tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post2573002714087534287..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: औलिया की सीख, मुल्ला की दहशत [संत-12]अजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-71898687793601463942010-04-22T18:33:30.141+05:302010-04-22T18:33:30.141+05:30अल्लाह से डरे ना डरे मुल्ला से जरूर डर लगता है । औ...अल्लाह से डरे ना डरे मुल्ला से जरूर डर लगता है । औलिया तो राहगीर हैं<br />फकीर हैं ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-35539561177001855382009-04-10T13:33:00.000+05:302009-04-10T13:33:00.000+05:30ज्ञानदा ने बहुत महीन और बढ़िया बात कही है...ज्ञानदा ने बहुत महीन और बढ़िया बात कही है...अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-30832156044628079912009-04-10T10:07:00.000+05:302009-04-10T10:07:00.000+05:30धीरू सिंह से सहमत ,शब्दो के महंत जी को प्रणाम्।धीरू सिंह से सहमत ,शब्दो के महंत जी को प्रणाम्।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-31960457122389623622009-04-10T09:40:00.000+05:302009-04-10T09:40:00.000+05:30बहुत सुंदर जानकारी. आप इतनी जानकारी कैसे जुटाते है...बहुत सुंदर जानकारी. आप इतनी जानकारी कैसे जुटाते हैं? कितनी अथक मेहनत करते होंगे आप? इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. <BR/><BR/>इतनी पुख्ता जानकारी ..बहुत बहुत धन्यवाद और शुभकामनाएं.<BR/><BR/>रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-90510466414633025412009-04-10T09:21:00.000+05:302009-04-10T09:21:00.000+05:30मंसूर अली साहब के शेर नेखुश कर दिया....ऐसी मोहब्बत...मंसूर अली साहब के शेर ने<BR/>खुश कर दिया....ऐसी मोहब्बत <BR/>बेहद ज़रूरी है इस दौर में.<BR/><BR/>और हाँ...अजित जी,<BR/><BR/>मैंने कभी...कहीं पढ़ा था -<BR/>हद तपे सो औलिया,बेहद तपे सो पीर,<BR/>हद,बेहद दोनों तपे, ताको नाम फकीर. <BR/>==============================<BR/>डॉ.चन्द्रकुमार जैनDr. Chandra Kumar Jainhttps://www.blogger.com/profile/02585134472703241090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-85298445080590486122009-04-10T08:20:00.000+05:302009-04-10T08:20:00.000+05:30बहुत सुन्दर सफ़र है शब्दों की खोज का.ज्ञानदत्त जी...बहुत सुन्दर सफ़र है शब्दों की खोज का.ज्ञानदत्त जी की बात से सहमत हू. मगर आपका शब्दों का सामाजिक परिप्रेक्ष्य में देखना ही तो आपके blogs का आकर्षण है. और विचारो की भिन्नता को स्वीकारना भी तो हमें ब्लोगिंग ने अधिक स्पष्ट रूप से सिखाया है.<BR/>आज के टाइटल पर एक शेर याद आ रहा है:<BR/>"काश वाइज़* ने मोहब्बत भी सिखाई होती,<BR/>और क्या कीजिए अल्लाह से डरने के सिवा.<BR/>*वाइज़=उपदेशक <BR/>-मंसूर अली हाशमीMansoor ali Hashmihttps://www.blogger.com/profile/09018351936262646974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-75672459689651660072009-04-10T08:11:00.000+05:302009-04-10T08:11:00.000+05:30जिस जिस शब्द ने जनता में इज्जत पाई है उसी का गलत ल...जिस जिस शब्द ने जनता में इज्जत पाई है उसी का गलत लोगों ने इस्तेमाल किया है। इस्तेमालियों का कुछ हुआ या नहीं पर शब्द बदनाम हो गया। अब कोई अपने को टाइटलर कहलाना पसंद करेगा?दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-62742266638646645252009-04-10T07:31:00.000+05:302009-04-10T07:31:00.000+05:30आपको क्या कहा जाए - शब्दों का वलीआपको क्या कहा जाए - शब्दों का वलीdhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-39253504152230265872009-04-10T06:15:00.000+05:302009-04-10T06:15:00.000+05:30भाई वडनेकर जी!मुल्ला, मौलवी, औलिया, वली सभी का आपन...भाई वडनेकर जी!<BR/>मुल्ला, मौलवी, औलिया, वली सभी का आपने बड़ी खूबी के साथ विश्लेषण प्रस्तुत किया है। <BR/>मैं कमलकान्त बुधकर जी के स्वर में स्वर मिला कर उनकी बात का समर्थन करता हूँ। <BR/>आपकी खोजपरक लेखनी को प्रणाम करता हूँ।http:badnam.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/15843229489102584551noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-26133843099551636302009-04-10T05:25:00.000+05:302009-04-10T05:25:00.000+05:30अतिवादी इमेज बताने के चक्कर में मुल्ला के बराबर स्...अतिवादी इमेज बताने के चक्कर में मुल्ला के बराबर स्वामी और महन्त को खड़ा करने की सेकुलर मजबूरी से फ्रीडम, ब्लॉगर की असली फ्रीडम है।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-26574071154667018502009-04-10T03:13:00.000+05:302009-04-10T03:13:00.000+05:30डॉ.कमलकांत बुधकरअच्छी पोस्ट है भाई। मुझे लगने लग...<A HREF="http://yadaa-kadaa.blogspot.com/" REL="nofollow"><B>डॉ.कमलकांत बुधकर</B></A><BR/>अच्छी पोस्ट है भाई। मुझे लगने लगा है कि डॉ. प्रभाकर माचवे के बाद तुम हमारे परिवार के दूसरे शब्दकौतुकी सिद्ध होते जा रहे हो।Anonymousnoreply@blogger.com