tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post4513377093458937484..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: कुलीनों की गोष्ठी में ग्वालेअजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-26509717231864670152007-08-20T14:58:00.000+05:302007-08-20T14:58:00.000+05:30अजित जी , आपका ब्लोग मुझे बहुत पसंद है.इस बार आपने...अजित जी , <BR/>आपका ब्लोग मुझे बहुत पसंद है.इस बार आपने गोष्ठी शब्द की बहुत तर्कसंगत व्याख्या की है.आपने बताया है कि राजस्थान, मालवा में पिकनिक के लिए गोठ शब्द का प्रयोग किया जाता है.तो मैं आपको बताना चाहूंगी कि झारखण्ड में अदिवासिओं की एक बोली है- सादरी, जिसमें बातचीत या गपशप को गोइठ कहा जाता है.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-75396287528774908722007-08-20T14:57:00.000+05:302007-08-20T14:57:00.000+05:30अजित जी , आपका ब्लोग मुझे बहुत पसंद है.इस बार आपने...अजित जी , <BR/>आपका ब्लोग मुझे बहुत पसंद है.इस बार आपने गोष्ठी शब्द की बहुत तर्कसंगत व्याख्या की है.आपने बताया है कि राजस्थान, मालवा में पिकनिक के लिए गोठ शब्द का प्रयोग किया जाता है.तो मैं आपको बताना चाहूंगी कि झारखण्ड में अदिवासिओं की एक बोली है- सादरी, जिसमें बातचीत या गपशप को गोइठ कहा जाता है.tanivihttps://www.blogger.com/profile/08250762558079034162noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-71267672868538096732007-08-20T13:24:00.000+05:302007-08-20T13:24:00.000+05:30ज्ञानजी का नाम भूल गया था। कृपया बुरा मत मानिएगा प...ज्ञानजी का नाम भूल गया था। कृपया बुरा मत मानिएगा पांडेजी।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-70566741221083645832007-08-20T13:23:00.000+05:302007-08-20T13:23:00.000+05:30अनूपजी, समीरजी,बोधिभाई, अभयजी और अनामजी आपने पोस्ट...अनूपजी, समीरजी,बोधिभाई, अभयजी और अनामजी आपने पोस्ट पढी, आभारी हूं। आपके सुझाव मूल्यवान हैं और उन्हें सहेज लिया है। यथासंभव इन पर काम करने का प्रयास करूंगा। बोधिभाई, घोष पर तो जल्दी ही सामग्री दे रहा हूं, क्योकि यह मैं करने ही वाला हूं। अनामदसजी, गाय के महत्व को स्थापित करनेवाले शब्द कई हैं और उनपर मेरी नजर है। शुक्रिया एक बार फिर।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-24752631456939607972007-08-20T10:24:00.000+05:302007-08-20T10:24:00.000+05:30अनामदास ने अन्य शब्दों की बात की है.. मैं अन्य अर्...अनामदास ने अन्य शब्दों की बात की है.. मैं अन्य अर्थों को याद कर रहा हूँ.. एक अर्थ इन्द्रिय भी बताया गया है.. जिससे गोप और गोपी का अध्यात्मिक पक्ष उधेड़ा जाता है.. फिर गोमांस भक्षण की व्याख्या करने में जिह्वा को गले में पलट कर रखने जो सहस्रार से रसस्राव होता है उसका संदर्भ दिया जाता है..इस बचाव में कि वेदों में जिस गोमांस भक्षण की बात है वह असल में यह है.. क्योंकि गो का एक अर्थ इन्दिय है.. इस पर भी कुछ प्रकाश डालें.अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-28058812652243536722007-08-20T09:49:00.000+05:302007-08-20T09:49:00.000+05:30सूरदास गाँव को घोष कहते हैं। कुछ इस पर भी कहें।मेर...सूरदास गाँव को घोष कहते हैं। कुछ इस पर भी कहें।<BR/>मेरा मेल का पता मेरे ब्लॉग में मेरे परिचय के नीचे ही छपा है-<BR/>abodham@gmail.comबोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-2805998679507192522007-08-20T08:19:00.000+05:302007-08-20T08:19:00.000+05:30"मगर किसी ज़माने में यह शब्द महज़ चरवाहों की बैठक ..."मगर किसी ज़माने में यह शब्द महज़ चरवाहों की बैठक के तौर पर जाना जाता था।" <BR/><BR/>लगता है गोविन्द (कृष्ण) ने इस शब्द को गरिमा प्रदान की होगी! वही एक चरवाहा है जिसकी बराबरी सारे गोष्ठीबाज शायद जीवन भर में न कर पायें!<BR/> <BR/>और word verification से मुक्ति दी - धन्यवाद!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-56001842958826179702007-08-20T07:24:00.000+05:302007-08-20T07:24:00.000+05:30गोष्टी मतलब ग्वालों के बैठने की जगह। ..अजब बात है ...गोष्टी मतलब ग्वालों के बैठने की जगह। ..अजब बात है मगर बात तो सही है...जानकारी को आभार.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-91875170002850140762007-08-20T07:14:00.000+05:302007-08-20T07:14:00.000+05:30अच्छा लगा। गोष्टी मतलब ग्वालों के बैठने की जगह। इस...अच्छा लगा। गोष्टी मतलब ग्वालों के बैठने की जगह। इसीलिये गोष्ठियां अपने नाम को चरितार्थ करती हैं आजकल। कहीं कहीं तो तबेलों में बदल जाती हैं।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-44299895683300539762007-08-20T04:18:00.000+05:302007-08-20T04:18:00.000+05:30गो से असंख्य शब्द हैं जो हिंदी में अलग अलग संदर्भो...गो से असंख्य शब्द हैं जो हिंदी में अलग अलग संदर्भों में इस्तेमाल होते हैं जैसे गोशाला, गोबर, गोधन, गोचर, गोधूलि, गोरस आदि. क्या गो से ही बने शब्द गोप और गोपी या गोपिका का संबंध आगे चलकर गोपन, गोपनीय, गुप्त से हुआ...ज़रा विस्तार से प्रकाश डालें.अनामदासhttps://www.blogger.com/profile/06852915599562928728noreply@blogger.com