tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post1712223828000780876..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: एक हिन्दुस्तानी के नाम...हमें बख्श दें...प्लीज.अजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-66710253721503076932007-08-25T16:42:00.000+05:302007-08-25T16:42:00.000+05:30अजित जी, लिखते वक्त ही मुझे लग गया था कि मेरी उक्त...अजित जी, लिखते वक्त ही मुझे लग गया था कि मेरी उक्त लाइन आपको तंग जरूर करेगी। मुझे अचंभा हुआ जब आपकी प्रतिक्रिया इतने दिनों तक नहीं आई। चलिए, अच्छा लिखा है। असल में छेड़ाछाड़ी चलती रहनी चाहिए। इश्क और यारी के रिश्ते की शुरुआत यहीं से होती है। रही अनुनाद सिंह की टिप्पणी का जिक्र, तो मुझे आजतक उनकी इन लाइनों का अर्थ समझ में नहीं आया कि, 'शायद आप नही जानते कि ब्रिटिश काउन्सिल की स्थापना का क्या उद्देश्य था और क्या करती है।'अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-69186323430767898842007-08-25T15:07:00.000+05:302007-08-25T15:07:00.000+05:30आपका इस तरह बचाव की मुद्रा में आना खटक रहा है. संस...आपका इस तरह बचाव की मुद्रा में आना खटक रहा है. संस्कृत की बात करना पुनरुत्थान की बात करना है, ऐसा मानने वाले कुछ लोग हैं, लेकिन यह बहुत ही एकांगी सोच है. जड़ों की तलाश करने का मतलब जड़ हो जाना नहीं है. आप मस्त रहिए और लिखते रहिए. द्विवेदी जी वाला लेख जल्दी पढ़वाइए.अनामदासhttps://www.blogger.com/profile/10451076231826044020noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-66918147022544078492007-08-25T13:29:00.000+05:302007-08-25T13:29:00.000+05:30शुक्रिया अनूपजी, अभयजी,ज्ञानजी और प्रमोदजी सफर पर ...शुक्रिया अनूपजी, अभयजी,ज्ञानजी और प्रमोदजी सफर पर आने का। <BR/>प्रमोद भाई, कल अनायास अनिल भाई का उक्त लेख पढ़ा और पहले पैरे में उत्पत्ति के शौकीनों पर लिखी टिप्पणी की ....बात जमती नहीं...यही बात कुछ खटक गई। इसे ही आगे बढ़ाते हुए अपनी प्रतिक्रिया लिखी है, अलबत्ता कुछ लंबी जरूर हो गई। हां, उसमें अन्यार्थ या इशारे-विशारे तो कुछ नहीं हैं। ये अपनी पालिसी भी नहीं है। अनिलजी के ब्लाग का मैं प्रशंसक हूं। उनकी सुरुचि और सोच वहां नज़र आते है। पूरे लेख में सिवाय एक वाक्य के बाकी सबकुछ बढिया है। अब चाहे वे हमारी आपत्ति को सही मानें, या न मानें, उनकी मर्जी।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-75622754494282293392007-08-25T10:22:00.000+05:302007-08-25T10:22:00.000+05:30अरे, महाराज, ये क्या ग़जब कर रहे हैं? यह कुछ ज़्य...अरे, महाराज, ये क्या ग़जब कर रहे हैं? यह कुछ ज़्यादा ही 'रीडिंग' नहीं हो गई? मुझे नहीं लगता अनिल रघुराज के अनगढ़ नोट में वे सारे इशारे शामिल थे जो आप उस पर सुघड़ तरीके से आरोपित कर रहे हैं!azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-30081527417789676432007-08-25T07:28:00.000+05:302007-08-25T07:28:00.000+05:30शब्द का अतीत जानने से शब्द का भविष्य़ बनाने की सहूल...शब्द का अतीत जानने से शब्द का भविष्य़ बनाने की सहूलियत होती है. शब्द का घड़ना सतत चलना चाहिये. अतीत का ज्ञान उसमें सहायक होता है.Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-25273146343233538512007-08-25T07:06:00.000+05:302007-08-25T07:06:00.000+05:30महावीर प्रसाद द्विवेदी का लेख पढ़ने में उत्सुकता जग...महावीर प्रसाद द्विवेदी का लेख पढ़ने में उत्सुकता जगा दी है आपने.. मेरे एक अन्य मित्र रघुवीर यादव के बेटे का नाम भी अबीर है..अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-2129353833632855542007-08-25T07:00:00.000+05:302007-08-25T07:00:00.000+05:30अनिल रघुराज की पोस्ट पर अनुनाद सिंह की टिप्पणी उनक...अनिल रघुराज की पोस्ट पर अनुनाद सिंह की टिप्पणी उनकी सारी बातों का जवाब है। आपको न तो सफ़ाई देने की जरूरत है न परेशान होने की। शब्दों का सफ़र में शुद्धता का कोई आग्रह-दुराग्रह नहीं<BR/>है। आप जारी रहिये। हम लाभान्वित हो रहे हैं। :)अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.com