tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post4903629654417338619..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: संसद में सीटों का बंटवारा [लोकतंत्र-6]अजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-46949554003805175052009-05-14T19:48:00.000+05:302009-05-14T19:48:00.000+05:30बहुत गंभीर, बेहद उम्दा और
विस्मयकारी जानकारी दी आप...बहुत गंभीर, बेहद उम्दा और<br />विस्मयकारी जानकारी दी आपने.<br /><br />सप्रयास समरसता में कर्कशता की<br />अपरिहार्य उपस्थिति की बात अगर<br />समझकर स्वीकार कर ली जाए तो<br />अनेक समस्याएँ सुलझ सकती हैं.<br />===========================<br />आभार<br />डॉ.चन्द्रकुमार जैनDr. Chandra Kumar Jainhttps://www.blogger.com/profile/02585134472703241090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-14951526836631724252009-05-14T17:27:00.000+05:302009-05-14T17:27:00.000+05:30आज बहुत दिनों बाद ब्लाग जगत से रूबरू होने का अवसर ...आज बहुत दिनों बाद ब्लाग जगत से रूबरू होने का अवसर मिला और आपके ज्ञानवर्धक इस आलेख ने बड़ा सुख दिया...<br /><br />रोचक ज्ञानवर्धक आलेख हेतु आभार.रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-65277700447030566402009-05-14T16:40:00.000+05:302009-05-14T16:40:00.000+05:30संसद से होती हुयी पार्षद तक sundar khoj..............संसद से होती हुयी पार्षद तक sundar khoj..............शुक्रियादिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-27375388408820010762009-05-14T13:08:00.000+05:302009-05-14T13:08:00.000+05:30@सुमंत मिश्र
संसद के संदर्भ-सूत्र तक पहुंचाने का आ...@सुमंत मिश्र<br />संसद के संदर्भ-सूत्र तक पहुंचाने का आभार कात्यायनजी। संसद की अर्थवत्ता में सत्य का समावेश स्पष्ट था, पर उसे समय और आकार की सीमाओं की वजह से शामिल नहीं किया। आपके अध्यययन का लाभ सफर को काफी आगे पहुंचा देता है। <br />साभार, अजितअजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-64365636255589966202009-05-14T10:15:00.000+05:302009-05-14T10:15:00.000+05:30ग्राम से संसद तक की जानकारी वह भी सम्पूर्ण , धन्यव...ग्राम से संसद तक की जानकारी वह भी सम्पूर्ण , धन्यवाद बहुत छोटा शब्द है आपकी मेहनत को सराहने के लिएdhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-26361549148356011312009-05-14T09:57:00.000+05:302009-05-14T09:57:00.000+05:30निषाद और उपनिषद भी लपेट लेते.. ऐसे भी उत्तम है!निषाद और उपनिषद भी लपेट लेते.. ऐसे भी उत्तम है!अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-83452966544372480742009-05-14T09:40:00.000+05:302009-05-14T09:40:00.000+05:30सही समय पर सही पोस्ट... बढ़िया है...
:)
सौमित्रसही समय पर सही पोस्ट... बढ़िया है...<br />:)<br />सौमित्रसौमित्रnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-42328680664111841912009-05-14T09:20:00.000+05:302009-05-14T09:20:00.000+05:30सभ्याः सदस्याः पार्षद्याः सभास्ताराः सभासदः’॥
‘साम...सभ्याः सदस्याः पार्षद्याः सभास्ताराः सभासदः’॥<br />‘सामाजिकाः सभा संसत्समाजः परिषत्सदः। "<br /><br />" यह भाव अब कहाँ ? <br /><br />कात्यायन जी ने संसद की व्याख्या से आलेख में चार चाँद लगा दिए | उन्हें भी ज्ञानवर्धन में सहयोग हेतु धन्यवाद |RDShttps://www.blogger.com/profile/14134695386879343906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-9288105156620841842009-05-14T09:19:00.000+05:302009-05-14T09:19:00.000+05:30" सामाजिकाः सभा संसत्समाजः परिषत्सदः। " यह भाव अब ..." सामाजिकाः सभा संसत्समाजः परिषत्सदः। " यह भाव अब कहाँ ? <br /><br />कात्यायन जी ने संसद की व्याख्या से आलेख में चार चाँद लगा दिए | उन्हें भी ज्ञानवर्धन में सहयोग हेतु धन्यवाद |RDShttps://www.blogger.com/profile/14134695386879343906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-46206676449915487232009-05-14T08:06:00.000+05:302009-05-14T08:06:00.000+05:30वाकई गहन मंथन और नयी जानकारियां .