tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post2635285891904741177..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: अंग्रेजी से मुक्ति वैद्यकी से नाता [बकलमखुद-97]अजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-24311987111948050822009-08-18T22:48:03.207+05:302009-08-18T22:48:03.207+05:30हम तो बाढ़ से परेशान हैं,
मगर आपकी इस सुन्दर प्रस्...हम तो बाढ़ से परेशान हैं,<br />मगर आपकी इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए<br />बधाई तो दे ही देते हैं।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-72413904821676471252009-08-18T14:35:59.208+05:302009-08-18T14:35:59.208+05:30बेहतरीन प्रस्तुति। पंडित जी धीरे धीरे वकील बनने की...बेहतरीन प्रस्तुति। पंडित जी धीरे धीरे वकील बनने की राह प्रशस्त कर रहे हैं। मगर पत्रकार बनते बनते कैसे रह गए इसके एक दो किस्से जानना चाहेंगे। एक किस्सा तो छुटपन का सुन चुके हैं जब दूषित कुएं की इन्होंने सफाई करवाई थी।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-68158584161251151992009-08-18T12:04:24.441+05:302009-08-18T12:04:24.441+05:30इस कड़ी से यह शिक्षा तो मिली कि अंग्रेजी न आए तो टे...इस कड़ी से यह शिक्षा तो मिली कि अंग्रेजी न आए तो टेंशन भले लो लेकिन हिम्मत न हारो।<br /><br />पंडित जी पत्रकार कैसे बने यह मालूम चला<br />रोचक है यह आत्मकथ्य।<br />इंतजार रहेगा अगली किश्त का।Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-81314825620990700742009-08-18T12:04:17.137+05:302009-08-18T12:04:17.137+05:30रोचक लग रहा है आप की कलम से आपके बारे में जानना .....रोचक लग रहा है आप की कलम से आपके बारे में जानना ..रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-2388317345406213642009-08-18T07:35:19.444+05:302009-08-18T07:35:19.444+05:30अज्ञात तो बहुत कुछ है लेकिन अज्ञेय कुछ भी नहीं।
म...अज्ञात तो बहुत कुछ है लेकिन अज्ञेय कुछ भी नहीं। <br />मुझे तो लगता है यही आपके और मेरे भी जीवन का एक महामंत्र बन गया है !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-6149233737331910572009-08-18T06:41:05.822+05:302009-08-18T06:41:05.822+05:30हर कोई …वह सब सिखा देना चाहता था, जो वह खुद जानता ...<b><i>हर कोई …वह सब सिखा देना चाहता था, जो वह खुद जानता था।</i></b><br /><br />यह तो होता ही है तभी तो अगली पीढ़ी, पिछली पीढ़ी से अधिक विकसित होती है।<br /><br />इस प्रस्तुति का आभार,<br />अगली कड़ी की प्रतीक्षाAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-73529935513317142602009-08-18T06:09:39.497+05:302009-08-18T06:09:39.497+05:30बकलम खुद की इस श्रृंखला में प्रस्तुत आलेख एक अनोखी...बकलम खुद की इस श्रृंखला में प्रस्तुत आलेख एक अनोखी उपलब्धि हैं । द्विवेदी जी की कलम से निकली इस प्रस्तुति का आभार ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.com