tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post3648424960844744215..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: ममी की रिश्तेदारी भी केरोसिन से…अजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-44593869662105620482009-06-07T01:13:22.804+05:302009-06-07T01:13:22.804+05:30मतलब यह मिट्टी अरब की मिट्टी है जिसका यह तेल है यह...मतलब यह मिट्टी अरब की मिट्टी है जिसका यह तेल है यह तेल का ही कमाल है जो कुवैत पर अमेरिका ने आक्रमण किया अगर वहाँ तेल के बदले आलू निकलता तो अमेरिका कदापि आक्रमण नहीं करता.रही हमारी बात तो हमारी मिट्टी में तो 'हमारा" ही तेल निकलता हैशरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-14988914231345817522009-06-07T00:01:58.301+05:302009-06-07T00:01:58.301+05:30रोचक रही ये पोस्ट भी. ममी के उद्भव के बारे में जान...रोचक रही ये पोस्ट भी. ममी के उद्भव के बारे में जानना सुखद.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-53271536516943820942009-06-06T22:32:37.962+05:302009-06-06T22:32:37.962+05:30bahut hi rochak jaankari.bahut hi rochak jaankari.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-60774945438104638732009-06-06T20:04:45.682+05:302009-06-06T20:04:45.682+05:30अच्छी जानकारी , आपने अच्छा तेल का तेल निकलाअच्छी जानकारी , आपने अच्छा तेल का तेल निकलाMAYURhttps://www.blogger.com/profile/07342867687077320304noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-75969999523656082782009-06-06T18:50:28.797+05:302009-06-06T18:50:28.797+05:30@राजीव टण्डन
राजीव भाई,
आज दिन भर नेट नहीं चल सका...@राजीव टण्डन<br />राजीव भाई, <br />आज दिन भर नेट नहीं चल सका। मैने मिट्टी के तेल का अर्थ ज़मीन से निकलने वाला तेल के रूप में ही दिया है। इसके वाष्पीकरण वाले गुण की वजह से अरब लोग इसे उड़नेवाला पदार्थ भी कहते थे।। संभवतः पोस्ट में यह स्पष्ट नहीं हो पाया।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-18547249453848262182009-06-06T10:22:34.505+05:302009-06-06T10:22:34.505+05:30अजित भाई...कमाल है कहाँ से ढूंढ लाते हैं ऐसी जानका...अजित भाई...कमाल है कहाँ से ढूंढ लाते हैं ऐसी जानकारियाँ...मुझे तो लगता है की जरूर आप पाताल से ब्लॉग्गिंग कर रहे हैं...शब्दों का इतिहास खूब लगा....अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-91892046360538435812009-06-06T09:14:21.735+05:302009-06-06T09:14:21.735+05:30aapke paas lagta hai shabdo ki khan or unke artho ...aapke paas lagta hai shabdo ki khan or unke artho ke kuaa(well) hai jisme se har post nikalti rahti hai.किरण राजपुरोहित नितिलाhttps://www.blogger.com/profile/13893981409993606519noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-43726403272974541842009-06-06T08:49:56.098+05:302009-06-06T08:49:56.098+05:30बहुत जानकारीपूर्ण आलेख, धन्यवाद!बहुत जानकारीपूर्ण आलेख, धन्यवाद!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-47172164156193356132009-06-06T08:14:20.938+05:302009-06-06T08:14:20.938+05:30शब्द कैसी रिश्तेदारियाँ बुनते हैं? इन्हें तलाशो तो...शब्द कैसी रिश्तेदारियाँ बुनते हैं? इन्हें तलाशो तो इतिहास सामने नज़र आने लगता है। कच्चा तेल भी तो हजारों बरस पहले धरती के भीतर ढकेल दिए गए जीवों की ममी ही तो हैं।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-54755408912075617022009-06-06T07:38:59.361+05:302009-06-06T07:38:59.361+05:30आप तो 'तेल' के पीछे हाथ नहीं कम्प्यूटर धो ...आप तो 'तेल' के पीछे हाथ नहीं कम्प्यूटर धो कर पड़ गए ! :)<br /><br />आप का ब्लॉग तो हमारे लिए अब 'अमल' हो गया है। देहात में अमल कहते हैं 'लत' को जैसे बीड़ी, गुटका . . आदि। इसका संस्कृत अमल से कोई सम्बन्ध मुझे तो नहीं समझ में आता, आप को लगे तो बताइए।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-11194243508788735852009-06-06T07:14:48.290+05:302009-06-06T07:14:48.290+05:30हमेशा की भाँति यह लेख भी जानकारियों से परिपूर्ण रह...हमेशा की भाँति यह लेख भी जानकारियों से परिपूर्ण रहा।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-72615335919550051442009-06-06T06:38:57.439+05:302009-06-06T06:38:57.439+05:30कुछ सालो बाद हमरे यहाँ भी खूब तेल निकलेगा क्योकि...कुछ सालो बाद हमरे यहाँ भी खूब तेल निकलेगा क्योकि प्राकर्तिक संपदा खत्म हो रही है खेत रेगिस्तान बन जायेंगे और हम जीवाश्म .dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-38511199511853940242009-06-06T04:19:53.926+05:302009-06-06T04:19:53.926+05:30बहुत ही सुंदर जानकारी पुरा लेख कल सुबह पढूगा अभी त...बहुत ही सुंदर जानकारी पुरा लेख कल सुबह पढूगा अभी तो यहां रात का एक बजा है, लेकिन लेख बहुत अच्छा लगा. राम राम जी कीराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-1444368629824618692009-06-06T03:08:13.380+05:302009-06-06T03:08:13.380+05:30बहुत ही रोचक !
घुघूती बासूतीबहुत ही रोचक !<br />घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-759737180783588792009-06-06T01:09:10.917+05:302009-06-06T01:09:10.917+05:30नेफ्था केरोस और ममी तीनों प्रायः सूर्य की तरह सनात...नेफ्था केरोस और ममी तीनों प्रायः सूर्य की तरह सनातन सत्य शब्द ! न कोई पूछे न बूझे !! इन अनपूछे और अनबूझे शब्दों पर तह से तराशा ज्ञान ओत - प्रोत कर गया | केमिस्ट्री के शिक्षकों के लिए जिज्ञासा बढाने में योगदान देने वाला आलेख आपकी असीम साधना सामर्थ्य का परिचायक है | पुनः साधुवाद |RDShttps://www.blogger.com/profile/14134695386879343906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-48685156630584130352009-06-06T00:37:34.402+05:302009-06-06T00:37:34.402+05:30कहाँ- कहाँ से ढूँढ लाते हैं इन शब्दों की रिश्तेदार...कहाँ- कहाँ से ढूँढ लाते हैं इन शब्दों की रिश्तेदारी...! ये शब्द तो यायावर लगते हैं। इनके साधक को क्या कहें...?सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.com