tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post6850912930610168018..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: घर-गिरस्ती की रस्सियाँअजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-4552222065417549302011-09-27T17:36:36.798+05:302011-09-27T17:36:36.798+05:30ज़ौक का एक शेअर हाज़िर है यहाँ असबाब शब्द कारण के अर...ज़ौक का एक शेअर हाज़िर है यहाँ असबाब शब्द कारण के अर्थों में आया है.:<br />नाम मकबूल हो तो फैज़ के असबाब बना<br />पुल बना, चाह बना, मस्जिद-ओ-तालाब बना <br />मताअ शब्द पंजाबी में इस्तेमाल होता है, खाने वाली खास चीज़ के लिए लेकिन कुछ सीमित से सन्दर्भ में जैसे ,'क्या बैंगन के पीछे पड़ा है, यह कोई मताअ है.'<br />-बलजीत बासीAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-22579102737636757032011-09-26T04:22:26.460+05:302011-09-26T04:22:26.460+05:30आपकी इस पोस्ट ने जानकारियों, सन्दर्भों और सूचनाओ...आपकी इस पोस्ट ने जानकारियों, सन्दर्भों और सूचनाओं से मालामाल कर दिया। शुक्रिया अजित भाई। आपको पढना सुखद और अपने अधूरेपन को कम करनवाला होता है।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-74680051102361219532011-09-25T22:38:59.879+05:302011-09-25T22:38:59.879+05:30रोचक और ज्ञानवर्द्धक
जानकारी के लिए
शुक्रिया .रोचक और ज्ञानवर्द्धक <br />जानकारी के लिए <br />शुक्रिया .daanishhttps://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-23396419512190451352011-09-23T20:56:23.187+05:302011-09-23T20:56:23.187+05:30गो धन, गज धन, वारि धन और रतन धन खान
जब आवे संतोष ...गो धन, गज धन, वारि धन और रतन धन खान <br />जब आवे संतोष धन सब धन धूरि समान ।<br />आप के इस पोस्ट से पशुओं को धन मानने की बात का बढिया खुलासा हो गया । सबब, असबाब इनका तंबू और रस्सी से रिश्ता भी आपने खूब बताया । आपकी हर पोस्ट नये नये विषयों की व्यवस्थित जानकारी देती है । आपके किताब की एक कॉपी मेरे लिये जरूर सुरक्षित रखें । नवंबर १६ के बाद जरूर लेना चाहूंगी जब भारत वापिस पहुंचना होगा ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-24238252443959080512011-09-23T18:13:37.267+05:302011-09-23T18:13:37.267+05:30# 'उसको' भी हमने 'माल' कहा था कभी ...# 'उसको' भी हमने 'माल' कहा था कभी ए दोस्त,<br /> जिसके 'सबब' हम आज कहाए कंगाल है.<br /><br />----------------------------------------------------------------------<br /><br />जिस 'माल'* ने बनाया हमें 'मालामाल' है, *पशु-धन <br /> किस दर्जा आज देखो तो वो पाएमाल है.<br /><br />....... आगे और भी ...http://aatm-manthan.com पर.Mansoor ali Hashmihttps://www.blogger.com/profile/09018351936262646974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-36912774301497114042011-09-23T11:55:50.130+05:302011-09-23T11:55:50.130+05:30अजित जी, मैं अक्सर यहाँ आता हूँ ,और बहुत कुछ यहाँ ...अजित जी, मैं अक्सर यहाँ आता हूँ ,और बहुत कुछ यहाँ से ले के जाता हूँ |पर टिप्पणी के लायक अपने को नही पाता| मन ही मन आप का आभार करता हूँ | पर आज लिख कर करने की हिम्मत कर रहा हूँ | इस उम्र मैं बहुत कुछ सीख रहा हूँ ,यहाँ से ....<br />आभार और आशीर्वाद !अशोक सलूजाhttps://www.blogger.com/profile/17024308581575034257noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-87116081518740979752011-09-23T08:45:58.805+05:302011-09-23T08:45:58.805+05:30क्या कहें, बस गजब यानि गजब.क्या कहें, बस गजब यानि गजब.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-75511501364258965882011-09-23T08:04:36.472+05:302011-09-23T08:04:36.472+05:30तम्बू तो जीवन भर के लिये गड़ जाता है यहाँ पर।तम्बू तो जीवन भर के लिये गड़ जाता है यहाँ पर।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-25740602001838515912011-09-23T01:16:41.887+05:302011-09-23T01:16:41.887+05:30इस बार की यात्रा ठीक लगी। वैसे असबाब का अर्थ, जैसा...इस बार की यात्रा ठीक लगी। वैसे असबाब का अर्थ, जैसा कि मुझे सुनने को मिलता है, अशर्फ़ी या महंगी चीज से जुड़ा लगता है। मैंने भोजपुरी में इसका प्रयोग देखा है एक-दो बार, तो ऐसा लगा कि इसका अर्थ मूल्यवान वस्तुओं आदि से जुड़ा होना चाहिए।चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.com