tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post8162332622936174448..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: मोहन्जोदडो मे समाये अमृत और मर्डरअजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-33321172627297161442007-08-11T01:43:00.000+05:302007-08-11T01:43:00.000+05:30आप सभी महानुभाव मेरे ब्लाग पर पधारे, देखा , सराहा ...आप सभी महानुभाव मेरे ब्लाग पर पधारे, देखा , सराहा इसके लिए आभारी हूं।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-21137215840618400382007-08-08T13:28:00.000+05:302007-08-08T13:28:00.000+05:30मुझे लगता है 'मुआ' एकवचन में 'अन' प्रत्यय लगाने से...मुझे लगता है 'मुआ' एकवचन में 'अन' प्रत्यय लगाने से बहुवचन बना 'मुअन' , 'जो' का अर्थ है 'का' और 'दड़ा'या 'दड़ो' का अर्थ है 'टीला'. राजस्थानी और सिंधी में संज्ञा शब्द का बोलते-लिखते समय ओकार हो जाना एक व्याकरणिक तथ्य है . अतः 'मुअन-जो-दड़ो' हुआ 'मुर्दों का टीला' .Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-21715689668753244712007-08-08T11:38:00.000+05:302007-08-08T11:38:00.000+05:30आपके अनुसंधान-आधारित लेखों से मुझे बह्त मदद मिलती ...आपके अनुसंधान-आधारित लेखों से मुझे बह्त मदद मिलती है -- शास्त्री जे सी फिलिप<BR/><BR/>हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है<BR/>http://www.Sarathi.infoShastri JC Philiphttps://www.blogger.com/profile/00286463947468595377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-78401813396662490272007-08-08T06:35:00.000+05:302007-08-08T06:35:00.000+05:30क्या इस विषय पर कुछ प्रकाश डाल सकते हैं कि नगर को ...क्या इस विषय पर कुछ प्रकाश डाल सकते हैं कि नगर को "मोहनजोदाड़ो" या मुर्दों का टीला क्यों कहा गया? <BR/><BR/>लेख बहुत अच्छा लगा. अब आपके चिट्ठे के सारे लेख पढ़ने पड़ेंगे.अनुराग श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/17660942337768973280noreply@blogger.com