tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post7292685669625652566..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: घास चरने से ही कुशाग्र बुद्धिअजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-5471461145366638242008-01-07T08:01:00.000+05:302008-01-07T08:01:00.000+05:30अजित जी, दूब व कुशा दोनों अलग अलग तरह की घासें हैं...अजित जी, दूब व कुशा दोनों अलग अलग तरह की घासें हैं। कुशा का तना बीच में से चीरे हुए बांस जैसा होता है इस कारण से उस पर उंगलियां भी नहीं फेरी जा सकती हैं। इस का अग्र भाग नुकीला और तनिक कठोर होता है। मान्यता है कि ग्रहण के सूतक के आरम्भ के पूर्व इस के तिनके खाद्य पदार्थों में रख देने से उन पर ग्रहण का प्रभाव नहीं होता है। इस के आसन बनाए जाते हैं जिन का उपयोग पूजा के समय किया जाता है। इस के बिना तर्पण, श्राद्ध पूरा नहीं किया जा सकता है। <BR/>इस के विपरीत दूब नरम घास होती है। उस के बिना कोई पूजा पूर्ण नहीं होती, इसे सब जानते हैं। इसका अग्र भाग अत्यन्त कोमल होता है। <BR/>वैसे घासों की महिमा अपरम्पार है। इन के बिना मानव जीवन सम्भवतः इतना विकास ही न कर पाता। सब से पौष्टिक खाद्य पदार्थ गेहूँ भी एक प्रकार की घास ही है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-20027067041718514662008-01-07T00:26:00.000+05:302008-01-07T00:26:00.000+05:30आपने सही कहा है कि घास चरने वाली कहावत का कोई औचित...आपने सही कहा है कि घास चरने वाली कहावत का कोई औचित्य नहीं है, इसी प्रकार कई और कहावतें हैं जिनका आज के सन्दर्भ में कोई अर्थ नहीं रह गया है...काला अक्षर भैंस बराबर...अनपढ़ कैसे हुए..जब कि भैंस का दूध पीकर ही हम कुशाग्र होते हैं.मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-29806369698671492482008-01-07T00:06:00.000+05:302008-01-07T00:06:00.000+05:30आपने बढ़िया जानकारी दी है । शायद दूब पर चलने से पाँ...आपने बढ़िया जानकारी दी है । शायद दूब पर चलने से पाँवों पर कुछ एक्यूप्रेशर सा प्रभाव पड़ता हौ ।<BR/>नववर्ष की शुभकामनाओं सहित <BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.com