लगने लगता है जैसे यह पुस्तक हमने पूरी पढ़ ली .dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-39280754078876411982009-06-14T13:09:08.643+05:302009-06-14T13:09:08.643+05:30हिन्दी में ये किताब..:) बहुत अच्छी खबर.. बहुत प्...हिन्दी में ये किताब..:) बहुत अच्छी खबर.. बहुत प्रेरणादायक होगी.. जरुर पढेगें..रंजनhttp://aadityaranjan.blogspot.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-24260095544486313352009-06-14T12:33:40.617+05:302009-06-14T12:33:40.617+05:30बेहतरीन प्रस्तुति।
सादर
श्यामल सुमन
099553732...बेहतरीन प्रस्तुति। <br /> <br />सादर <br />श्यामल सुमन <br />09955373288 <br />www.manoramsuman.blogspot.com<br />shyamalsuman@gmail.comश्यामल सुमनhttps://www.blogger.com/profile/15174931983584019082noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-37916260097342287782009-06-14T12:11:44.601+05:302009-06-14T12:11:44.601+05:30बहुत सुन्दर. जीवनियाँ हमेशा ही रोमांचक होती हैं, औ...बहुत सुन्दर. जीवनियाँ हमेशा ही रोमांचक होती हैं, और अगर वह किसी इतिहास पुरुष या स्त्री की हो तो पढने का आनंद कई गुना बढ़ जाता है. इस महत्वपूर्ण किताब की जानकारी देने के लिए आभार. कल ही खरीद कर पढता हूँ.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13562041392056023275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-74603729625537773672009-06-14T11:35:43.018+05:302009-06-14T11:35:43.018+05:30आपकी समीक्षा पुस्तक की खूबियों में चार चांद लगाने...आपकी समीक्षा पुस्तक की खूबियों में चार चांद लगानेवाली है। उपलब्ध हुई और अवसर मिला तो जरूर पढ़ेंगे।Ashok Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/14682867703262882429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-1084043499943110752009-06-14T10:38:30.224+05:302009-06-14T10:38:30.224+05:30बहुत रोचकबहुत रोचकAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-12398898732252294952009-06-14T10:35:45.815+05:302009-06-14T10:35:45.815+05:30This comment has been removed by the author.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-53458375561161719292009-06-14T09:59:10.385+05:302009-06-14T09:59:10.385+05:30अजीत भाऊ बचपन से लेकर अभी तक़ मै नही जानता था कि उन...अजीत भाऊ बचपन से लेकर अभी तक़ मै नही जानता था कि उनका नाम जमशेदजी नौशेरवानजी नही जमशेतजी नसरवान जी टाटा है।उनके नाम का सही उच्चारण तक़ पता नही था।बहुत आभार आपका एक महान विभूती के बारे मे उनकी पुस्तक समीक्षा के जरिये बताने के लिये।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-50619965617663089462009-06-14T09:46:05.411+05:302009-06-14T09:46:05.411+05:30बहुत अच्छी समीक्षा हैबहुत अच्छी समीक्षा हैअनिल कान्तhttps://www.blogger.com/profile/12193317881098358725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-45146565394853896052009-06-14T09:07:26.790+05:302009-06-14T09:07:26.790+05:30aamtaur par main kisi bhi aalekh ko ek baar hi pa...aamtaur par main kisi bhi aalekh ko ek baar hi padhta hoon lekin aaj anek baar padhaa....aapne paarsiyon ke bhaarat aane se lekar R M LALA ki kitab tak jo mahatvapoorna baaten bataayi hain, vah urja bhi deti hain aur prerna bhi.............aapki lekhni ko naman karta hoon..........<br />SHABDON KA SAFAR ZINDABAD !Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09116344520105703759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-33416211522134269432009-06-14T08:38:28.185+05:302009-06-14T08:38:28.185+05:30अजी अँबाणी नाम तो अब सुनने मेँ आता है -
जब हम बडे...अजी अँबाणी नाम तो अब सुनने मेँ आता है -<br /> जब हम बडे हो रहे थे <br />उस समय तो भारत के सबसे अमीर परिवारोँ के<br /> २ ही नाम लिये जाते थे -<br />TATA और बिडला -<br /> बस ! :-)<br />तस्वीर भी बढिया लगी -<br /> पारसी कौम ने बम्बई के लिये बहुत कुछ किया है <br />- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-32950385832303815112009-06-14T08:10:00.384+05:302009-06-14T08:10:00.384+05:30यह किताब निश्चय ही पढ़ने की कोशिश करूंगा । आभार ।यह किताब निश्चय ही पढ़ने की कोशिश करूंगा । आभार ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-60240711161030165092009-06-14T07:16:31.232+05:302009-06-14T07:16:31.232+05:30एक दिलचल्प और रोचक प्रसंग से परिचित करनें के लिए श...एक दिलचल्प और रोचक प्रसंग से परिचित करनें के लिए शुक्रिया .डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-80271574203910546162009-06-14T06:42:12.871+05:302009-06-14T06:42:12.871+05:30बहुत सुंदर पुस्तक समीक्षा |बहुत सुंदर पुस्तक समीक्षा |Gyan Darpanhttps://www.blogger.com/profile/01835516927366814316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-43513250141693458072009-06-14T06:21:41.448+05:302009-06-14T06:21:41.448+05:30सामान्यत: अनुवाद में वह बात नहीं आ पाती जो मूल में...सामान्यत: अनुवाद में वह बात नहीं आ पाती जो मूल में होती है. समीक्षा में यदि आप इस दृष्टि से अपना व्यक्तिगत मत भी दे दिया करें यथा पुस्तक की रवानी ऐसी है कि लगता ही नहीं कि अनुवाद पढ़ रहे हैं या अनुवाद के कारण कहीं कहीं स्वाभाविकता नहीं है आदि, तो खरीदने के दौरान निर्णय लेने में आसानी हो कि मूल खरीदें या अनुवाद ?<br /><br />धन्यवाद्गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-39744130852972770852009-06-14T06:09:21.818+05:302009-06-14T06:09:21.818+05:30बहुत सुंदर पुस्तक समीक्षा. जमशेदजी टाटा के बारे मे...बहुत सुंदर पुस्तक समीक्षा. जमशेदजी टाटा के बारे में लिखी गई ये पुस्तक पढनी ही पडेगी ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.com