tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post3425607935346559660..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: रक्तपात, खूनखराबा और विरक्तिअजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-69178188669404633122010-02-12T09:59:51.348+05:302010-02-12T09:59:51.348+05:30आश्चर्य हो रहा है आपके ग्यान पर लाजवाब पोस्ट है धन...आश्चर्य हो रहा है आपके ग्यान पर लाजवाब पोस्ट है धन्यवाद्निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-10184592813466890632010-02-12T03:39:28.630+05:302010-02-12T03:39:28.630+05:30अजित भाई आपकी मेहनत को सलाम ! आपको पढ़ते हुए सोच र...अजित भाई आपकी मेहनत को सलाम ! आपको पढ़ते हुए सोच रहा था स्वजनता , शत्रुता, द्वेष , विच्छेद , अनुराग ,ऐय्याशी , परजीविता,कृपणता,धोखेबाजी, गुंडागर्दी , अपमान, क्रोध और क़त्ल ...क़त्ल... जिस्मो का ही नहीं ,अरमानों का भी , वगैरह वगैरह...कितने सारे रंग बिखेरता है खून ...यह केवल लालिमा कहां है !alinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-37144934964174583692010-02-11T18:18:43.362+05:302010-02-11T18:18:43.362+05:30रत्ती रत्ती सच्ची आपने मेहनत की है । इतने सुरक्त आ...रत्ती रत्ती सच्ची आपने मेहनत की है । इतने सुरक्त आलेख के लिये धन्यवाद ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-171840230283087962010-02-11T16:30:18.335+05:302010-02-11T16:30:18.335+05:30मंसूर अली जी, मैंने इस शेर के दो तीन और भी रूप सुन...मंसूर अली जी, मैंने इस शेर के दो तीन और भी रूप सुने थे. बहुत शोर की जगह बादा शोर भी सुना. लेकिन आप की बात ठीक होगी, आप शायरी वाले हैं.Baljit Basihttps://www.blogger.com/profile/11378291148982269202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-55985274560132411242010-02-11T14:23:25.567+05:302010-02-11T14:23:25.567+05:30@किरण राजपुरोहित
आपने खूब याद दिलाया। राजस्थान में...@किरण राजपुरोहित<br />आपने खूब याद दिलाया। राजस्थान में रहते हुए चिरमी शब्द सुन चुका हूं और लोक गीत भी सुने हैं। वैसे गुंजा शब्द को लेकर भी लोकगीत रचे जा चुके हैं। चिरमी शब्द चर्मरी से बना है। संस्कृत चर्मन् में त्वचा या खाल के अलावा रुधिर अथवा लाल रंग का भाव भी है। चर्मरी का अर्थ रंगीन या रक्तिका इस रूप में सार्थक है। कुछ शब्दकोशों में इसे चिरमिटी भी कहा गया है।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-75979324695014107592010-02-11T14:20:55.683+05:302010-02-11T14:20:55.683+05:30@बलजीत भाई,
संस्कृत में स्वर्ण और शोण दोनो शब्दों ...@बलजीत भाई,<br />संस्कृत में स्वर्ण और शोण दोनो शब्दों का अर्थ लाल और पीला होता है। सोन नाम की कई कई नदियां भारत में हैं। मूलतः इनकी व्युत्पत्ति शोण, स्वर्ण, स्वर्णा से मानी जा सकती है। जल प्रवाह में पत्थरों का घिसकर चमकीला होने से नामकरण सोना नहीं होता है बल्कि नदी से बहकर आते रेतकणों में स्वर्णिम चमक से सोन, सोना या स्वर्णा नाम सार्थक होता है। पुराने ज़माने में नदियों की रेत से सोना निकालने की तकनीक लोगों को ज्ञात थी। हालांकि यह श्रमसाध्य और खर्चीली ज्यादा थी। <br />सोनमर्ग पर अलग से पोस्ट लिखी है, ज़रूर देखें। वह हरी-भरी वादी प्राकृतिक समृद्धि की वजह से सोनमर्ग है। सोना समृद्धि का भी प्रतीक है। पंजाबी की ही तरह हिन्दी में अल्पमात्रा, किंचित या ज़रा सा के अर्थ में रत्ती शब्द का प्रयोग होता है। रत्तीभर यानी ज़रा सा, थोड़ा सा आदि।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-81146094643939137122010-02-11T12:50:20.491+05:302010-02-11T12:50:20.491+05:30बहुत रोचक जानकारी दी आपने .
