tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post8688852396015933935..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: तमीज़दार लोगों की कमीज़ ...अजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-4803522420361545722008-03-18T19:22:00.000+05:302008-03-18T19:22:00.000+05:30ह्म्म ! समझ आया कमीज़ और शमीज़ की व्युत्पत्ति । लगे ...ह्म्म ! समझ आया कमीज़ और शमीज़ की व्युत्पत्ति । लगे हाथ घोस्ट बस्टर जी ने तो सिलाई मशीन की भी व्युत्पत्ति बता दी । बहुत ग़्य़ानवर्द्धन हुआ आज यहाँ आकर ।सुजाताhttps://www.blogger.com/profile/12373406106529122059noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-63949511012325209972008-03-18T14:47:00.000+05:302008-03-18T14:47:00.000+05:30बापरे.. कमीज से शुरु कर पूरी दुनियाँ घुमाते हुए श...बापरे.. कमीज से शुरु कर पूरी दुनियाँ घुमाते हुए शमीज तक ले याए। ३४ सालों से कमीज पहन रहे थे पर अब तक पता ही नहीं था।<BR/>कमीज को गुजराती में बुशकोट भी कहा जाता है और बनियान को गंजीफराक! बुशकोट तो कुछ हद तक बुशशर्ट का अपभ्रंश लगता है पर गंजीफराक...!!<BR/><BR/>पता नहीं ये शब्द कैसे बने होंगे। :(सागर नाहरhttps://www.blogger.com/profile/16373337058059710391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-40899857542928850602008-03-18T14:46:00.000+05:302008-03-18T14:46:00.000+05:30This comment has been removed by the author.सागर नाहरhttps://www.blogger.com/profile/16373337058059710391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-71116448141207881542008-03-18T13:37:00.000+05:302008-03-18T13:37:00.000+05:30आधुनिक सिलाई मशीन का अविष्कार मानव इतिहास के सर्वा...आधुनिक सिलाई मशीन का अविष्कार मानव इतिहास के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण अविष्कारों में माना जाता है. मशीन द्वारा सिले हुए कपडों को पहनना किसी भी सभ्य समाज की प्राथमिक अनिवार्यता है. इस से पहले लोग शायद यूं ही लपेटे हुए वस्त्र धारण करते होंगे या फिर हाथ से सिले हुए. सिलाई मशीन भी उत्तरोत्तर सुधारों की प्रक्रिया से गुजरती हुई अपने वर्त्तमान स्वरूप तक पहुँची है.<BR/><BR/>तो कमीज़ या शर्ट को आज जिस रूप में हम जानते हैं उसका उदगम यूरोप में हुआ.<BR/><BR/><B>प्रारंभिक प्रयास:</B><BR/>ई. 1755 - जर्मन नागरिक चार्ल्स वीसेंथल ने एक सुई को पेटेंट करवाया जो यांत्रिक मशीन में कार्य करने में सक्षम थी.<BR/>ई. 1790 - ब्रिटिश आविष्कारक थॉमस सेंट ने पहली सम्पूर्ण सिलाई मशीन को पेटेंट करवाया.<BR/>ई. 1804 - फ्रेंचमेन थॉमस स्टोन और जेम्स हैनडरसन को एक पेटेंट जारी किया गया, उसी समय स्कॉटलैंड निवासी जॉन डंकन को भी एक ऐसी मशीन का पेटेंट मिला जिसमें एकाधिक सुइयाँ थीं. दोनों अविष्कार अंततः असफल रहे.<BR/>ई. 1810 - जर्मन बल्थास्कर क्रेम्स ने एक स्वचालित मशीन का अविष्कार किया लेकिन पेटेंट नहीं करवाया. इस मशीन की फंक्शनिंग में कुछ समस्या थी.<BR/>ई. 1814 - आस्ट्रेलियन दर्जी जोसेफ मेडरस्पर्जर को एक मशीन का पेटेंट जारी हुआ लेकिन मशीन पूरी तरह ठीक से कार्य नहीं कर सकी.<BR/>ई. 1818 - जॉन एडम्स डोगे और जॉन नोल्स नामक अमरीकियों ने एक प्रयास किया. उनकी मशीन भी कुछ ज्यादा उपयोगी कार्य करने में असफल रही.<BR/><BR/><B>सफलता:</B><BR/>ई. 1830 - फ्रांसीसी दर्जी बार्थेलेमी थिमोनिएर ने पहली सफल सिलाई मशीन बनाई. इसमें सिर्फ़ एक धागा होता था. आविष्कारक को इसके लिए अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ी. अन्य दर्जी इस मशीन का विरोध कर रहे थे क्योंकि उन्हें अपने रोजगार में कमी आने का भय था. बार्थिलेमी की कार्यशाला में आग लगा दी गयी और बड़ी मुश्किल से उनकी जान बची.<BR/>ई. 1834 - वाल्टर हंट ने अमरीका की पहली सफल सिलाई मशीन बनाई लेकिन पेटेंट नहीं करवाई क्योंकि उन्हें भी भय था कि अन्य लोगों का रोजगार इससे प्रभावित हो सकता है. (या शायद बार्थिलेमी को मिले ट्रीटमेंट का असर हो).<BR/>ई. 1846 - इलिआस होव को पहली अमरीकन सिलाई मशीन का पेटेंट मिला. इस मशीन में दो धागे होते थे (आधुनिक मशीनों की तरह). इसके बाद तकरीबन दस वर्षों तक होव इस मशीन को लोकप्रिय बनाने और साथ के साथ नक्कालों से बचाने में लगे रहे.