tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post7789814424532156893..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: गवेषणा के लिए गाय ज़रूरी है….अजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-5676921051043807522012-04-05T02:28:21.332+05:302012-04-05T02:28:21.332+05:30बहुत ही मजेदार लेखक, एक सार्थक गवेषणा. कृपया जारी ...बहुत ही मजेदार लेखक, एक सार्थक गवेषणा. कृपया जारी रखे.Jitendra Davehttp://www.jitjao.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-66108491924107963772012-03-01T05:18:48.286+05:302012-03-01T05:18:48.286+05:30उत्तम शोध के लिए आभारउत्तम शोध के लिए आभारrishivicharhttps://www.blogger.com/profile/10109974930110860222noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-65762477147622639152011-01-19T16:36:44.821+05:302011-01-19T16:36:44.821+05:30---ब्रज शब्द का मूल है विरज़ =वि+रज= विना धूलि के अ...---ब्रज शब्द का मूल है विरज़ =वि+रज= विना धूलि के अर्थात जो प्रदेश सदा भरा-पूरा व हरा भरा,, रहता हो....अध्यात्म में वि+रज़=जो प्रदेश रज़ अर्थात सान्सारिकता से परे होगया हो( ग्यान ,भक्ति, वैराग्यता के उच्च सोपान के कारण) वह बिरज अर्थात ब्रज । इसीलिये अर्जुन को भी श्री क्रष्ण ने ब्रज नाम से सम्बोधित किया...<br />---परिब्राजक===जो ब्रज-ब्रज अर्थत गांव गांव भ्रमण करता हो....<br />---गव, गाय, गौ का अर्थ बुद्धि भी होता है, ईक्षण=इच्छा= एषणा...गवेषणा= बुद्दिमत्तापूर्ण की गई इच्छा या घोषणा shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-14876057462478625362009-07-28T18:23:21.884+05:302009-07-28T18:23:21.884+05:30वात्सल्य शब्द को सार्थक करने वाली गौ माता से रु बर...वात्सल्य शब्द को सार्थक करने वाली गौ माता से रु बरु करने वाले को आभारsomadrihttps://www.blogger.com/profile/16213618928809931364noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-87194267764333171422009-07-28T05:11:04.526+05:302009-07-28T05:11:04.526+05:30आपके शब्दों के साथ-साथ सफ़र करना बहुत ही उपयोगी है ...आपके शब्दों के साथ-साथ सफ़र करना बहुत ही उपयोगी है बहुत सारे महत्वपूर्ण शब्दों के स्रोत यहां आसानी से मिल जाते हैं।जीवन सफ़रhttp://jivansafar.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-72401685368230349882009-07-27T20:47:47.475+05:302009-07-27T20:47:47.475+05:30ज्ञान जी के प्रश्न में उनकी तरह ही दम है . मेरे यह...ज्ञान जी के प्रश्न में उनकी तरह ही दम है . मेरे यहाँ तो एक ही गाय ही बची है . हमें तो गोधूलि की प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ती है गिनने के लिए .dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-73149337925250280272009-07-27T20:17:40.702+05:302009-07-27T20:17:40.702+05:30मेरा नाम भी बृजमोहन ही है |गवेषणा शब्द की व्याख्या...मेरा नाम भी बृजमोहन ही है |गवेषणा शब्द की व्याख्या व उदगम बतलाया अच्छी जानकारी मिली व्रज से ब्रज बनना |गायों को "भिनसारे " छोडा जाना बहुत दिन बाद यह शब्द पढ़ कर अच्छा लगा _भोर भी कहते है |गोधूली शब्द वाबत भी जानकारी मिली |हमारे यहाँ इतना ही सुना करते थे कि गोधूली के फेरा है (शादी में )|जानकारी अच्छी लगीBrijmohanShrivastavahttps://www.blogger.com/profile/04869873931974295648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-46107706946435936762009-07-27T19:50:26.400+05:302009-07-27T19:50:26.400+05:30अच्छा, गौ की गणना सींग की तरफ से होती है या पूछ की...