रक्तिका को राजस्थानी म...बहुत रोचक जानकारी दी आपने .<br />रक्तिका को राजस्थानी में चिरमी कहा जाता है. इससे गुड्डा गुड्डी की आँखे बनाई जाती थी .साथ ही यह बाजूबंद गोरबंद और चोटी के लच्छो में पिरोई जाती है.इसकी सुन्दरता के कारन राजस्थानी लोकगीतों में चिरमी लोकगीत बहुत मनचाहा है सबका.कही यह बाबोसा की लाडली बताई गई है कही इसे सहेली भी कहा गया है.गीत कुछ इस तरह है-------<br />चिरमी भोली म्हारी चिरमी <br />चिरमी रा डाळा च्यार <br />वारी जाऊ चिरमी रे <br />चिरमी बाबोसा री लाडली <br />आतो दोड़ी दौड़ी पीवर जाय<br />वारी जाऊ चिरमी रे <br /><br />चढती ने दिखे मेड़तो <br />उतरती ने गढ़ अजमेर<br />वारी जाऊ चिरमी रे -------<br />लोक गीत देखिये -------<br />http://www.youtube.com/watch?v=WNYPTATZlpM<br />इस सुन्दर बीज की तासीर गरम है. गायों के बछड़ा जनने के बाद चिरमी पीस कर दी जाती है. कुम्भलगढ़ की पहाडियों में इसके झाड़ देखे जा सकते है.किरण राजपुरोहित नितिलाhttps://www.blogger.com/profile/13893981409993606519noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-43597186044528848952010-02-11T12:39:07.601+05:302010-02-11T12:39:07.601+05:30@ बलजीत बासी
'आतिश' का शेर शायद कुछ इस तर...@ बलजीत बासी <br />'आतिश' का शेर शायद कुछ इस तरह है:-<br /><br />बहुत शौर सुनते थे पहलू में दिल का,<br />जो चीरा तो एक कतरा-ए-खूँ न निकला.<br /><br />-मंसूर अली हाशमीMansoor ali Hashmihttps://www.blogger.com/profile/09018351936262646974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-28870915900954986372010-02-11T09:01:08.494+05:302010-02-11T09:01:08.494+05:30लहू के रंग में मिश्रण बढ़ा सफेदी का,
हुआ जो हल्का ...लहू के रंग में मिश्रण बढ़ा सफेदी का,<br />हुआ जो हल्का तो दिखने लगा है भगवा सा,<br />रगों का रंग हरा सांप सा नज़र आये,<br />हमारी सोच को क्यों लग गया है लकवा सा.<br /><br />-मंसूर अली हाशमी<br /><br />http://mansooralihashmi.blogspot.comMansoor ali Hashmihttps://www.blogger.com/profile/09018351936262646974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-85330240390541745072010-02-11T08:53:24.108+05:302010-02-11T08:53:24.108+05:30बहुत सुगठित और महत्वपूर्ण आलेख है। बधाई!बहुत सुगठित और महत्वपूर्ण आलेख है। बधाई!दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-51335632899627328362010-02-11T08:48:29.332+05:302010-02-11T08:48:29.332+05:30अगर 'लहू' ग़ालिब के शेर से शुरू किया था तो ...अगर 'लहू' ग़ालिब के शेर से शुरू किया था तो आतिश का क्या कसूर था कि 'खून' का आगाज़ उसके इस शेर से नहीं हुआ:<br />बहुत शोर सुना था पहिलु-ए-दिल में<br />चीर कर देखा तो कतरा-ए-खून निकला.<br />खैर बात यह है कि 'शोण' का मुझे कम से कम पंजाबी में कोई अवशेष भी नहीं मिला. लेकिन कहने से डरता हूँ कहीं आप खफा- खून न हो जाओ.वैसे 'वोहनिश' से खून का रिश्ता भी नहीं जुड़ता लगता. सोन नदी कि व्याख्या मैं ने गोल्ड वाले सोने से जुडी सुनी थी. नदीओं में पत्थर गीटे घिस घिस कर सोने जैसे चमकीले हो जाते हैं. कश्मीर का सोनमर्ग मैंने देखा है, उसके पहाड़ बिलकुल सोने की तरह पीले पीले चमकते हैं, पास में गलेशिअर से घिस घिस आते पत्थर भी चमकते हैं. शोण बिहार क़ी एक नदी का नाम भी है/था जिस का रंग लाल था. वैसे भरोसा आप पर ही है आप की तो खून पसीने की कमाई है.<br />रंज् ने तो चारों तरफ रंग लाये हुए हैं. पंजाबी में 'रती' का मतलब थोडा सा भी है( रती ठहर जा). फिर 'सग्गा-रत्ता' जैसा खूबसूरत शब्द है.<br />पंजाबी में रत्ता का मतलब लाल है. रत्ता सालू शादी में दुल्हन डालती है.<br /> स्कीट 'लाख'(अंग्रेजी lac) का सबंध भी इस से जोड़ता है. संस्कृत लक्ष>लक्त्का>रक्ताक .<br /> <br />'रत्त' और 'खून' का एक साथ वर्णन गुरु नानक की मशहूर बाबर वाणी में आता है जिस में बाबर के भारत पर हमले ने भारतीय जनता पर कितने कहर ढाए, उसका मार्मिक चित्रण मिलता है:<br />खून के सोहिले गावीअहि नानक रतु का कुंगू पाइ वे लालोBaljit Basihttps://www.blogger.com/profile/11378291148982269202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-90610516269273147522010-02-11T08:30:53.118+05:302010-02-11T08:30:53.118+05:30बहुत बढ़िया विवेचना हुई है!बहुत बढ़िया विवेचना हुई है!अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-2856532525291220572010-02-11T06:33:56.851+05:302010-02-11T06:33:56.851+05:30रक्तिका-बहुत उगा करती थीं हमारे घर के पास.
आनन्द ...रक्तिका-बहुत उगा करती थीं हमारे घर के पास.<br /><br />आनन्द आ गया इस अंक में. शानदार जानकारी.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-225198100555660552010-02-11T05:58:16.242+05:302010-02-11T05:58:16.242+05:30बेहद खूबसूरत प्रविष्टि । आभार ।बेहद खूबसूरत प्रविष्टि । आभार ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-85892803020219170172010-02-11T05:05:34.749+05:302010-02-11T05:05:34.749+05:30बहुत बढ़िया रहा आज का अंक. और हाँ, आपकी पुस्तक के ...बहुत बढ़िया रहा आज का अंक. और हाँ, आपकी पुस्तक के लिए बधाई.Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-65833354723085643392010-02-11T02:49:47.868+05:302010-02-11T02:49:47.868+05:30बिल्कुल सही कहा .... रक्त में जुड़ाव का भाव महत्व...बिल्कुल सही कहा .... रक्त में जुड़ाव का भाव महत्वपूर्ण है। एकदम सटीक जानकारी वाली पोस्ट...Sanjay Karerehttps://www.blogger.com/profile/06768651360493259810noreply@blogger.com