tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post8113044321231208780..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: पठान की ऊंचाई, बुलंदी और मज़बूती यूं ही नहीं.....अजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-61721130815746586132007-10-15T20:52:00.000+05:302007-10-15T20:52:00.000+05:30गुरुदेव कुछ ज्ञान हम बच्चों को देते रहा करें.....ब...गुरुदेव कुछ ज्ञान हम बच्चों को देते रहा करें.....बल मिलता है...बोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-82211183167259017872007-10-15T18:11:00.000+05:302007-10-15T18:11:00.000+05:30शुक्रिया!! आपके ब्लॉग मे आता हूं इसके सिवा मुझे और...शुक्रिया!! आपके ब्लॉग मे आता हूं इसके सिवा मुझे और कोई शब्द ही नही मिलता कहने के लिए!!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-53255707915489202872007-10-15T17:32:00.000+05:302007-10-15T17:32:00.000+05:30बिल्कुल सही और सुंदर विश्लेषण. पख्तिया, पख्तिका ना...बिल्कुल सही और सुंदर विश्लेषण. पख्तिया, पख्तिका नाम के दो प्रांत आज भी हैं अफ़ग़ानिस्तान में. पश्तून या पख़्तून तो वे ख़ुद को कहते ही हैं. असल में जहाँ तक समुंदर बीच में नहीं आता, बंगाल से लेकर ईरान तक, सांस्कृतिक रूप से यह पूरा इलाक़ा सदियों से जुड़ा रहा है.अनामदासhttps://www.blogger.com/profile/10451076231826044020noreply@blogger.com