tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post3067847574609199575..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: मसिजीवी देखें, कुछ बेहतर हुआ !अजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-91663107080955826972010-02-17T04:16:10.407+05:302010-02-17T04:16:10.407+05:30अरे वाह !!
ये भी अच्छी रही नहीं तो मैं खुद से ही न...अरे वाह !!<br />ये भी अच्छी रही नहीं तो मैं खुद से ही नाराज़ होती रहती....<br />आपका बहुत बहुत शुक्रिया ..<br />आप तो शब्दों का पोस्टमार्टम ही कर देते हैं...और यकीन जानिये इतनी गहन जानकारी देते हैं कि हम जैसों का साथ शब्दों के सफ़र में शब्द ही छोड़ कर चले जाते हैं...जितनी भी आपकी तारीफ करुँगी...मुझे पता है कम होगी...फिर भी कर रही हूँ...जितनी मेरी हैसियत है :)स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-28092650535502031212009-02-21T22:00:00.000+05:302009-02-21T22:00:00.000+05:30वाह... मज़ा आ गया आपके अन्वेषण में तो, वाह...वाह... मज़ा आ गया आपके अन्वेषण में तो, वाह...योगेन्द्र मौदगिलhttps://www.blogger.com/profile/14778289379036332242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-75908479576307739222009-02-21T19:52:00.000+05:302009-02-21T19:52:00.000+05:30क्या बात है अब इससे बेहतर तो भला क्या होगा। स्...क्या बात है अब इससे बेहतर तो भला क्या होगा। <BR/><BR/> <I> स्पष्ट है कि संस्कृत में तरतम धातुरूप में पहले से मौजूद है जिसमें क्रमांकन, अनुपात, सापेक्ष महत्व, अन्तर-भेद जैसे भाव हैं जो हिन्दी के पदानुक्रम जैसे सीमित भाव की तुलना में कहीं व्यापक अर्थवत्ता रखता है। </I><BR/><BR/>यदि क्रमांकन, सापेक्ष महत्व जैसे अर्थ इसमें हैं तो अपने भाव में हायरार्की यहॉं मौजूद है। रविकांत का जो विमर्शवृत्त मुझे ज्ञात है वहॉं भी हायरार्की का अर्थ इन्हीं सदर्भों के लिए अधिक अभिप्रेत होता है। <BR/><BR/>इस विवेचनात्मक पोस्ट के लिए हार्दिक आभारमसिजीवीhttps://www.blogger.com/profile/07021246043298418662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-54740913408153188112009-02-21T18:45:00.000+05:302009-02-21T18:45:00.000+05:30बेहतर के बारे में इस प्रश्न ने मुझे भी काफी परेशान...बेहतर के बारे में इस प्रश्न ने मुझे भी काफी परेशान किया था. आज उत्तर मिल गया है.<BR/><BR/>इस चिट्ठे पर तो आप ने अपना एक गजब का छायाचित्र लगा रखा है. फेसबुक पर भी ऐसा ही कुछ लगा दें. हां, हल्की सी मुस्कराहट फिट कर दें तो सोने में सुहागा (बेहतर) हो जायगा!!<BR/><BR/>सस्नेह -- शास्त्रीShastri JC Philiphttps://www.blogger.com/profile/00286463947468595377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-87810816256060962282009-02-21T11:32:00.000+05:302009-02-21T11:32:00.000+05:30शब्द पुराने लेकर उनका,अन्वेषण श्रेयस्कर है। गहराई ...शब्द पुराने लेकर उनका,<BR/>अन्वेषण श्रेयस्कर है। <BR/>गहराई में इतना जाना,<BR/>सरल नही है, दुष्कर है।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-22468935521426614152009-02-21T10:57:00.000+05:302009-02-21T10:57:00.000+05:30बहुत शोधपरक जानकारी !वाकई काफी कुछ बेहतर हुआ !बहुत शोधपरक जानकारी !वाकई काफी कुछ बेहतर हुआ !Neelimahttps://www.blogger.com/profile/14606208778450390430noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-87315426690292661802009-02-21T10:46:00.000+05:302009-02-21T10:46:00.000+05:30वाह इतनी त्वरित प्रतिक्रिया... बहुत खूब ब्लॉग मसिज...वाह इतनी त्वरित प्रतिक्रिया... बहुत खूब ब्लॉग मसिजीवी पर जो शंकाए मन में रह गयी थी उन्हे आपने समुचित रूप से दूर किया.. क्या कहना जी आपका..कुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-18025736110065359122009-02-21T10:45:00.000+05:302009-02-21T10:45:00.000+05:30कमाल की जानकारी है.रामराम.कमाल की जानकारी है.<BR/><BR/>रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-4274265047790300792009-02-21T09:42:00.000+05:302009-02-21T09:42:00.000+05:30हम भी तारतम्य ही जानते है,थे।हम भी तारतम्य ही जानते है,थे।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-13159448261489919472009-02-21T07:07:00.000+05:302009-02-21T07:07:00.000+05:30बेह > बेहतर > बेहतरीन कह सकते है आपके प्रयास...बेह > बेहतर > बेहतरीन कह सकते है आपके प्रयास को . कितना श्रम साध्य कार्य है शब्दों का डी.एन .ऐ खोजनाdhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.com