tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post5144295124328369231..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: तपेदिक की दिक्क़तअजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-71362088806723686302010-12-01T20:54:44.169+05:302010-12-01T20:54:44.169+05:30डॉक्टरसा,
दोनों के अन्तर्संबंधों के बारे में तो को...डॉक्टरसा,<br />दोनों के अन्तर्संबंधों के बारे में तो कोई दो राय ही नहीं है। वह तो है, पर हर शब्द और हर धातु का रिश्ता निकलेगा, यह ज़रूरी नहीं है। दिक् के सेमिटिक अर्थ और दिक् के संस्कृत अर्थों में कोई मेल नहीं है, ना ही भाषाई संदर्भों में किन्ही विद्वानों ने इसका हवाला दिया है। इतना ही कहना चाहता हूं...<br />सादर<br />अजितअजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-45873502784201122322010-12-01T20:26:36.965+05:302010-12-01T20:26:36.965+05:30मेरे विचार से सेमेटिक व इन्डो-योरोपीय दोनों भाषाए...मेरे विचार से सेमेटिक व इन्डो-योरोपीय दोनों भाषाएं एक मूल शाखा--इन्फ़्लेक्टेड-भाषाएं की शाखाएं हैं....अतः दोनों में सम्बन्ध तो है ही... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-11292272893489428262010-12-01T10:06:10.691+05:302010-12-01T10:06:10.691+05:30मेरे विचार से शायद दिशा के लिये दिक...व दिशा व समय...मेरे विचार से शायद दिशा के लिये दिक...व दिशा व समय के लिये सम्मिलित शब्द ’दिक्काल” हिन्दी व कई अन्य प्रादेशिक भाषाओं में प्रयुक्त होता है...<br />-ऎक विचार यह भी--दिक ( दिशा) + कत(संस्क्रत.. कहां, किधर, कौन सी), प्रचीन काल में दिशानिर्धारण में कठिनाई होती थी, जो अने जाने के लिये अत्यन्त आवश्यक था अतः शब्द..दिक्कत का प्रचलन हिन्दी में हुआ होगा... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-19518099852708693572010-11-30T20:43:19.501+05:302010-11-30T20:43:19.501+05:30श्यामजी,
दिक् स्वतंत्र रूप में हिन्दी में प्रचलित ...श्यामजी,<br />दिक् स्वतंत्र रूप में हिन्दी में प्रचलित नहीं है। सिर्फ ध्वनिसाम्य की वजह से सेमिटिक दिक् पर चर्चा करते हुए संस्कृत के दिक् को बीच में ले आना मैने उचित नहीं समझा मैं पोस्ट में भी स्पष्ट कर चुका हूं कि यह सेमिटिक भाषा परिवार का शब्द है। किसी शब्द की चर्चा के सिलसिले में हर मुमकिन संदर्भों का उल्लेख भी करता ही हूं, इससे आप भी परिचित होंगे-पुराने साथी होने के नाते। दिक् पर चर्चा करते हुए एक भी संदर्भ ऐसा नहीं आया है जिससे संस्कृत दिक् की रिश्तेदारी मन में कौंधे। अलबत्ता पहले सिद्धार्थ भाई और अब आपको भी अगर ऐसा महसूस हुआ तो एक पंक्ति ज़रूर लिखी जा सकती है कि -संस्कृत के दिक् से सेमिटिक दिक् का दूर-पास का कोई संबंध नहीं है।<br /><br />दिशा सूचक दिक् पर पहले एक पोस्ट -कै घर , कै परदेस ! लिखी थी। इसके कुछ अन्य आयामों पर आगे कभी प्रयास करूंगा।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-45568849155642342422010-11-30T20:31:19.474+05:302010-11-30T20:31:19.474+05:30सिद्धार्थ ने सही कहा --भाषा चाहे भारोपीय हो या सेम...सिद्धार्थ ने सही कहा --भाषा चाहे भारोपीय हो या सेमेटिक ---शब्द का प्रत्येक अर्थ विष्लेशित किया जाना चाहिये तभी सफ़र पूरा होता है...<br /><br />---इसे राज यक्ष्मा इसलिये कहा जाता था कि--यह मूलतः बादे अमीर, राज परिवारों में होती थी जहा स्त्रियां पर्दे में रहने के कारण (व बच्चे भी--तथा पुरुष सम्पर्क के कारण) खुली वायु व सूर्य की कमी से यक्ष्मा से ग्रसित हो जाती थीं---वेदिक साहित्य में सिर्फ़ यक्ष्मा नाम है. shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-78293859989547330282010-11-30T11:45:53.627+05:302010-11-30T11:45:53.627+05:30कोइ दिक्कत नही आयी समझने मे। अच्छे आलेख के लिये बध...कोइ दिक्कत नही आयी समझने मे। अच्छे आलेख के लिये बधाई।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-65626747051377193622010-11-30T02:26:30.472+05:302010-11-30T02:26:30.472+05:30@सोमेश
ध्यान दिलाने के लिए शुक्रिया सोमेश भाई।@सोमेश<br />ध्यान दिलाने के लिए शुक्रिया सोमेश भाई।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-33339090307659620712010-11-29T21:09:06.737+05:302010-11-29T21:09:06.737+05:30बहुत शुक्रिया सिद्धार्थ भाई,
