tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post6916477291350343840..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: और शिवजी उतर आए ब्लागगीरी पर [बकलमखुद -24]अजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-21601022700281347232008-05-01T15:35:00.000+05:302008-05-01T15:35:00.000+05:30प्रमोद सिंह (अजदक) मेरे युवा जमाने से प्रिय लेखक र...प्रमोद सिंह (अजदक) मेरे युवा जमाने से प्रिय लेखक रहे हैं। यहां शिव से उनकी नोक-झोंक पढ़ना बहुत रोचक लगा। मैं वक्र टिप्पणी करना चाहता था, पर शिव ने ही मना कर दिया। <BR/>शिव दिनकर जी को पढ़ कर बड़े आदमी बने हों या न बने हों, पर वक्र टिप्पणी करने को मना करने से वे बड़मनई जरूर हो गये! <BR/>चलिये, शिव छोटे भाई हैं - इसलिये इससे ज्यादा भाव नहीं देना चाहिये! :)Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-28018412422119075732008-05-01T13:41:00.000+05:302008-05-01T13:41:00.000+05:30सुकुल जी ने एक्दम सही बात कही, अपन उनसे सहमत हैं।सुकुल जी ने एक्दम सही बात कही, अपन उनसे सहमत हैं।Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-11743197443671574942008-05-01T12:54:00.000+05:302008-05-01T12:54:00.000+05:30रोचक. अगली कड़ी का इंतजार है.रोचक. अगली कड़ी का इंतजार है.Ghost Busterhttps://www.blogger.com/profile/02298445921360730184noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-83567110044436210672008-05-01T07:24:00.000+05:302008-05-01T07:24:00.000+05:30चलाए रहिए अभी सही जा रहा है।चलाए रहिए अभी सही जा रहा है।Batangadhttps://www.blogger.com/profile/08704724609304463345noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-24133531804335933432008-04-30T23:24:00.000+05:302008-04-30T23:24:00.000+05:30@मिसरा जी, सुकुल जी सही कह रहे हैं. जिनगानी की कह...@मिसरा जी, सुकुल जी सही कह रहे हैं. जिनगानी की कहानी दी एंडिन छुय रही हो तो कुछ मनगढ़ंते, कल्पटंटे सजाय डालिये.. दुय किस्त अऊर चढ़ाय डालिये.. एतना कल्पनाशील आप हैं, और एतना ऐंठों है कि कोई कहे का कोसिस करेगा कि मनगढ़त लिख रहे हैं त लखेदो लेंगे.. लेंगे ना?azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-19350686824283375602008-04-30T22:31:00.000+05:302008-04-30T22:31:00.000+05:30उत्तम है जी। जेतना अच्छा ये वाला पोस्ट पढ़ने में लग...उत्तम है जी। जेतना अच्छा ये वाला पोस्ट पढ़ने में लगा उससे खराब ये लग रहा है कि अगली पोस्ट आखिरी होगी इस सिलसिले की। फिर से चलाइये न!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-75389149554128861452008-04-30T21:50:00.000+05:302008-04-30T21:50:00.000+05:30@ प्रमोद जी,आपने दिनकर जी को नहीं पढा तो पैजामा मे...@ प्रमोद जी,<BR/><BR/>आपने दिनकर जी को नहीं पढा तो पैजामा में चुनौटी खोंस कर नहीं टहलते...हम तो पहले चुनौटी खोंस कर टहलते थे...दिनकर जी की कवितायें पढ़ने के बाद चुनौटी खोंसकर टहलने की आदत चली गई....इसलिए कहते हैं कि कवि समाज का भला ही करता है...सब का...जो नहीं पढे उसका भी...और जो पढ़ ले, उसका भी...दिनकर जी से हमदोनो ने लाभ लिया...आख़िर हम ब्लॉगर जो ठहरे.....:-)Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-7757173114847061752008-04-30T20:29:00.000+05:302008-04-30T20:29:00.000+05:30बड़े भैया ने प्रतिभा तलाश की और पुराणिक जी ने अपनी...बड़े भैया ने प्रतिभा तलाश की और पुराणिक जी ने अपनी मंडली में डाल लिया। जरा शिव जी बताएंगे उन्होंने क्या किया?दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-72236671309868958512008-04-30T20:14:00.001+05:302008-04-30T20:14:00.001+05:30इतनी टिप्पणियाँ देखकर हम भी एक टिपण्णी किये देते ह...इतनी टिप्पणियाँ देखकर हम भी एक <B><I>टिपण्णी</I></B> किये देते हैं :)RC Mishrahttps://www.blogger.com/profile/06785139648164218509noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-67835191819517897222008-04-30T20:14:00.000+05:302008-04-30T20:14:00.000+05:30बडा अच्छा असर हुआ हिन्डी साहित्य के मूर्धन्य लिखने...