tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post1975587284336807500..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: कुलटा बन गई पतुरियाअजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-60220406981505596202010-06-22T17:37:44.535+05:302010-06-22T17:37:44.535+05:30अजित जी,
आपका ब्लॉग देखता रहता हूँ अक्सर, शब्दों औ...अजित जी,<br />आपका ब्लॉग देखता रहता हूँ अक्सर, शब्दों और भाषा में रुचि होने के कारण। आपके द्वारा सप्रयास बहुत अच्छे आलेख प्रस्तुत किए जाते हैं, जिनके लिए आप बधाई के पात्र हैं।<br />आज का आलेख भी बढ़िया है, मगर यह कहने के लिए ठहर गया कि पतुरिया का भी प्रचलित अर्थ ही है यह जो आप ने उभारा है आज, और ऐसा ही "कुलटा" के साथ भी है।<br />"कुलटा" का शाब्दिक अर्थ "कुलम् अटतीति सा कुलटा" के अनुसार 'ऐसी (उच्च) कुलीन महिला जो कुल (उच्च) में जाए' अर्थात् जो मायके और ससुराल दोनों ही उच्च कुलों को सुशोभित करे, होने के स्थान पर कालान्तर में 'ऐसी महिला जो कुल-कुल में जाए' अर्थात् 'जो किसी एक कुल में न रहे' का हो गया।<br />यानी शाब्दिक 'कुलटा' भी भावार्थ वाली 'कुलटा' बन कर शब्द से अर्थ के कुल में जाते-जाते कहाँ से कहाँ पहुँच गई!Himanshu Mohanhttps://www.blogger.com/profile/16662169298950506955noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-69691912222924724782010-06-22T16:58:35.060+05:302010-06-22T16:58:35.060+05:30आ गया है ब्लॉग संकलन का नया अवतार: हमारीवाणी.कॉम
...<b>आ गया है ब्लॉग संकलन का नया अवतार: <a href="http://hamarivani.com" rel="nofollow">हमारीवाणी.कॉम</a></b> <br /><br /><br /><br />हिंदी ब्लॉग लिखने वाले लेखकों के लिए खुशखबरी!<br /><br />ब्लॉग जगत के लिए हमारीवाणी नाम से एकदम नया और अद्भुत ब्लॉग संकलक बनकर तैयार है। इस ब्लॉग संकलक के द्वारा हिंदी ब्लॉग लेखन को एक नई सोच के साथ प्रोत्साहित करने के योजना है। इसमें सबसे अहम् बात तो यह है की यह ब्लॉग लेखकों का अपना ब्लॉग संकलक होगा।<br /><br /><b>अधिक पढने के लिए चटका लगाएँ: </b><br /><a href="http://hamarivani.blogspot.com" rel="nofollow">http://hamarivani.blogspot.com</a>हमारीवाणीhttps://www.blogger.com/profile/02677178735599301399noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-76546532251249393772010-06-22T10:35:51.364+05:302010-06-22T10:35:51.364+05:30आपका ब्लॉग हम शब्द प्रेमियों के लिए अनोखा है ।आपका ब्लॉग हम शब्द प्रेमियों के लिए अनोखा है ।सुशीला पुरीhttps://www.blogger.com/profile/18122925656609079793noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-20222183865138054882010-06-22T08:09:38.412+05:302010-06-22T08:09:38.412+05:30दिलचस्प जानकारी धन्यवाद्दिलचस्प जानकारी धन्यवाद्निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-90800193248289935322010-06-22T05:59:00.346+05:302010-06-22T05:59:00.346+05:30जानकारी अच्छी लगी !जानकारी अच्छी लगी !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-69975370145505732182010-06-21T18:34:58.550+05:302010-06-21T18:34:58.550+05:30'प' से भी प्राश्रय जो न पाए; पतुरिया, ...'प' से भी प्राश्रय जो न पाए; पतुरिया, [पालक, पिता]<br />'प' के लिए तो ख़ुद को नचाये; पतुरिया, [पुरुष,पति,पैसा]<br />'राधा' भी बन के मान न पाए; पतुरिया, [उत्तम पात्र]<br />'कु' को भी जो 'सुपात्र' बनाए, पतुरिया.<br /> <br />mansoorali hashmiMansoor ali Hashmihttps://www.blogger.com/profile/09018351936262646974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-334585475209339972010-06-21T18:01:49.043+05:302010-06-21T18:01:49.043+05:30कितनी बड़ी बात कही आपने....
