tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post8738497665749985269..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: जिगरी का गुर्दा और कलेजाअजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-72530632495021743472019-08-24T17:24:53.421+05:302019-08-24T17:24:53.421+05:30में हमेशा से यही सोच कर कंफ्यूज रहता था कि अगर कले...में हमेशा से यही सोच कर कंफ्यूज रहता था कि अगर कलेजा का अर्थ यकृत होता है तो गानों में करेजा में समा जा का उपयोग हृदय के संदर्भ में क्यों होता है।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/04929591036602387187noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-37906120598374348642011-12-21T23:45:29.342+05:302011-12-21T23:45:29.342+05:30बाप रे! 'कतरा-ए-खूँ' को लेकर इतनी जद-ओ जहद...बाप रे! 'कतरा-ए-खूँ' को लेकर इतनी जद-ओ जहद? आपने यकीन दिला दिया कि दिल का मामला वाकई इतना आसान नहीं। समझने के दिल दमगुर्दा चाहिए।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-89876010644124188082011-12-16T09:56:13.632+05:302011-12-16T09:56:13.632+05:30नॉन वेज आईटम का रोचक शाकाहारी प्रस्तुतिकरण !
दिल-ग...नॉन वेज आईटम का रोचक शाकाहारी प्रस्तुतिकरण !<br />दिल-गुर्दे पर कभी एक इंटरव्यू रूपी ब्लॉग [३ एपिसोड में] इस तरह व्यंगात्मक अभिव्यक्ति की थी २००८ में.<br />लिंक<br />http://mansooralihashmi.blogspot.com/search/label/%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B2%20-%20%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%87%20%E0%A4%AA%E0%A4%B0%20%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A5%89%E0%A4%97Mansoor ali Hashmihttps://www.blogger.com/profile/09018351936262646974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-68240484301255338182011-12-15T11:55:22.650+05:302011-12-15T11:55:22.650+05:30'दिल' का अच्छा पोस्टमार्टम किया है आपने।...'दिल' का अच्छा पोस्टमार्टम किया है आपने।जीवन और जगत https://www.blogger.com/profile/05033157360221509496noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-826849317313319542011-12-15T09:05:17.345+05:302011-12-15T09:05:17.345+05:30बड़े दिल-गुर्दे वाली पोस्ट है।
मेरा मानना है कि शर...बड़े दिल-गुर्दे वाली पोस्ट है।<br />मेरा मानना है कि शरीर के भीतरी अंगों के बारे में मनुष्य का ज्ञान धीरे धीरे विकसित हुआ है। निश्चित है उस के अनुसार इन शब्दों के अर्थों में भी अंतर आया होगा और नए भावों को व्यक्त करने को नए शब्दों की आवश्यकता भी महसूस हुई होगी। इस पोस्ट में मनु्ष्य के ज्ञान के विकास की यात्रा की झलक भी होती तो यह पोस्ट और महत्वपूर्ण हो जाती।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-87927071360134094862011-12-14T09:46:28.210+05:302011-12-14T09:46:28.210+05:30वाह बहुत ही बढिया अजीत जी.. कमाल है.. मुझे जिगर इत...वाह बहुत ही बढिया अजीत जी.. कमाल है.. मुझे जिगर इतना बडा हो सकता है पता ही नहीं था..सोनू उपाध्यायhttp://vimarshupadhyay.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-33673561995652822642011-12-14T08:43:17.677+05:302011-12-14T08:43:17.677+05:30दिल, कलेजा, जान
हर नुक्कड़ पर फेंकने वाले मिल जाय...दिल, कलेजा, जान <br />हर नुक्कड़ पर फेंकने वाले मिल जायेंगे, <br />पर बिना उनके कैसे रह पायेंगे।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com