tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post6942521275351586157..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: अलाव की साँझी सत्ता…अजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-69950695581067928912012-02-15T17:04:51.058+05:302012-02-15T17:04:51.058+05:30'अलाव' साझा है सभ्यता का,
दिलो में अपन...'अलाव' साझा है सभ्यता का,<br /> दिलो में अपने जो जल रहा है,<br /> सहिष्णुता जब बचा रखी है,<br /> तभी तो दुश्मन विफल रहा है.<br /> ------------------------------------------<br /> अलाव' चिंतन का जल रहा है,<br /> पुलाव ख्यालो का पक रहा है.<br /> है लाल, पीली, सफ़ेद अग्नि,<br /> जो ढूँढा जिसने वो मिल रहा है.<br /> --------------------------------------<br /><br /> और 'वेलेंटाइन डे' की मुनासिबत से:-:<br /><br /> 'जवान' ले-दे रहे है 'गुल' जब, <br /> इक बूढ़ा 'monkey' उछल रहा है.Mansoor Alinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-32824897449439642012-02-14T23:37:34.408+05:302012-02-14T23:37:34.408+05:30@श्रीयुत श्याम गुप्ताजी
आपको भाषा विज्ञान की प्रकृ...@श्रीयुत श्याम गुप्ताजी<br />आपको भाषा विज्ञान की प्रकृति का अंदाज़ा तक नहीं है ।<br /><br />आप विभिन्न मंचों पर शब्दों का सफर की आलोचना करते रहे हैं ।<br />फिर बारम्बार इस गली में क्योंकर आते हैं महाराज ?<br />कई बार आपसे निवेदन कर चुका हूँ ।<br />हम आपकी पंक्ति के नहीं हैं...ये सफ़र आपके लायक नहीं ...<br />कृपया खुद का और दूसरों का समय बर्बाद न करें ।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-73550990073092473852012-02-14T17:51:30.453+05:302012-02-14T17:51:30.453+05:30@राजेन्द्र गुप्त्ता
शब्दों के रूप विकास के साथ उस ...@राजेन्द्र गुप्त्ता<br />शब्दों के रूप विकास के साथ उस के भीतर की मूल धातु की पहचान विविध धरातलों पर की जानी ज़रूरी होती है । मसलन आप जो रूप-विकास बता रहे हैं , उसकी वह वह ज्वल् धातु पर आधारित है । ज्वल् की मौजूदगी और फिर ज़ेंद में मौजूद अलाव से उसका साम्य देखना ज़रूरी होगा ।<br /><br />ज्वाल का सहज विकास ज्वल > जाल होगा । इससे जलाना क्रिया बनी है।<br />दूसरा रूप<br />ज्वाल > वाल > बाल होगी जिससे बालना क्रिया बनी है । उबालना में इसे देख सकते हैं ।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-51301967621196229192012-02-14T09:46:57.338+05:302012-02-14T09:46:57.338+05:30अलाव को अगर ऐसे जलाया जाए तो कैसा रहेगा:
ज्वाल >...अलाव को अगर ऐसे जलाया जाए तो कैसा रहेगा:<br />ज्वाल > जलाव > यलाव > अलावराजेंद्र गुप्ता Rajendra Guptahttps://www.blogger.com/profile/01811091966460872948noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-72573006604632506082012-02-14T06:33:35.494+05:302012-02-14T06:33:35.494+05:30बहुत सुन्दर पोस्ट!बहुत सुन्दर पोस्ट!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-68750505646506704292012-02-13T22:04:26.077+05:302012-02-13T22:04:26.077+05:30अग्नि का एक ही स्वरूप, सब ओर, पुरातन शब्दों में एक...अग्नि का एक ही स्वरूप, सब ओर, पुरातन शब्दों में एक..प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com