वाकई गहन मंथन और नयी जानकारियां .डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-39612274980643403562009-05-14T07:31:00.000+05:302009-05-14T07:31:00.000+05:30ग्राम का अर्थ ठहराव भी होता है(संगीत में इसी अर्थ ...ग्राम का अर्थ ठहराव भी होता है(संगीत में इसी अर्थ में अभी भी जीवित है)। सीट के लिए एक शब्द है ‘आसन्दी’और आसन तथा पीठ भी । एक अन्य शब्द है ‘परिषा’ अर्थात परिधि सीमा बद्धता के अर्थ में। सद का अर्थ सत्य भी होता है, संसद का अर्थ सम्यक सत्य का निर्धारण या निरूपण समवेत या साथ-साथ करनें का स्थान।<br /><br />‘समर्धुकस्तु वरदो व्रातीनाः सड्घजीविनः।<br />सभ्याः सदस्याः पार्षद्याः सभास्ताराः सभासदः’॥<br />‘सामाजिकाः सभा संसत्समाजः परिषत्सदः।<br />पर्षत्समज्या गोष्ठयास्था आस्थानं समितिर्घटा’॥ अभिधानचिन्तामणि ३/१४४ -३/१४५<br /><br />भारत राजनैतिक रूप से विश्व में अग्रणी रहा है। चक्रवर्ती सम्राटों से लेकर लिच्छवी आदि गणतन्त्रो की सुदीर्घ परंपरा थी। अतः तत्समबन्धी शब्दावलि प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। वेद,रामयण,महाभारत,सूत्र ग्रन्थ तथा कौटिल्य का अर्थशास्त्र प्रचुर सामग्री उपलब्ध कराते हैं।सुमन्त मिश्र ‘कात्यायन’https://www.blogger.com/profile/14324507646856271888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-19350841918271624062009-05-14T07:04:00.000+05:302009-05-14T07:04:00.000+05:30बढ़िया व नयी जानकारियां!!
धन्यवाद!!
अक्सर इतनी जा...बढ़िया व नयी जानकारियां!!<br />धन्यवाद!!<br /><br />अक्सर इतनी जानकारी पाकर आपके ब्लॉग पर मेरी मुह पर ताला लग जाता है!!प्रवीण त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/02126789872105792906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-45130616537215185892009-05-14T07:02:00.000+05:302009-05-14T07:02:00.000+05:30बेहतर जानकारी मिली । आभार ।बेहतर जानकारी मिली । आभार ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-75903892861187814802009-05-14T06:26:00.000+05:302009-05-14T06:26:00.000+05:30हमेशा की तरह बहुत बढिया जानकारी. रामराम.हमेशा की तरह बहुत बढिया जानकारी. रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-74588660081607904402009-05-14T05:44:00.000+05:302009-05-14T05:44:00.000+05:30छोटी पंचायत से संसद तक का की शब्दों के सफर यात्रा ...छोटी पंचायत से संसद तक का की शब्दों के सफर यात्रा ज्ञानवर्धक और सभासद से सभापति तक की पोल खोलने में सफल रही।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-80503315251612790752009-05-14T05:38:00.000+05:302009-05-14T05:38:00.000+05:30बडनेरकर जी
गहन समुद्रमंथन के लिए सदा की तरह पुनः...बडनेरकर जी <br /><br />गहन समुद्रमंथन के लिए सदा की तरह पुनः साधुवाद | <br /><br />यदि ग्रस धातु ग्राम की उत्पत्ति करती हुई संग्राम तक पहुँची तब तो संसद का वर्तमान स्वरुप ग्राम शब्द की भावना के ही अनुरूप प्रतीत होता है |परन्तु ग्रस / ग्रसित होने / सिर्फ विवादों के निपटान के लिए सम-ग्राम हो जाना; कुछ अटपटा सा लगा | कृपया इसका मर्म समझाइएगा | <br /><br />मैंने अक्सर पुस्तकों में ग्राम समूहों के लिए जन-पद शब्द का प्रयोग पाया है जन-पद अभी भी राज्य की कार्यपालिका का एक अंग है | जन-पद और सम-ग्राम में क्या भेद रहा होगा, जानने की उत्सुकता है | समाधान आपके अतिरिक्त और कौन कर सकेगा | <br /><br />धन्यवाद |RDShttps://www.blogger.com/profile/14134695386879343906noreply@blogger.com