tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post1100326363129737951..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: पंगत, पांत और पंक्तिपावन [लकीर-7]अजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-54290310994345837362010-01-16T16:23:37.390+05:302010-01-16T16:23:37.390+05:30यहां आकर अच्छा लगा......यहां आकर अच्छा लगा......विमलेश त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/02192761013635862552noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-57635095333315320262010-01-04T17:48:28.759+05:302010-01-04T17:48:28.759+05:30आज ठण्ड बहुत hai ghana kohra hai
Magar Post to J...आज ठण्ड बहुत hai ghana kohra hai <br /><br />Magar Post to Jaandar haiSulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-32256750099695569812010-01-02T21:37:54.859+05:302010-01-02T21:37:54.859+05:30अच्छा रहा यहभी.आभार.अच्छा रहा यहभी.आभार.डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-31559227600924206602010-01-02T19:37:08.757+05:302010-01-02T19:37:08.757+05:30पंगत में बैठ्ने में अब परेशानी होती है और परोसने म...पंगत में बैठ्ने में अब परेशानी होती है और परोसने मे भी . इसलिये पशु भोज का ही सहारा लेना पढता हैdhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-38284148556024187112010-01-02T17:09:33.018+05:302010-01-02T17:09:33.018+05:30baut badhiya aalekh .pankti sabd ke any gudh rhsy ...baut badhiya aalekh .pankti sabd ke any gudh rhsy bhi jane .abharशोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-70610239561882111282010-01-02T13:29:50.690+05:302010-01-02T13:29:50.690+05:30नये साल की बहुत बहुत शुभकामनायें । ग्यानवर्द्धक आल...नये साल की बहुत बहुत शुभकामनायें । ग्यानवर्द्धक आलेख के लिये धन्यवाद्निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-25216576063303510102010-01-02T11:37:06.671+05:302010-01-02T11:37:06.671+05:30@बलजीत बासी
पंच शब्द पर अभी और चर्चा होगी बलजीतजी।...@बलजीत बासी<br />पंच शब्द पर अभी और चर्चा होगी बलजीतजी। सिफर और दशमलव पर मुझे नहीं लगता कोई विवाद है, यह ऐसा तथ्य है जिसे ठोक बजाकर सभी स्वीकार कर चुके हैं। इस पर एक पोस्ट सफर में है। फिर भी आप के हाथ कुछ लगे तो स्वागत है।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-66296261791425624402010-01-02T10:27:11.011+05:302010-01-02T10:27:11.011+05:30१.बहुत साल पहले अंग्रेजी में एक किताब पढ़ी थी जिस ...१.बहुत साल पहले अंग्रेजी में एक किताब पढ़ी थी जिस में लिखा था की आदि लोग दो से आगे गिनना नहीं जानते थे. अगर किसी के पास दो या दो से अधिक भेडें होती थी तो वह बोलते थे 'मेरे पास कई भेडें हैं'. मैं ने देखा है गाँव में व्यापारी किसानों से गेहूं खरीद कर जब धडा तोलते थे (मान लो दो सेर का) तो जब एक धडा हो गया बोलते थे एक, एक, .. फिर दुसरे के लिए दो ,दो .... कितनी बार दुहराते थे इस लिए कि गलती न हो जाये, याद रहे. जब तीसरा धड़ा होता था तो बोलते बहुते, बहुते ....एक बार मैं ने पूछा तीन को 'बहुते' क्यों बोलते हो? उसने बोला तीन नहिश होता है. मुझे पढ़ी किताब याद आ गई.<br />२.जब हमारे पास भरोपी मूल 'प्रेंग्के' है जिस से सबी भरोपी भाषाओँ के पांच के सुजाति शब्द बने हैं तो हमारा पांच समूहवाची शब्द क्यों बना रहा ?<br />३.वैसे यह मैं मानता हूँ कि पांच या पंच सिर्फ ५ के लिए ही नहीं इसके और भी अर्थ हैं. पंच चुने हुए, या मानयोग लोगों को बोलते थे. पंचायत केवल पांच पंचों की ही नहीं होती थी/है.<br />गुरु ग्रन्थ में परमात्मा के चुने हुए या माननीय लोगों के लिए पंच शब्द बहुत बार आया है: <br /> पंच परवाण पंच परधानु, पंचे पावहि दरगहि मानु <br /> पंचे सोहहि दरि राजानु, पंचा का गुरु एकु धिआनु<br /><br />लेकिन पंच शब्द पांच बुरायों (काम, क्रोध वगैरा) के लिए भी बहुत बार आया है:<br /><br />अवरि पंच हम एक जना किउ राखउ घर बारु मना<br /><br />४. पांच का संबंध तो अंगुलियों से ही जाना जाता है.<br />५.सिफर और दशमलव के आविष्कार की बात बेहद विवादी है. मैं ने किसी जगह पढ़ा है कि शुन्य के ज्ञान के सबूत गैर-भारती इलाकों से मिले हैं जो हजारों साल पुराने हैं . फिर हाथ लगे तो बताऊंगा .Baljit Basihttps://www.blogger.com/profile/11378291148982269202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-75947301577759445422010-01-02T10:06:22.535+05:302010-01-02T10:06:22.535+05:30आड़ी-तिरछी हो रहीं, पंगत, पाँत, लकीर।
रेखाओं के जा...आड़ी-तिरछी हो रहीं, पंगत, पाँत, लकीर।<br />रेखाओं के जाल में, फँसे औलिया पीर।।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-39985899406515997672010-01-02T08:57:14.708+05:302010-01-02T08:57:14.708+05:30अरब, अजम* से मिला# तो कतारबद्ध* हुआ,
वो पंक्तिच्यु...अरब, अजम* से मिला# तो कतारबद्ध* हुआ,<br />वो पंक्तिच्युत* हुआ, शख्स जो क्रुद्ध हुआ.<br /><br />*अजम= ग़ैर अरब,<br />#दो भाषा या संस्कृति का मेल <br />*कतारबद्ध=अनुशासित<br />*पंक्तिच्युत=विद्वता से गिरनाMansoor ali Hashmihttps://www.blogger.com/profile/09018351936262646974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-12713076200129013272010-01-02T08:34:21.408+05:302010-01-02T08:34:21.408+05:30एक परिवार के शब्दों को एक साथ देख कर लगता है हम शब...एक परिवार के शब्दों को एक साथ देख कर लगता है हम शब्दों के परिवार से मिल रहे हैं। <br />गणित के इतिहास में कभी अंक भी पाँच तक ही हुआ करते थे। उन से ही सारी संख्याएँ गिन ली जाती थीं।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-55365458779577674232010-01-02T06:34:07.579+05:302010-01-02T06:34:07.579+05:30अच्छा रहा यह पांत का पंडित संस्करण भी...अच्छा रहा यह पांत का पंडित संस्करण भी...Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-84621198119036262772010-01-02T06:31:06.565+05:302010-01-02T06:31:06.565+05:30बेहद सुन्दर आलेख ! पंक्तिरथ भी कहते थे दशरथ को - ज...बेहद सुन्दर आलेख ! पंक्तिरथ भी कहते थे दशरथ को - जाना ! <br /><br />आभार ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-17167761153860916152010-01-02T05:47:45.798+05:302010-01-02T05:47:45.798+05:30बहुत आभार ज्ञानवर्धन का.बहुत आभार ज्ञानवर्धन का.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com