tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post6431246459532815504..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: विनय की परखअजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-38725665253151498662007-10-18T07:56:00.000+05:302007-10-18T07:56:00.000+05:30जिस जीव में जितनी विनयशीलता होती है उतना ही वह अपन...<B>जिस जीव में जितनी विनयशीलता होती है उतना ही वह अपने अंदर के ब्रह्म के निकट पहुंच जाता है।</B>सुंदर बात!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-33561070916682227802007-10-15T15:50:00.000+05:302007-10-15T15:50:00.000+05:30अनुपम आध्यात्मिक व्याख्या प्रस्तुत की है आपने विनय...अनुपम आध्यात्मिक व्याख्या प्रस्तुत की है आपने विनय की। इस अर्थ को पढ़ने के बाद प्रार्थना की इन पंक्तियों का मूल्य और भी बढ़ जाता है - <BR/><BR/>"हे प्रभु आनन्ददाता, विनय हमको दीजिए।<BR/>लीजिए हमको शरण में, विनय हमको दीजिए।"Srijan Shilpihttps://www.blogger.com/profile/09572653139404767167noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-29017243545486401862007-10-15T10:14:00.000+05:302007-10-15T10:14:00.000+05:30ज्ञानवर्धक.ज्ञानवर्धक.काकेशhttps://www.blogger.com/profile/12211852020131151179noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-31848224989900045012007-10-15T09:00:00.000+05:302007-10-15T09:00:00.000+05:30क्या बात है अजित भाई.. क्या व्याख्या की है विनय की...क्या बात है अजित भाई.. क्या व्याख्या की है विनय की.. बहुत दिनों बाद पढ़ रहा हूँ आपको.. काफ़ी माल इकट्ठा कर दिया है आपने..अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.com