tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post1430841942783193514..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: चश्मेबद्दूर ... रायता फैल गया...अजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-34247709570459799942008-01-26T18:20:00.000+05:302008-01-26T18:20:00.000+05:30बड़े भाई द्विवेदी जी ,पूरी कविता यूँ है -डार द्रु...बड़े भाई द्विवेदी जी ,<BR/>पूरी कविता यूँ है -<BR/>डार द्रुम पालन बिछौना नव पल्लव के सुमन झगूला सोहे तन छवि भारी दे <BR/>पवन झुलावे केकी कीर बतरावे देव ,कोकिल हिलावे हुल्सावे करतारी दे <BR/>पूरित पराग सो उतारा करे राई लोन ,कंजकली नायिका लतान सिर सारी दे <BR/>मदन महीप जू को बालक बसंत ताहि प्रात हिये लावत गुलाब चटकारी दे <BR/>देखिये यहाँ भी राई की मदद से नजर उतारने का उल्लेख है ,<BR/>शुक्रिया ..Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-6819157596455267612008-01-26T18:19:00.000+05:302008-01-26T18:19:00.000+05:30बड़े भाई द्विवेदी जी ,पूरी कविता यूँ है -डार द्रु...बड़े भाई द्विवेदी जी ,<BR/>पूरी कविता यूँ है -<BR/>डार द्रुम पालन बिछौना नव पल्लव के सुमन झगूला सोहे तन छवि भारी दे <BR/>पवन झुलावे केकी कीर बतरावे देव ,कोकिल हिलावे हुल्सावे करतारी दे <BR/>पूरित पराग सो उतारा करे राई लोन ,कंजकली नायिका लतान सिर सारी दे <BR/>मदन महीप जू को बालक बसंत ताहि प्रात हिये लावत गुलाब चटकारी दे <BR/>देखिये यहाँ भी राई की मदद से नजर उतारने का उल्लेख है ,<BR/>शुक्रिया ..Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-13183676060658321562008-01-26T17:59:00.000+05:302008-01-26T17:59:00.000+05:30लोग तो राई का पहाड़ बनाते हैं, आप ने तो टीले पर ही...लोग तो राई का पहाड़ बनाते हैं, आप ने तो टीले पर ही छोड़ दिया।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-73496721755973545372008-01-26T17:03:00.000+05:302008-01-26T17:03:00.000+05:30मजा आ गया ,रायता मुझे बहुत प्रिय है -खासकर लौकी का...मजा आ गया ,रायता मुझे बहुत प्रिय है -खासकर लौकी का राई की छौक के साथ ...और महाकवि देव की एक पंक्ति भी याद आ गयी -<BR/>पूरित पराग सो उतारा करे राई लोन ,कंज कली नायिका लतान सिर सारी दे ,<BR/>मदन महीप जू को बालक बसंत ताहि प्रातही लावत गुलाब चटकारी दे !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-9883980271922975672008-01-26T13:59:00.000+05:302008-01-26T13:59:00.000+05:30शुक्रिया।एक बात तो है , हर जगह या हर हाथ के रायते ...शुक्रिया।<BR/>एक बात तो है , हर जगह या हर हाथ के रायते में मजा भी नही आता।Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-88204009930023864542008-01-26T08:40:00.000+05:302008-01-26T08:40:00.000+05:30बढ़िया!बढ़िया!अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-19021830803156986932008-01-26T05:34:00.000+05:302008-01-26T05:34:00.000+05:30ओहो, कहां-कहां की छौंक लगाते हैं आप भी?ओहो, कहां-कहां की छौंक लगाते हैं आप भी?azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.com