tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post2871748527184160496..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: इंशाजी की रामायन, उर्दू की आखिरी किताब सेअजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-92191931934233902022010-01-20T01:55:36.534+05:302010-01-20T01:55:36.534+05:30इमरान से सौ प्रतिशत सहमतइमरान से सौ प्रतिशत सहमतPratik Jainhttps://www.blogger.com/profile/09573518389598611514noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-72531789741567040202009-09-15T14:52:20.365+05:302009-09-15T14:52:20.365+05:30क्या किसी धर्म का मखोल उड़ना सही बात है? नहीं न अग...क्या किसी धर्म का मखोल उड़ना सही बात है? नहीं न अगर उन्होंने कुछ ऐसा लिखा दिया तो क्या होगा जवाब दो! और जिसने जो लिखा वो लिखा पैर आप क्यों इतने उत्साह से ये गलत बाते दिखा रहे हो! और फिर भी भारत जैसे देश में इन लोगो को कुछ नहीं कहा जाताImraannoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-9179920876451718702008-04-20T07:19:00.000+05:302008-04-20T07:19:00.000+05:30उड़न तस्त...उड़न तस्तरीजी से लगता है, तंज़निगार का नाम टाइप करने में चूक हो गयी. इब्ले इन्शां से तो कुछ नहीं बनता. इब्न-ए-इंशा सही लफ्ज़ है, जिसका मतलब होता है इंसान का बेटा; जैसे कि इब्न-ए-बतूता या इब्न-ए-मरियम. धन्यवाद!विजयशंकर चतुर्वेदीhttps://www.blogger.com/profile/12281664813118337201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-49075877193344365952008-04-20T07:12:00.000+05:302008-04-20T07:12:00.000+05:30ये किताब अपने पास है बिरादर. साल १९९४ में परिदृश्य...ये किताब अपने पास है बिरादर. साल १९९४ में परिदृश्य प्रकाशन, मुम्बई से ख़रीदी थी. अच्छा किया जो दोबारा पढ़ने की उत्कंठा जगा दी.विजयशंकर चतुर्वेदीhttps://www.blogger.com/profile/12281664813118337201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-37233790170673046352007-09-30T20:54:00.000+05:302007-09-30T20:54:00.000+05:30आपने रेकमेन्ड किया है तो इब्ले इंशा जी यह किताब जर...आपने रेकमेन्ड किया है तो इब्ले इंशा जी यह किताब जरुर पढ़ी जायेगी. आभार जानकारी के लिये. आप जानकारियों का पिटारा हैं. सहेजने योग्य. चिट्ठाजगत आपको पाकर धन्य हुआ.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com