tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post8822299675458641043..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: दम मारो दम और नाक में दम-1अजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-77691156676813541712011-12-27T02:01:46.509+05:302011-12-27T02:01:46.509+05:30' कृष्ण' का सभी जगह काला अर्थ दिया गया है....' कृष्ण' का सभी जगह काला अर्थ दिया गया है. आपको इसका संबंध आकर्षण से जोड़ते समय इस व्युत्पति का दलीलों सहित खंडन करना चाहिए तभी बात बनेगी. अलबत्ता इसका संबंध भारोपी मूल ker से भी जोड़ा जाता है जिसका अर्थ, आग, जलना बताया जाता है. इस तरह से अंग्रजी शब्द carbon, cremation,hearth और बहुत से भारोपी भाषाओँ के अनेक शब्द इसके सुजाति बताए जाते हैं. कहते हैं युक्रेन के शहर चेर्नोबिल (न्यूक्लियर दुर्घटना वाला) का नाम भी इस मूल से आया है.Baljit Basihttps://www.blogger.com/profile/11378291148982269202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-4276231816396002432011-12-26T17:35:16.194+05:302011-12-26T17:35:16.194+05:30@रोहित भाई, यह जो दूसरा अर्थ आप ले रहे हैं, वह पहल...@रोहित भाई, यह जो दूसरा अर्थ आप ले रहे हैं, वह पहले का ही तो पूरक है। एकदम यानी तत्क्षण। उसी साँस में। अब गौर करें कोई पूछता है कैसे हैं, जवाब में "एकदम ठीक" कहा जाता है। यहाँ एकदम यानी तत्क्षण है। बिना किन्तु-परन्तु के, जैसा हूँ, इस क्षण हूँ, वर्तमान में हूँ, ठीक हूँ...यह भाव इस एकदम में है। इस तरह चाहें तो पूरी तरह से, बिल्कुल जैसे भावों का विस्तार की व्याख्या इसे कह सकते हैं।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-77544484286869238822011-12-26T16:15:27.344+05:302011-12-26T16:15:27.344+05:30इससे एकदम का अचानक वाला अर्थ तो समझ में आया। एकदम ...इससे एकदम का अचानक वाला अर्थ तो समझ में आया। एकदम मतलब एक ही क्षण में। पर एकदम का जो दूसरा अर्थ है बिल्कुल, ठीक, पूरी तरह से, वो कैसे बना?रोहितhttps://www.blogger.com/profile/07906456002840618563noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-37999860213102027862011-12-26T14:34:09.133+05:302011-12-26T14:34:09.133+05:30मुझे साफ पता नहीं था कि कृष्ण का यह अर्थ कितना सही...मुझे साफ पता नहीं था कि कृष्ण का यह अर्थ कितना सही है लेकिन अन्दाजा था कि सही है खीचने वाला अर्थ। क्योंकि कृषि शब्द भी तो खिंचाई के अर्थ में ही लगता है। हल का खिंचना...खेती ...और कृषक शब्द भी तो कृष से ही निकला लगता है फिर तो साफ होना चाहिए ही।चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-92232510042687852502011-12-26T13:22:26.745+05:302011-12-26T13:22:26.745+05:30@विष्णु बैरागी
आदरणीय भैया,
दुबला, क्षीण, हीनस्वास...@विष्णु बैरागी<br />आदरणीय भैया,<br />दुबला, क्षीण, हीनस्वास्थ्य के अर्थ में जो कृशकाय है, कृषकाय नहीं।<br />'कर्षण' की मूल धातु 'कृष्' ही है। वर्ण विपर्यय हुआ है। रेफ् ने अपनी जगह बदल दी है। मोनियर विलियम्स के कोश<br />का हवाला दे रहा हूँ जहाँ कर्ष की मूल धातु कृष् है और धातु रूप में कृष् की प्रविष्टि भी समानार्थी ही है।<br /><br />कर्ष [p= 259,3] [L=45537] m. ( √कृष्) , the act of drawing , dragging Pa1n2.<br />कृष् 1 [p= 306,1] [L=55083] to draw , draw to one's self , drag , pull , drag away , tear RV. AV. S3Br. &c ;<br /><br />सादर, साभारअजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-49789544389385120452011-12-26T12:13:29.241+05:302011-12-26T12:13:29.241+05:30बोलने के क्रम में एक मुहावरा "दम धरिये..&quo...बोलने के क्रम में एक मुहावरा "दम धरिये.." सहसा याद आया. आशय "विश्राम" से है.Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-83532074792610444082011-12-26T11:56:03.843+05:302011-12-26T11:56:03.843+05:30'कृष्' को लेकर तनिक जिज्ञासा पैदा हुई है। ...'कृष्' को लेकर तनिक जिज्ञासा पैदा हुई है। इसका सामान्य अर्थ 'दुबला', 'क्षीणकाय' लिया जाता है।<br /><br />'कृष्' को 'आकर्षण' से जोडना गले नहीं उतर रहा। यह तो 'कर्षण' से बना है जो 'कृष्' से कहीं मेल खाता नजर नहीं आता। 'कर्षण' की मूल धातु 'कृष्' नहीं लगती।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-76617125284342114642011-12-26T11:19:07.195+05:302011-12-26T11:19:07.195+05:30दम, धमणी, धमक, कृष, कृष्ण, आकर्षण और कश भी ।सब का ...दम, धमणी, धमक, कृष, कृष्ण, आकर्षण और कश भी ।सब का मूल एक । मराढी में धमक शब्द हिम्मत के अरथ में प्रयोग होता है । शायद ज्यादा हिम्मत दिखाना ही धमकी देना होता होगा । रोचक यात्रा शब्दों की ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-75525781607529631732011-12-26T00:03:32.665+05:302011-12-26T00:03:32.665+05:30शुरूआत में ही अच्छा लगा। कश हम भी अरबी-फारसी समझ र...शुरूआत में ही अच्छा लगा। कश हम भी अरबी-फारसी समझ रहे थे। मेरे गाँव के एक पंडित जी ने एक बार कृष्ण का अर्थ पूछा तब अचानक ध्यान आ गया था। कृष् से कृष्ण यानी जो अपनी तरफ खींचे। फिर आकर्षण भी ऐसे ही निकल आया।चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-40871030926784190372011-12-25T18:24:39.829+05:302011-12-25T18:24:39.829+05:30दम और कश तो हम हिन्दी ही नहीं समझते थे, ये तो संस्...दम और कश तो हम हिन्दी ही नहीं समझते थे, ये तो संस्कृत निकले।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com