tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post7510628282568246710..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: चवन्नीछाप और सोलह आना सच [सिक्का-7]अजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-85447170021864721342009-01-03T00:50:00.000+05:302009-01-03T00:50:00.000+05:30इस 'आने' ने कइयों की इज्जत की इकन्नी कर दी और कइ...इस 'आने' ने कइयों की इज्जत की इकन्नी कर दी और कइयों ने अपनी चवन्नी को रुपये में चला दिया ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-35411615101712577692009-01-02T23:01:00.000+05:302009-01-02T23:01:00.000+05:30अणु से आना. दिलचस्प जानकारी. वैसे पैसे, अदन्नी (दो...अणु से आना. दिलचस्प जानकारी. वैसे पैसे, अदन्नी (दो पैसे), दुअन्नी(दो आना),चवन्नी और अठन्नी आजादी के अनेक वर्षों बाद, नए पैसे आने के बाद तक चलते रहे.hem pandeyhttps://www.blogger.com/profile/08880733877178535586noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-30299842176779150432009-01-02T21:05:00.000+05:302009-01-02T21:05:00.000+05:30आपके पास आकर वास्तव में ज्ञान मिलता है . शुक्रिया ...आपके पास आकर वास्तव में ज्ञान मिलता है . शुक्रिया !विवेक सिंहhttps://www.blogger.com/profile/06891135463037587961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-19676788571555116492009-01-02T12:52:00.000+05:302009-01-02T12:52:00.000+05:30लाजवाब सफ़र रहा ये तो. बहुत पुराने जमाने की यानि ब...लाजवाब सफ़र रहा ये तो. बहुत पुराने जमाने की यानि बचपन की यादें ताजा करवा दी ! यहा मैं एक बात जोडना चाहुंगा कि १९६५ के पाकिस्तान युद्ध के आसपास ये इकन्नी बंद हो चली थी चलन से। इसका नाम ही खोटी इकन्नी पड गया था। गांव मे बर्फ़ की कुल्फ़ी बेचने वाले आया करते थे वो इस इकन्नी की एक या दो बर्फ़ देते थे। <BR/><BR/>बहुत बढिया सफ़र करवाया आपने। <BR/> <BR/>रामराम।ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-71089360954437674882009-01-02T12:13:00.000+05:302009-01-02T12:13:00.000+05:30सिक्कों का ये सफर काफी रोचक है.. आगे का इन्तजार रह...सिक्कों का ये सफर काफी रोचक है.. आगे का इन्तजार रहेगा..रंजन (Ranjan)https://www.blogger.com/profile/04299961494103397424noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-83826737572019718552009-01-02T08:21:00.000+05:302009-01-02T08:21:00.000+05:30एकन्नी दुअन्नी आना सुना है जाना आज . हम तो ५ पैसे ...एकन्नी दुअन्नी आना सुना है जाना आज . हम तो ५ पैसे इस्तेमाल करने वाली नस्ल से है . हमारे समय मे एक ,दो ,तीन पैसे के सिक्के चलन से बाहर हो गए थे लेकिन दीखते थे .dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-34886118794471169162009-01-02T07:57:00.000+05:302009-01-02T07:57:00.000+05:30इनका सफर कहाँ से कहाँ तक आ गया है, अब तो एक रूपया ...इनका सफर कहाँ से कहाँ तक आ गया है, अब तो एक रूपया दिखना भी दुभर हो गया है। शायद अगले कुछ वर्षों में १० रूपया सबसे छोटी इकाई हो वही इकन्नी की तरह।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-27484754484795506282009-01-02T03:10:00.000+05:302009-01-02T03:10:00.000+05:30स्कूल जाने लगे तो इकन्नी मिलती थी। जिस में एक कचौड...स्कूल जाने लगे तो इकन्नी मिलती थी। जिस में एक कचौड़ी और पांच छह बम्बई की मिठाई (मीठी गोलियां)खरीदी जा सकती थीं। या फिर छटांक भर सेव और दो कलाकंद के टुकड़े। खूब याद दिलाया सफर ने अपने सफर का एक मुकाम।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com