अच्छा, गौ की गणना सींग की तरफ से होती है या पूछ की तरफ से?! :-)Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-66306396088992647042009-07-27T17:12:27.296+05:302009-07-27T17:12:27.296+05:30कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण शब्द खुल गये हमारे सम्मुख ।...कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण शब्द खुल गये हमारे सम्मुख । धन्यवाद ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-65729272185373313082009-07-27T15:27:37.495+05:302009-07-27T15:27:37.495+05:30gyavardhak jankari .मालवा और निमाड़ में गोधूली ...gyavardhak jankari .मालवा और निमाड़ में गोधूली बेला में पाणिग्रहण संस्कार बहुत शुभ माना जाता है |शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-12150655992684623292009-07-27T13:18:08.518+05:302009-07-27T13:18:08.518+05:30@गिरिजेश राव
अजी महाराज, नाराज क्यों होते हैं। आपक...@गिरिजेश राव<br />अजी महाराज, नाराज क्यों होते हैं। आपकी उलाहनापूर्ण टिप्पणी ने हमारा दिल जीत लिया है। मज़ा आ गया। अगड़ा-पिछड़ा मुहावरा भी इस्तेमाल करने देंगे या नहीं? गवेषणा के असली अर्थ की तरह ही चाहे अगड़ों-पिछड़ों का असली अर्थ गायब हो जाए, ये टर्म हो सकता है किन्हीं अन्य संदर्भों में हमारे साथ बनी रहे।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-22329409494676445582009-07-27T07:20:55.772+05:302009-07-27T07:20:55.772+05:30बेहतरीन आलेख..आभार.बेहतरीन आलेख..आभार.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-44936466827017200512009-07-27T07:07:39.245+05:302009-07-27T07:07:39.245+05:30भाउ, बिला वजह अगड़ों सवर्णों की टाँग क्यों खींच रह...भाउ, बिला वजह अगड़ों सवर्णों की टाँग क्यों खींच रहे हैं? अगड़ापन या सवर्णपन का रगड़ा अब झगड़ों के केन्द्र में है क्या? अब तो झगड़ा इसका है कि बाज़ार से कितना दोहन कर सकते हैं - क्या सवर्ण, क्या दलित और क्या पिछड़े? इसमें बाज़ार है कि नहीं ये तो नहीं मालूम लेकिन एक खबर यह है कि नरेगा में प्रधान जी ने अगड़े, पिछड़े और दलित सबको रजिस्टर में 100 की दिहाड़ी पर चढ़ा दिया है। काम तो केवल कागज पर है। दिन भर गुलछर्रे उड़ाओ और दिहाड़ी भी लूटो। <br />सब बराबर के हकदार।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-42498763695001685482009-07-27T05:55:04.946+05:302009-07-27T05:55:04.946+05:30कुछ व्यस्तता के चलते इधर में अनियमित रहा. बहुत धन्...कुछ व्यस्तता के चलते इधर में अनियमित रहा. बहुत धन्यवाद इस शब्द श्रोत की जानकारी हेतु.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-80274367795062000522009-07-27T02:03:45.281+05:302009-07-27T02:03:45.281+05:30अजितजी,
^शब्दों के सफ़र* में आपके साथ चलना लाभकारी...अजितजी,<br />^शब्दों के सफ़र* में आपके साथ चलना लाभकारी है. अच्छा शोधपूर्ण आलेख बन पड़ा है. कतिपय भ्रांत धरनाओ को ध्वस्त करता हुआ !बधाई !आनन्द वर्धन ओझाhttps://www.blogger.com/profile/03260601576303367885noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-90715241259902969072009-07-27T01:32:09.490+05:302009-07-27T01:32:09.490+05:30बहुत सुंदर आलेख बन पड़ा है। बहुत सारे शब्दों के स्...बहुत सुंदर आलेख बन पड़ा है। बहुत सारे शब्दों के स्रोतों का पता बता रहा है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com