किसी अन्य चरित्र को कुश...कितनी बड़ी बात कही आपने....<br />किसी अन्य चरित्र को कुशलता पूर्वक अभिनीत करने की पात्रता ,कितना विशिष्ठ गुण है...पर पतुरिया....<br />सचमुच इसे सम्मानीय दृष्टि से तो नहीं ही देखा जाता...<br /><br />बड़ा ही रोचक लगा यह विवरण...<br />आपका बहुत बहुत आभार...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-66437694569272215162010-06-21T17:38:48.621+05:302010-06-21T17:38:48.621+05:30बहुत सुन्दर।
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इंसानों से बेहतर चिम्पांजी?...बहुत सुन्दर।<br />---------<br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">इंसानों से बेहतर चिम्पांजी?</a><br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">क्या आप इन्हें पहचानते हैं?</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-50581198934513893922010-06-21T13:34:25.407+05:302010-06-21T13:34:25.407+05:30जो शब्द प्रशम दृष्ट्या असम्बन्द्ध से लगते हैं, उनक...जो शब्द प्रशम दृष्ट्या असम्बन्द्ध से लगते हैं, उनको भी आपस में गूँथ कर रख देते हैं आप ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-12667741078197545332010-06-21T11:19:53.017+05:302010-06-21T11:19:53.017+05:30अभय भाई,
पा ध्वनि (या धातु) ही महत्वपूर्ण है। मिलत...अभय भाई,<br />पा ध्वनि (या धातु) ही महत्वपूर्ण है। मिलती-जुलती अर्थध्वनियों वाली धातुएं होती हैं। पा में रक्षित करने, पालने का भाव आप्टेकोश में भी स्पष्ट है। इसे उपसर्ग के साथ देखें-परि-पा, प्रति-पा यानी पालना, बचाना, स्थिर रखना आदि। मूल भाव पा में है। विशिष्ट शब्दों के लिए अधिक शुद्ध धातुओं की खोज हुई। पालक के लिए पाल् इसी कड़ी की धातु है। किन्तु इसमें पा निहित है और इसीलिए पा में निहित रक्षा का भाव भी पाल् में है। ....और गौर करें पा में निहित पीने का भाव भी ग्रहण करने, आधार बनाने या रक्षित करने (गटकने, हड़पने) के अर्थ में प्रकट हो रहा है। गौरतलब है धातु परिशुद्ध अवस्था में कभी नहीं मिलती, उसे तो खोजा जाता है। एक से अधिक रूपों की खोज सिर्फ संदर्भित शब्द के परिशुद्ध मूल तक पहुंचने की प्रक्रिया है। प्रकृति में भी धातुएं कहां शुद्ध मिलती हैं? सोना, चांदी, ताम्बा, जस्ता सभी के पार्थिव यौगिक रूप ही मिलते हैं। इनमें मूल या धातु की तलाश होती है।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-53660544144706886132010-06-21T11:09:12.104+05:302010-06-21T11:09:12.104+05:30अजित भाई,
पात्र के नीचे आप्टे जी ने आप्टे जी के क...अजित भाई,<br /><br />पात्र के नीचे आप्टे जी ने आप्टे जी के कोष में इसके आगे लिखा है -पाति रक्षति। इस पा का अर्थ सम्भवतः रक्षा से है, जिस ओर आप इशारा कर रहे हैं, तो शायद इसका अर्थ होगा - जो रक्षा करता है। लेकिन पा का यहाँ पर एक दूसरा अर्थ पातिन् से भी हो सकता है जो पत् (गिरना, बहना) धातु से सम्बन्धित है और जिसका अर्थ है उड़ेला हुआ। अब इसमें ध्यान देने योग्य बात है कि इसमें पा के साथ त्र लगा हुआ है। इस त्र में त्रै धातु का तारने का भाव है, उद्धार करने का। 'त्राहि माम' पुकार का अर्थ होता है.. मुझे बचाओ। <br /><br />ये मेरा दावा नहीं है.. बस एक प्रस्तावना है.. सम्भव है निराधार हो.. <br /><br />या फिर आप्टे के द्वारा दी हुई दूसरी व्युत्पत्ति के अनुसार पा+ष्ट्रन्। यहाँ पा धातु का अर्थ है पीना। मतलब हुआ पीने का बर्तन या प्याला। <br /><br />पालक अगर पा धातु से निकल रहा है तो पाल् धातु बेचारी किस को जन्म दे रही है?अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-34276324462068523882010-06-21T11:02:32.133+05:302010-06-21T11:02:32.133+05:30This comment has been removed by the author.अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-57398464984608071562010-06-21T10:27:44.195+05:302010-06-21T10:27:44.195+05:30बेहतरीन..हमेशा की तरह.."बेहतरीन..हमेशा की तरह.."Amitraghathttps://www.blogger.com/profile/13388650458624496424noreply@blogger.com