tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post6784882199663857707..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: भगदड़ के बाद चढ़ दौड़नाअजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-44524354590541743082011-11-03T01:49:11.303+05:302011-11-03T01:49:11.303+05:30आपके सफल ब्लॉग के लिए साधुवाद!
हिंदी भाषा-विद एवं ...आपके सफल ब्लॉग के लिए साधुवाद!<br />हिंदी भाषा-विद एवं साहित्य-साधकों का ब्लॉग में स्वागत है.....<br />कृपया अपनी राय दर्ज कीजिए.....<br />टिपण्णी/सदस्यता के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें....<br />http://pgnaman.blogspot.com<br />हरियाणवी बोली के साहित्य-साधक अपनी टिपण्णी/सदस्यता के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें....<br />http://haryanaaurharyanavi.blogspot.comGhazalguru.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/18051994014220347297noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-82061740964950127522011-10-30T00:45:22.550+05:302011-10-30T00:45:22.550+05:30हर कोई दौडा-दौडा आएगा आपकी यह पोस्ट पढने के लिए।हर कोई दौडा-दौडा आएगा आपकी यह पोस्ट पढने के लिए।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-90818251042943120052011-10-29T20:23:30.789+05:302011-10-29T20:23:30.789+05:30# 'सांढ़ो' के दौड़ने से यहाँ, 'भगदड़&...# 'सांढ़ो' के दौड़ने से यहाँ, 'भगदड़' मची हुई ,<br /> कोई पलट गया है तो ठिठका कोई कही,<br /> दंगे के वास्ते क्या फिज़ा साज़गार है !<br /> 'सट्टे' की बन्द दुकाने अचानक ही चल पडी.<br /><br /><br /># ताकतवरो की बस्ती में कमजोर लोगों की 'बहादुरी' का एक नमूना:-<br /> <br />बदमशो का तीन का 'टोला' और हम 'केवल' तेरह,<br /> एसे हम 'भागे' कि बस कर दिया था उनको हैराँ !<br /><br />[मूल रूप से गुजराती में यूं प्रचलित है: <br />"बदमशो नू त्रण नु टोलू अने अमो फक़त तेर, एह्वा भाग्या - एह्वा भाग्या कि लुच्चाओं जौताज [देख्ताज] रही गया" ! <br /><br />http://aatm-manthan.comMansoor ali Hashmihttps://www.blogger.com/profile/09018351936262646974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-78713302106463338512011-10-29T18:51:32.925+05:302011-10-29T18:51:32.925+05:30आपसे निवेदन है कि हडकंप के बारे में भी कुछ प्रकाश ...आपसे निवेदन है कि हडकंप के बारे में भी कुछ प्रकाश डालेंपंकज मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/05619749578471029423noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-50774209391924110502011-10-29T16:35:27.066+05:302011-10-29T16:35:27.066+05:30वाह-वाह, इस सफर में क्या दौड़ लगायी है आपने !!
दौड...वाह-वाह, इस सफर में क्या दौड़ लगायी है आपने !!<br />दौड़ पड़ना, दौड़ा लेना, अक्ल के घोड़े दौड़ाना, आदमी दौड़ाना का सूक्ष्म अर्थ भी बता दें।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-60894992910674454012011-10-29T13:02:46.932+05:302011-10-29T13:02:46.932+05:30शब्दों का सफ़र सार्थक जा रहा है .....
आभार!शब्दों का सफ़र सार्थक जा रहा है .....<br />आभार!अशोक सलूजाhttps://www.blogger.com/profile/17024308581575034257noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-66699046979951862762011-10-29T08:03:45.558+05:302011-10-29T08:03:45.558+05:30यही भागदौड़ हमारी जीवन की भगदड़ बन गयी है।यही भागदौड़ हमारी जीवन की भगदड़ बन गयी है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-17254259888910943212011-10-29T07:09:59.992+05:302011-10-29T07:09:59.992+05:30बहुत बढ़िया!
मंगलकामनाएँ!बहुत बढ़िया!<br />मंगलकामनाएँ!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-76557203634847188492011-10-29T00:37:17.248+05:302011-10-29T00:37:17.248+05:30बढ़िया…भोजपुरी में अभी भी जिनपर हिन्दी का रंग कम च...बढ़िया…भोजपुरी में अभी भी जिनपर हिन्दी का रंग कम चढ़ा है या नहीं चढ़ा है, धउर/ड़ दौड़ के लिए बोलते हैं…जिसमें धौरना का भाव दिखता है…चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.com