दिक् के दिशासूचक अर्...बहुत शुक्रिया सिद्धार्थ भाई,<br /><br />दिक् के दिशासूचक अर्थों पर शब्दों का सफर की किसी पोस्ट में लिखा है। विविध आयामों पर आगे भी लिखूंगा। यहां जिस दिक् का उल्लेख है वह भारोपीय भाषा परिवार का दिक् न होकर सेमिटिक भाषा परिवार का है।<br /><br />-- <br />शुभकामनाओं सहित<br />अजितअजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-71963019028210869892010-11-29T20:01:49.351+05:302010-11-29T20:01:49.351+05:30दिक् का एक अर्थ दिशा से भी है। दिक्सूची, चतुर्दि...दिक् का एक अर्थ दिशा से भी है। दिक्सूची, चतुर्दिक्, दिक्-काल इत्यादि। कभी इसका विश्लेषण भी करें।<br /><br />निस्संदेह आप बहुत बड़ा काम कर रहे हैं।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-49937864860841700372010-11-29T17:32:14.170+05:302010-11-29T17:32:14.170+05:30पंजाबी में भी दिक करना का मतलब परेशान करना होता है...पंजाबी में भी दिक करना का मतलब परेशान करना होता है. पहले लोग इस बीमारी से इतना घबराते थे कि इसका कोई नाम नहीं लेते थे. इस लिए पंजाबी लोग इसको 'दूआ बखार'( दूसरा बखार) कहते थे अर्थात ऐसा बुखार जिस का नाम नहीं लेना. नफरत से पंजाबी लोग बनस्पति घी को भी पहले पहले 'दूआ घी' कहते थे.Baljit Basihttps://www.blogger.com/profile/11378291148982269202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-56282955884823767832010-11-29T10:06:59.512+05:302010-11-29T10:06:59.512+05:30'दिक्क़त ये है कि 'सोच' को 'शब्दो...'दिक्क़त ये है कि 'सोच' को 'शब्दों' की ज़रूरत,<br />और शब्दों को 'संस्कार' की 'मूल्यों' की ज़रूरत.<br /><br />'ख़ूबी' भी 'ख़राबी भी छुपी एक ही 'दिक्' में<br />'तप' मौत का कारण भी है, जीने की ज़रूरत.<br /><br />'शब्दों' की गिज़ा मिलती है 'शब्दों के सफ़र' में,<br />'Dic* चाहिए हमको न है 'कोषों' की ज़रूरत.Mansoor ali Hashmihttps://www.blogger.com/profile/09018351936262646974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-61437564025490378552010-11-29T05:21:39.615+05:302010-11-29T05:21:39.615+05:30झारखण्ड बनने के बाद एक नारा चला था 'दिकू राज न...झारखण्ड बनने के बाद एक नारा चला था 'दिकू राज नहीं चलेगा'. जिसका मतलब था कि बाहरी लोगों को भगा दिया जाय. दिकू का मतलब हमें पता नहीं था. हमने मतलब निकला था 'दिक्कत करने वाला' या फिर 'दूसरा कोई'. आपकी पोस्ट से याद आया और थोडा क्लियर भी हुआ.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-82042015603703198442010-11-29T02:15:55.671+05:302010-11-29T02:15:55.671+05:30शब्दों की व्युत्पत्ति और विश्लेषण का आपका ढंग आनन्...शब्दों की व्युत्पत्ति और विश्लेषण का आपका ढंग आनन्ददायक भी होता है.धन्यवाद आपको !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-84846854312762867572010-11-28T23:49:44.699+05:302010-11-28T23:49:44.699+05:30कई भाषाओं से बना और पीड़ा भी सबको पहुँचाता।कई भाषाओं से बना और पीड़ा भी सबको पहुँचाता।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-87507792500041455222010-11-28T23:09:33.922+05:302010-11-28T23:09:33.922+05:30शब्दों की गहन जानकारी के लिए आपके ब्लॉग पर आना सार...शब्दों की गहन जानकारी के लिए आपके ब्लॉग पर आना सार्थक हो जाता है ...बहुत सही प्रयास है आपका ..जानकारी ज्ञानवर्धक है..शुभकामनायें<br /><br />चलते -चलते पर आपका स्वागत हैकेवल रामhttps://www.blogger.com/profile/04943896768036367102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-55057229456770626582010-11-28T23:00:25.979+05:302010-11-28T23:00:25.979+05:30तपेदिक और दिक्क़त के बारे में इस जानकारी के लिए धन्...तपेदिक और दिक्क़त के बारे में इस जानकारी के लिए धन्यवाद।<br /><br />आपने जो लाल फीते का चिन्ह लगाया है वह एच आई वी एड्स के प्रयुक्त होता है उसका इस लेख से प्रत्यक्ष संबंध स्पष्ट नहीं हो रहा है।सोमेश सक्सेना https://www.blogger.com/profile/02334498143436997924noreply@blogger.com