tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post2808006598673968905..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: कटखना क़ातिल और कतरनीअजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-775726107279816322013-03-30T20:11:14.914+05:302013-03-30T20:11:14.914+05:30'कवि'शब्द की उत्पत्ति कहां से हुई है और कि...'कवि'शब्द की उत्पत्ति कहां से हुई है और किस धातु से हुई है? कृपया इस पर प्रकाश डालें।-डॉ.दीनानाथ सिंह,चेन्नई।<br />Dr Dinanath Singhhttps://www.blogger.com/profile/16977733643703815679noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-48226688088398671692008-03-21T14:35:00.000+05:302008-03-21T14:35:00.000+05:30कमाल है जी. पहले जेबों की विस्तृत जानकारी दी, अब क...कमाल है जी. पहले जेबों की विस्तृत जानकारी दी, अब कतरना सिखा रहे हैं. ;-)<BR/><BR/>वैसे ऐसे कुकृत्य करने पर कुटाई होना एक कटु सत्य है. इसके चलते हम इस कुटिल विचार को कभी क्रियान्वित नहीं करेंगे.<BR/><BR/>होली की कोटि-कोटि शुभकामनाएँGhost Busterhttps://www.blogger.com/profile/02298445921360730184noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-1695890550741218972008-03-21T14:06:00.000+05:302008-03-21T14:06:00.000+05:30कारीगरी जारी रखें - थोड़ी बहुत कतरब्योंत भी चलेगी [...कारीगरी जारी रखें - थोड़ी बहुत कतरब्योंत भी चलेगी [:-)] - किताब के मसले पर भी थोड़ा ध्यान दें - और समय भी - बहुत अच्छा दस्तावेज बनेगा हमारे समय के - होली की शुभकामनाएँ - कृतज्ञ - मनीषAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/08624620626295874696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-69834776063717207902008-03-21T12:49:00.000+05:302008-03-21T12:49:00.000+05:30कमाल है कहाँ कहाँ से चुन कर लाते हैं ये मोती आप ? ...कमाल है कहाँ कहाँ से चुन कर लाते हैं ये मोती आप ? एक कृ और उसके हजार रूप । बधाई आपको लिखते रहिये और हमारा ज्ञान वर्धन करते रहिये ।आशा जोगळेकरhttps://www.blogger.com/profile/14609401024069814020noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-73592067639038388792008-03-21T11:36:00.000+05:302008-03-21T11:36:00.000+05:30पत्थर मिला जो राह में,पाषाण कह दिया गर नींव से जोड...पत्थर मिला जो राह में,पाषाण कह दिया <BR/>गर नींव से जोड़ा गया निर्माण कह दिया <BR/>जो काट-छाँट सह गया शिल्पी के हाथों की <BR/>इंसान ने पाषाण को भगवान कह दिया !<BR/><BR/>बधाई.......यह पोस्ट भी उपयोगी और सारगर्भ है.<BR/>आपको होली की बधाई अजित जी .Dr. Chandra Kumar Jainhttps://www.blogger.com/profile/02585134472703241090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-37555283657621418062008-03-21T11:16:00.000+05:302008-03-21T11:16:00.000+05:30कृ बहुत मायामय है। आप कृति, कृतित्व, कृतिकार को वि...कृ बहुत मायामय है। आप कृति, कृतित्व, कृतिकार को विस्मृत कर गए। हम कॉपीराइट में इस का बहुत इस्तेमाल कर रहे हैं।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-86341937279219326902008-03-21T08:08:00.000+05:302008-03-21T08:08:00.000+05:30शायद इसी लिये कृ से कृपण भी बना होगा, मेल खाता है ...शायद इसी लिये कृ से कृपण भी बना होगा, मेल खाता है ना स्वभाव मेंAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-5187452473742353792008-03-21T07:51:00.000+05:302008-03-21T07:51:00.000+05:30सही है। कृ धातु इतनी कारसाज है!सही है। कृ धातु इतनी कारसाज है!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.com