tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post3983533605378702870..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: खुदावंद-रहमान-करुणानिधान...[भगवान-6]अजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-82979539658456729602008-10-24T18:57:00.000+05:302008-10-24T18:57:00.000+05:30खुदा रहीम = करुणा सागर ईश्वर एक ही तो हैँ सार्थक प...खुदा रहीम = करुणा सागर ईश्वर <BR/>एक ही तो हैँ <BR/>सार्थक पोस्ट !<BR/>- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-59908044845772907772008-10-24T17:56:00.000+05:302008-10-24T17:56:00.000+05:30बहुत बहुत सुंदर पोस्ट है यह.शब्द विवेचना के बहने ब...बहुत बहुत सुंदर पोस्ट है यह.शब्द विवेचना के बहने बहुत सुंदर बात कही आपने.साधुवाद.<BR/>जन्म तो हर मनुष्य एक सा ही लेता है पर उसके सद्गुण और कर्म ही ईश्वरत्व प्रदान करते हैं.बस इतना जो ध्यान में रख ले और कर्म में उतार ले तो यह धरती स्वर्ग बन जायेगी.रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-66186459677800996442008-10-24T15:41:00.000+05:302008-10-24T15:41:00.000+05:30धर्म अगर ये काम ना कर सके तो धर्म ही क्या ! आज शब्...धर्म अगर ये काम ना कर सके तो धर्म ही क्या ! आज शब्दों के साथ-साथ और भी ज्ञानवर्धन हुआ.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-6362699258383418642008-10-24T11:24:00.000+05:302008-10-24T11:24:00.000+05:30वाह इस बार तो आना सार्थक हुआ.. बहुत सारी जानकारी ल...वाह इस बार तो आना सार्थक हुआ.. बहुत सारी जानकारी लेकर जा रहा हू आपके ब्लॉग से...कुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-89318227810227586462008-10-24T10:39:00.000+05:302008-10-24T10:39:00.000+05:30दया धर्म का मूल है, पाप मूल अभिमान। हमारे पूर्वजों...दया धर्म का मूल है, पाप मूल अभिमान। हमारे पूर्वजों ने भी काफी सटीक कहा है। सभी धर्मों की मूल शिक्षायें एकसी ही हैं। धर्म के नाम पर हो रहे झगड़े तो व्याख्या करने वालों की कला है जो वे अपने धर्म को अलग दिखाने के लिये कर रहे हैं।Sanjeevhttps://www.blogger.com/profile/16613354300792808697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-24785824316657297602008-10-24T08:08:00.000+05:302008-10-24T08:08:00.000+05:30इस्लाम में खुदा रहीम है। रहमत उसका एकाधिकार। बहुत ...इस्लाम में खुदा रहीम है। रहमत उसका एकाधिकार। बहुत से लोग उस के इस काम में दखल नहीं देते। वरना कहा जा सकता है रहम कर के खुदा बनना चाहते हो। ज्ञान जी उन का परसेप्शन सही कर लें।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-78601508736842347652008-10-24T07:36:00.000+05:302008-10-24T07:36:00.000+05:30इस्लाम में रहम को सर्वोपरि ईश्वरीय गुण बताया गया ह...इस्लाम में रहम को सर्वोपरि ईश्वरीय गुण बताया गया है। इसकी सोदाहरण (इतिहास के संदर्भ में) व्याख्या जरूरी है। आम हिन्दू को इससे उलट परसेप्शन है। उस परसेप्शन का करेक्शन होना चाहिये।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-83246622067914695062008-10-24T06:57:00.000+05:302008-10-24T06:57:00.000+05:30अनूप शुक्ल जी का कहना बिल्कुल सही है। एक बात और ...अनूप शुक्ल जी का कहना बिल्कुल सही है। एक बात और कई बार तो अर्थ मालूम होता है पर जब कोई पूछता है उसका अर्थ, तो याद नहीं आता है। ऐसा क्यों होता है ? <BR/>पर यह सफर काफी कुछ याद करा रहा है मानस तक।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-6409768657109373052008-10-24T06:44:00.000+05:302008-10-24T06:44:00.000+05:30रहीम का ताल्लुक दया से होगा पता ही नहीं था। हम शब्...रहीम का ताल्लुक दया से होगा पता ही नहीं था। हम शब्दों के अर्थ जाने बिना प्रयोग करते हुये जिन्दगी बिता देते हैं । जब अर्थ पता चलता है तो मालूम होता है कि अरे इसका मतलब यह था।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.com