tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post2459349437372166750..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: घोड़ों की टाप और परवाने [डाकिया डाक लाया -4]अजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-44161230389121645202007-12-05T15:52:00.000+05:302007-12-05T15:52:00.000+05:30बिल्कुल नयी जानकारी है। शुक्रिया।बिल्कुल नयी जानकारी है। शुक्रिया।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-17920686928262148342007-12-03T18:02:00.000+05:302007-12-03T18:02:00.000+05:30हमेशा की तरह जानकारी से परिपूर्ण लेख । क्या बात है...हमेशा की तरह जानकारी से परिपूर्ण लेख । क्या बात है मंगोलों के डाकियों की ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-33502591444308707002007-12-02T06:30:00.000+05:302007-12-02T06:30:00.000+05:30वैसे तो इतिहास से एलर्जी रही है पर ऐसे पढ़ पा रहा ...वैसे तो इतिहास से एलर्जी रही है पर ऐसे पढ़ पा रहा हूं. मजा आया और जानकारी पढ़ कर.<BR/>अजित भाई, मेरे शहर सागर का टालमी के आगर से क्या संबंध है कुछ बता सकेंगे क्या? इस विषय में कुछ ठोस जानकारी की तलाश कर रहा हूं.विस्तृत चर्चा करना चाहता हूं.Sanjay Karerehttps://www.blogger.com/profile/06768651360493259810noreply@blogger.com