बडा अच्छा असर हुआ हिन्डी साहित्य के मूर्धन्य लिखनेवालोँ की प्रेरणा से आप भी लिखने लगे<BR/>शिव भाई ..अच्छी रही जीवन गाथा ..<BR/>-- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-69292604896431749212008-04-30T19:51:00.001+05:302008-04-30T19:51:00.001+05:30सही है-कभी इत्मिनान से बैठकर आपसे उड़न तश्तरी और दू...सही है-कभी इत्मिनान से बैठकर आपसे उड़न तश्तरी और दूसरी दुनिया की गाथायें भी सुनेंगे..सही चल रहा है बकलमखुद-अगली कड़ी का इन्तजार है.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-7145676846243169732008-04-30T19:51:00.000+05:302008-04-30T19:51:00.000+05:30शैली की वही सरस और सुलझी हुई पकड़.परसाई जी को पढ़न...शैली की वही सरस <BR/>और सुलझी हुई पकड़.<BR/>परसाई जी को पढ़ने का प्रभाव <BR/>साफ़ दिख रहा है.<BR/>ब्लॉग-दुनिया में अपनी दस्तक को भी <BR/>आपने रंजक और व्यंजक बनाकर <BR/>पेश कर दिया ....... चटपटा तो है ही <BR/>रतलामी एफेक्ट जो है!<BR/>============================<BR/>बुद्धि से दूर का नाता <BR/>कल्याणकारी है मिसिर जी.<BR/>इसीलिए तो हृदय से सगे नाते के <BR/>अधिकारी बन गये है आप!<BR/>लेकिन बुद्धि पर आपके बयान में भी <BR/>व्यंग्य की धार सिर चढ़ कर बोल रही है.<BR/>सच कह रहा हूँ ..... <BR/>बुद्धि से नहीं .....दिल से!<BR/>=============================<BR/>बधाई<BR/>डा.चंद्रकुमार जैनDr. Chandra Kumar Jainhttps://www.blogger.com/profile/02585134472703241090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-75834483218318720242008-04-30T19:48:00.000+05:302008-04-30T19:48:00.000+05:30ग़ज़ल गीत पढने का शौक तो बचपन से था लेकिन लिखने का न...ग़ज़ल गीत पढने का शौक तो बचपन से था लेकिन लिखने का नहीं. एक बार अचानक लिखना शुरू किया और अपनी ग़ज़लें ई -बज्म पर डालनी शुरू की तो सिलसिला चल निकला. वहीं शिव अपनी टिप्पणियों से लोगों की टांग खिचाई करने आया करते थे. मेरी एक ग़ज़ल पढी देखा कोई नयी मुर्गी हैतो टांग खिचाई के लिए लिख दिया की नीरज जी आप की रचना पड़ कर राजेश रेड्डी की याद आ जाती है.हम समझ गए की जनाब फुर्की खींच रहे हैं. हमने भी अनजान बन कर अपनी तारीफ सुन ली और राजेश रेड्डी जो किस्मत से मेरे बाल सखा रह चुके हैं अपनी तुलना भी मंजूर कर ली. बस फ़िर जो आपस में मेल मेल लिखने का खेल चला वो अब तक जारी है.सोचता हूँ किसी दिन उन सब को एक साथ लिख कर एक पोस्ट बना दूँ.<BR/>शिव में गज़ब की प्रतिभा है और मैं मानता हूँ की मुझे ग़ज़ल लिखने से अगर कोई फाइदा हुआ है तो वो है शिव से सम्पर्क होना. ऐसे व्यक्ति जीवन में बहुत मुश्किल से मिला करते हैं. उसी ने मुझे ब्लॉग जगत में धकेला और आज जो चार लोग मेरे नाम से वाकिफ हैं वो सब उसी की वजह से हैं.<BR/>वो हमेशा खुश रहे ये ही मेरी दुआ है.<BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-23122721867258107462008-04-30T19:45:00.000+05:302008-04-30T19:45:00.000+05:30देख रहे हैं दिनकर की कवितायें पढ़कर केतना बड़का अम...देख रहे हैं दिनकर की कवितायें पढ़कर केतना बड़का अमदी बन गये.. खैनी-सैनी छूट गया? कि अभी भी पैजामा में चुनौटी खोंसे हुए टहलते हैं?..<BR/>मैं नहीं टहलता हूं.. माने चुनौटी खोंसकर.. दिनकर की कविता न पढ़ने का इतना फ़ायदा हुआ..azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-29208325069878828672008-04-30T19:14:00.000+05:302008-04-30T19:14:00.000+05:30तो आप भी आलोक जी के बिगाडे हुये है,वो हमे भी इधर ह...तो आप भी आलोक जी के बिगाडे हुये है,वो हमे भी इधर ही जाने के लिये धकियाते रहते है,पर हम है कि सुधर कर नही देते,हमे लगता है कि अगर यथो नाम तथो गुण यानी ब्लोग के नामानुसार पंगा नही लिया तो, इमेज खराब हो जायेगी, कई बार तो उन्ही से पंगा ले आते है जी :)Arun Arorahttps://www.blogger.com/profile/14008981410776905608noreply@blogger.com