tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post8257244671368270327..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: कथा-पुराण यानी पुरानी कहानीअजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-17061259471778110532010-02-18T06:56:42.566+05:302010-02-18T06:56:42.566+05:30बहुत ही मूल्यवान प्रविष्टि ! कुछेक सन्दर्भों के लि...बहुत ही मूल्यवान प्रविष्टि ! कुछेक सन्दर्भों के लिये जरूरी ! आभार ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-74003362675768568802010-02-17T21:56:26.564+05:302010-02-17T21:56:26.564+05:30हो भी सकता है।हो भी सकता है।बवालhttps://www.blogger.com/profile/11131413539138594941noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-19861649410870615762010-02-17T16:17:26.143+05:302010-02-17T16:17:26.143+05:30जित्ते भी पुर हैं - जोधपुर, पालन पुर --- सब में पु...जित्ते भी पुर हैं - जोधपुर, पालन पुर --- सब में पुरानापन हैं! नयापुरा में भी!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-78242159384122677972010-02-17T15:59:17.446+05:302010-02-17T15:59:17.446+05:30बढ़िया जानकारी.बढ़िया जानकारी.संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-34286042521469930232010-02-17T12:57:03.832+05:302010-02-17T12:57:03.832+05:30बढ़िया जानकारी.
बाखल की तरह ही राजस्थान के गावो मे...बढ़िया जानकारी.<br />बाखल की तरह ही राजस्थान के गावो में और शहरो के पुराने हिस्सों में भी पोळ होती है .जिसमे एक बहुत बड़े द्वार और परकोटे के भीतर एक ही वंश के कई परिवार या एक जाति के परिवार रहते है. पोळ के भीतर के खुले हिस्से को गुआरा या गवाडी भी कहते है.ऐसा सुरक्षा के लिहाज से होता होगा. रात में पोळ के द्वार बंद हो जाते थे और प्रहरी सुरक्षा करता था. अलग अलग नाम से यह देश के हर कोने में होता ही होगा.किरण राजपुरोहित नितिलाhttps://www.blogger.com/profile/13893981409993606519noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-48441700520604179842010-02-17T12:03:56.637+05:302010-02-17T12:03:56.637+05:30सभी पुरानी चीज़ें कहाँ अजित भाई कहते हैं शराब जितनी...सभी पुरानी चीज़ें कहाँ अजित भाई कहते हैं शराब जितनी पुरानी उतनी ही अच्छी[मगर मुझे तज़ुर्बा नही मज़ाक मे कह रही हूँ} बहुत अच्छी जानकारी है धन्यवाद्निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-48122591542627295662010-02-17T11:29:07.783+05:302010-02-17T11:29:07.783+05:30अजित भाई
मुझे लगा था कि विष्णु पुराण को...'पु...अजित भाई <br />मुझे लगा था कि विष्णु पुराण को...'पुराना' के बजाये 'पूर्ण' ( ईश्वर / दैवत्व / धर्म की पूर्णता ) से जोड़ना शायद उचित हो ! जिसमें समस्त काल , सर्वगुण, समस्त कलायें , सर्व अवतार,सर्व साहित्य ,सर्व सृजन , सारे लोक शामिल हैं , फिर मैंने इसे विष्णु के पुर से जोड़ा ....और पुर की आन /अणु से जोड़ा ...लेकिन ये सब मेरी कल्पना के घोड़े थे जो लम्बी दूरी तक दौड़े नहीं ! उसपे तुर्रा ये कि द्विवेदी जी नें सुबह सुबह सुन्दर सी टिप्पणी देकर इन घोड़ो की नालबंदी कर दी ...इसलिए अब मुझे वो स्वीकार्य है जो मानक ग्रंथों में है ...जो आपने कहा है : )उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-85653713290538167062010-02-17T09:15:58.786+05:302010-02-17T09:15:58.786+05:30पुरा से जरा तक अच्छा सफर।पुरा से जरा तक अच्छा सफर।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-16600019593154605112010-02-17T09:03:37.803+05:302010-02-17T09:03:37.803+05:30हमारे शहर के राजा ...या शहर सेठ कह लें..सेठ गोविन्...हमारे शहर के राजा ...या शहर सेठ कह लें..सेठ गोविन्द दास..राजा गोकुल दास...उनके महल को भी बाबू की बखरी कहते हैं..तो कच्चा मकान वाली बात कुछ फिट नहीं बैठती दिखती इस तथ्य से.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-62626122874353997542010-02-17T07:28:31.449+05:302010-02-17T07:28:31.449+05:30ओल्ड इज़ गोल्ड...
जय हिंद...ओल्ड इज़ गोल्ड...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-51926602999063601212010-02-17T07:18:00.682+05:302010-02-17T07:18:00.682+05:30आप ने बाखल, बखरी या बाखर की व्युत्पति नहीं सुझाई. ...आप ने बाखल, बखरी या बाखर की व्युत्पति नहीं सुझाई. बाखल एक ऐसा घरों का समूह है जिसमें कई छोटी इकायों वाले घर होते हैं इनका पितर एक होता है. जब परिवार बड़ने लगता है तो अलग अलग घर बनने लगते हैं, लेकिन यह सबी एक ही द्वार के अंतर्गत रहने लगते हैं, भीतर अलग अलग परिवारों के अलग अलग कमरे बन जाते हैं . ऐसा सुरक्षा की दृष्टि से भी होता है. आम तौर पर यह बाखल एक पितर के नाम से ही जाने जाते थे/हैं. इस तरह हो सकता है 'जूनीबाखल' किसी जूनी नाम के पुरखे से जाना जाता हो.Baljit Basihttps://www.blogger.com/profile/11378291148982269202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-80470477142206017172010-02-17T06:59:03.325+05:302010-02-17T06:59:03.325+05:30चित्र का लीजेंड दें -क्या आप पूरी आश्वस्तता के सा...चित्र का लीजेंड दें -क्या आप पूरी आश्वस्तता के साथ कह सकते है इस पोस्ट के साथ दिए चित्र का पुराण सभी को पता है -अतः क्या आप नीचे कोई शीर्षक देना उचित नहीं समझते ?Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.com