<BR/>ई. 1850 - आईजक सिंगर ने एक मशीन बनाई जो काफ़ी हद तक होव की मशीन जैसी ही थी. इसे लेकर दोनों के मध्य पेटेंट युद्ध भी चला. जीत होव की हुई. <BR/><BR/><B>आधुनिक स्वरूप:</B><BR/>होव की मशीन का ही और सुधरा रूप है आधुनिक सिलाई मशीन. समय के साथ अन्य बदलाव भी आते चले गए. 1905 में विद्युत चालित मशीन भी बन गयी. <BR/><BR/>होव की मशीन मूल रूप से वाल्टर हंट की मशीन से बनाई गई थी लेकिन हंट ने कोई पेटेंट ही नहीं लिया.<BR/><BR/>तो जब कभी शान से नई शर्ट पहनें तो इन सभी महानुभावों को भी श्रद्धा से याद करें जिनके बिना शायद कपडा लपेट कर ही कमीज पहन रहे होते.<BR/><BR/>अब एक सवाल, शर्ट के अलावा बुश्शर्ट भी सुनने में आता है. बचपन की याद है, हिन्दी के माटसाब दोनों में कुछ फर्क बताते थे. वो फर्क याद नहीं आ रहा. कुछ प्रकाश डालेंगे क्या?Ghost Busterhttps://www.blogger.com/profile/02298445921360730184noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-15507279561445505302008-03-18T12:54:00.000+05:302008-03-18T12:54:00.000+05:30शर्ट के ही साथ टी-शर्ट और बुशर्ट (आधी बांह की )...शर्ट के ही साथ टी-शर्ट और बुशर्ट (आधी बांह की ) के बारे मे भी कुछ बताइये।<BR/>अब तमीज की कड़ी का इंतजार है।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-79824256799169353482008-03-18T11:52:00.000+05:302008-03-18T11:52:00.000+05:30पहनता है सारा जहां कमीज़मिलती है कम जहां तमीज़!शुक्र...पहनता है सारा जहां कमीज़<BR/>मिलती है कम जहां तमीज़!<BR/><BR/><BR/>शुक्रियाSanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-57664699664681939172008-03-18T11:14:00.000+05:302008-03-18T11:14:00.000+05:30ओह, कमीज़, तेरी खींसें क्यों निपुरी हुई हैं.. अच्...ओह, कमीज़, तेरी खींसें क्यों निपुरी हुई हैं.. अच्छा बताया, मास्साब..azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-67015094505225900702008-03-18T10:30:00.000+05:302008-03-18T10:30:00.000+05:30अजीत जी, कुछ कहावतों के बारे में विस्तार से लिखने ...अजीत जी, कुछ कहावतों के बारे में विस्तार से लिखने की गुज़ारिश है आपसे, मसलन "खीसें निपोरना", "मसें भीगना" और "बाँछें खिलना", मुझे यह बात अब भी अस्पष्ट है कि बाँछें शरीर में कहाँ होती हैं :)debashishhttps://www.blogger.com/profile/05581506338446555105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-89836400268308791382008-03-18T09:29:00.000+05:302008-03-18T09:29:00.000+05:30आज तक शब्दों के सफ़र की जानकारी पहनकर घर से निकलने...आज तक शब्दों के सफ़र की जानकारी पहनकर घर से निकलने की आदत-सी हो गई थी अजित जी!<BR/>पर आज पहनने की जानकारी लेकर कॉलेज जा रहा हूँ.<BR/><BR/>ये पोस्ट भी खूब है!Dr. Chandra Kumar Jainhttps://www.blogger.com/profile/02585134472703241090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-10524645593632696482008-03-18T07:13:00.000+05:302008-03-18T07:13:00.000+05:30अब तक तो सिर्फ पहनता था अब समझता भी हूं कि क्या प...अब तक तो सिर्फ पहनता था अब समझता भी हूं कि क्या पहन रखा है...... और भी बताएंSanjay Karerehttps://www.blogger.com/profile/06768651360493259810noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-34566037046599794662008-03-18T07:06:00.000+05:302008-03-18T07:06:00.000+05:30आज समझ में आया अजित भाई कि जो पहन रहे थे उस वस्त्र...आज समझ में आया अजित भाई कि जो पहन रहे थे उस वस्त्र का जन्म कैसे हुआ. अब पहनूंगा तो शायद उस अर्थ को भी साथ महसूस करूंगा जो आपने बताए....निकट आ रही होली की राम राम.sanjay patelhttps://www.blogger.com/profile/08020352083312851052noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-8365380639218036342008-03-18T06:51:00.000+05:302008-03-18T06:51:00.000+05:30भैया, कमीज पहन-पहना ली। तमीज को कहाँ छोड़ आए? उस क...भैया, कमीज पहन-पहना ली। तमीज को कहाँ छोड़ आए? उस की ज्यादह जरुरत है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com