tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post7180483149370178491..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: मेरा शोक, अशोक....अजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-75764595461989440732007-11-09T03:27:00.000+05:302007-11-09T03:27:00.000+05:30आप सभी शुभचिंतकों का तहे दिल से आभारी हूं। आप सबकी...आप सभी शुभचिंतकों का तहे दिल से आभारी हूं। आप सबकी हौसलाअफजाई से ही सफर लगातार जारी है। इंशाअल्लाह, रहेगा भी। <BR/>संजीत भाई, कष्ट सबसे बड़ा यही है कि ब्लागस्पाट की साइट्स अब भी नहीं खुल रही हैं।मेरे पास बीएसएनएल का कनेक्शन है और मैं इसी नतीजे पर पहुंचा हूं कि ये वहीं से ब्लाक की जा रही हैं। इस बाबत एक जानकार ने भी मुझे ठोस संकेत दिया है।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-22604145375850131772007-11-08T14:06:00.000+05:302007-11-08T14:06:00.000+05:30प्रभु यह तो सच में एक बड़ा नुकसान है!!अभय जी सही कह...प्रभु यह तो सच में एक बड़ा नुकसान है!!<BR/><BR/>अभय जी सही कह रहे हैं यदि ठीक ऐसा ही मेरे साथ हुआ होता तो या तो सुधारक महोदय का बैंड बजा रहा होता या फ़िर बैठ कर चिंतन कर रहा होता कि शायद प्रभु को यही मंजूर था!!!<BR/><BR/>आप पर विश्वास है कि आप दुगुने उत्साह से अपने इस कार्य मे जुट जाएंगे!!<BR/><BR/>और हां ब्लॉगस्पॉट अब सही दिख रहा है?<BR/>शुभकामनाएंSanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-43343105192187860312007-11-08T11:14:00.000+05:302007-11-08T11:14:00.000+05:30बड़ा सदमा है आपके लिए अजित भाई। और हमारे लिए बड़ा ...बड़ा सदमा है आपके लिए अजित भाई। और हमारे लिए बड़ा नुकसान। आपकी मेहनत का मोल हम समझते हैं। तकलीफ यह है कि 'बीती ताहि बिसारि दे ..." कहकर खुद को फुसलाया भी नहीं जा सकता।Ashok Pandehttps://www.blogger.com/profile/03581812032169531479noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-68191403299931292762007-11-08T07:52:00.000+05:302007-11-08T07:52:00.000+05:30आपका दुख समझ सकता हूँ, हम भी करीब ३ महीने के बाद उ...आपका दुख समझ सकता हूँ, हम भी करीब ३ महीने के बाद उदय हए तो अपना सूचकांक ढूँढे नही मिला, कुछ एक आध टिप्पणीकार आते थे वो अभी तक हमें पहचान नही पायें हैं कि हम ही हैं।<BR/>अगली बार से बैकअप और ओरिजिनल दोनों में साथ साथ काम जारी रखियेगा।Tarunhttps://www.blogger.com/profile/00455857004125328718noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-33841991802976530782007-11-08T06:27:00.000+05:302007-11-08T06:27:00.000+05:30हे भगवन.. ये तो बहुत बड़ा नुक्सान हो गया.. आप की जग...हे भगवन.. ये तो बहुत बड़ा नुक्सान हो गया.. <BR/>आप की जगह मैं होता तो सुधारक महोदय शहर छोड़कर पलायन कर चुके होते मेरे रौद्र रूप को देखकर.. <BR/>पर फिर मैं समझाता स्वयं को.. कि शायद ईश्वर एक नए सिरे से काम को करने की इच्छा प्रगट कर रहा है.. कोई एक पहलू ऐसा था जो मैंने अनदेखा कर दिया था अपने अतिउत्साह में.. इस बार उसे भी समेट लूँगा.. <BR/><BR/>अजित भाई.. मुझे उम्मीद है आप इस क्षति के बावजूद अपने बेजोड़ काम को जारी रखेंगे.. एक नए उत्साह के साथ..अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-39038319874333157852007-11-08T06:25:00.000+05:302007-11-08T06:25:00.000+05:30आपकी पीड़ा देख मेरे आँखों में आंसू आ गये. कंठ अवरुद...आपकी पीड़ा देख मेरे आँखों में आंसू आ गये. कंठ अवरुद्ध हो चला. पता नहीं कितना वक्त लगे सामान्य होने में.<BR/><BR/>यही तो परेशानी है अति संवेदनशील व्यक्ति की.<BR/><BR/>वैसे ८०० पोस्ट का मसाला उड़ गया है, इस बात से मैं तनिक भी उत्साहित नहीं हूँ. काहे से कि जो व्यक्ति ८०० पोस्ट का मसाला हार्ड ड्राईव में धरे है. कम से कम ८००० पोस्ट का मसाला दिमाग में धरे होगा गी. हम दो आने वाली पोस्ट रल्क कर निश्चिंत रहते हैं कि ४ का मसाला पक रहा है.<BR/><BR/>ईश्वर शक्ति दे. आपको लिखते रहने की और हमें पढ़ते रहने की.<BR/><BR/>संभालो अपने आपको ऐसे शोक के समय-वरना चिट्ठा परिवार को ढ़ाढ़स कौन बंधवायेगा.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-1649834103460854492007-11-08T06:05:00.000+05:302007-11-08T06:05:00.000+05:30हमारी समवेदना आपके साथ हैं । आप के उत्साह के नवीनी...हमारी समवेदना आपके साथ हैं । आप के उत्साह के नवीनीकरण के लिये प्रार्थना करेंगे । जल्दी ही शब्दो का सफर फिर शुरू होगा इस आशा के साथ<BR/>आपको दीपावली की शुभ कामनाएँ ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-24235409501081763992007-11-08T05:57:00.000+05:302007-11-08T05:57:00.000+05:30कंप्यूटर अक्सर ऎसा कर देता है जी.हमारे साथ क़ई बार ...कंप्यूटर अक्सर ऎसा कर देता है जी.हमारे साथ क़ई बार ऎसा हो चुका है. हमें आपके साथ पूरी सहानुभूति. जल्दी से आप फिर से उसी उत्साह से लौटें. डीपावली की ढेरों शुभकामनाओं के साथ.<BR/><BR/>काकेशकाकेशhttps://www.blogger.com/profile/12211852020131151179noreply@blogger.com