tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post4360849370068618764..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: प्रेम गली से खाला के घर तकअजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-67044537914106614412007-07-30T18:32:00.000+05:302007-07-30T18:32:00.000+05:30बहुत अच्छे अजित जी..अभी हाल ही में मैंने आपका ब्लॉ...बहुत अच्छे अजित जी..अभी हाल ही में मैंने आपका ब्लॉग पढ़ना शुरू किया है.. और मैं आश्चर्य चकित भी हूँ और खुश भी.. इतने उम्दा तरीके से आपने कितने ही शब्दों को समझाया है.. मजा आ गया... अथाह सागर है हमारा शब्द्कोष.. पहले मैं संस्कृत को केवल भारतीय भाषाओं को जननी मानता था। हाँ ये अवश्य मानता था कि अंग्रेज़ी में कुछ हिस्सा संस्कृत का भी है.. पर इस तरह से ऐसे ऐसे शब्द पता चलेंगे ये सपने में भी नहीं सोचा है.. आप ये काम जारी रखें..मेरे जैसे लाखों हिंदी प्रेमियों को इससे फ़ायेदा होगा..और हिंदी के विस्तार में मदद मिलेगी<BR/>धन्यवाद<BR/>तपन शर्माAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-86921371130458636792007-07-28T18:06:00.000+05:302007-07-28T18:06:00.000+05:30अच्छी जानकारी है!अच्छी जानकारी है!Anonymousnoreply@blogger.com