tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post3286995055303392412..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: सरपत की धार पर अभय तिवारीअजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-23310437617526813452009-11-02T23:57:55.822+05:302009-11-02T23:57:55.822+05:30ऐसी फिल्में अधिक से अधिक लोगों तक पहुचनी चाहिए. अभ...ऐसी फिल्में अधिक से अधिक लोगों तक पहुचनी चाहिए. अभयजी की प्रतिभा तो निर्मल आनंद पर दिखती ही है.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-38555917645726485712009-11-01T23:48:43.929+05:302009-11-01T23:48:43.929+05:30सही बात है। मेहनती और रचनात्मक प्रयासों का उल्लेख ...सही बात है। मेहनती और रचनात्मक प्रयासों का उल्लेख होना ही चाहिए।<br /><br /><br />इस सधी हुई समीक्षा के जरिए फिल्म की कथावस्तु से अवगत कराने के लिए आभार।Ashok Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/14682867703262882429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-23159325428731941352009-11-01T21:12:38.400+05:302009-11-01T21:12:38.400+05:30अब ऐसी सार्थक सिनेमा चर्चा का भी स्वागत हैअब ऐसी सार्थक सिनेमा चर्चा का भी स्वागत हैdhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-66692097750375242852009-11-01T20:32:13.957+05:302009-11-01T20:32:13.957+05:30हमारे अभय भाई , संवेदनशील व प्रतिभाशाली लेख़क तथा ...हमारे अभय भाई , संवेदनशील व प्रतिभाशाली लेख़क तथा चिन्तक हैं<br />उनका लिखा हमेशा मुझे बेहद अच्छा लगता है<br /><br />-- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-46401862527757460412009-11-01T14:48:07.174+05:302009-11-01T14:48:07.174+05:30मैं भाग्यशाली रहा जो इलाहाबाद में इस फिल्म के प्रद...मैं भाग्यशाली रहा जो इलाहाबाद में इस फिल्म के प्रदर्शन पर मौजूद था। मैं समीक्षक तो नहीं लेकिन फिल्म देखकर सन्न रह गया। <br /><br />बचपन के गाँव में बिताये वो दिन याद गये जब आई-स्पाई खेलते समय ‘सरपत की टाट’ की आड़ में छिपते हुए थोड़ी असावधानी बरतने पर अंगुली चिरवा बैठते थे। सचमुच तलवार सी धार महसूस की है मैने।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-71997222651396555072009-11-01T12:27:41.350+05:302009-11-01T12:27:41.350+05:30is film k bare me padh kar aur garima shrivastav j...is film k bare me padh kar aur garima shrivastav ji se sun kar, ise dekhne ki tamanna hai, lets c kab dekh pate hainSanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-55540187822367940612009-11-01T11:10:59.649+05:302009-11-01T11:10:59.649+05:30समीक्षा बहुत प्रभावशाली है।
बधाई!समीक्षा बहुत प्रभावशाली है।<br />बधाई!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-65601835757523787152009-11-01T09:23:40.712+05:302009-11-01T09:23:40.712+05:30अजित भाई, बहुत सधी हुई समीक्षा है, जो फिल्म का आभा...अजित भाई, बहुत सधी हुई समीक्षा है, जो फिल्म का आभास देती हुए उसे देखने को प्रेरित करती है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-40370368955139645472009-11-01T07:50:11.186+05:302009-11-01T07:50:11.186+05:30मिलने की इच्छा इधर भी कम नहीं थी मगर नियति को स्वी...मिलने की इच्छा इधर भी कम नहीं थी मगर नियति को स्वीकार न था। <br />इस समीक्षा के लिए बहुत आभार!अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-80703389951967503532009-11-01T07:01:10.148+05:302009-11-01T07:01:10.148+05:30तगड़ी समीक्षा । यहाँ पहलेपहल वहीं से पहुँचा था ।तगड़ी समीक्षा । यहाँ पहलेपहल वहीं से पहुँचा था ।अफ़लातूनhttp://kashivishvavidyalay.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-808289015946882892009-11-01T06:59:24.688+05:302009-11-01T06:59:24.688+05:30अविनाश जी की टिप्पणी काफी कुछ कह गई
बी एस पाबलाअविनाश जी की टिप्पणी काफी कुछ कह गई<br /><br /><a href="http://www.google.com/profiles/bspabla" rel="nofollow"> बी एस पाबला</a>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-2614682212454416652009-11-01T06:34:43.350+05:302009-11-01T06:34:43.350+05:30बहुत प्रभावशाली और सधी समीक्षा -अभय एक गहरी संवेदन...बहुत प्रभावशाली और सधी समीक्षा -अभय एक गहरी संवेदना से युक्त सृजनकर्मी हैं -उनके लेखन की धार गहरी चोट पहुंचाती है -निर्मल आनंद का मैं ग्राहक हूँ ! मगर हाँ मुझे उनकी राजनीति के इतर पोस्टें ही ज्यादा प्रिय हैं -ऐसे संभावनाशील सृजनशिल्पी के लिए मन से सहज ही मंगल कामनाएं निःसृत होती रहती हैं -दुःख है इलाहाबाद में मुलाक़ात नहीं हो सकी !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-52728025802271003772009-11-01T03:31:29.079+05:302009-11-01T03:31:29.079+05:30जो असर जासूसी उपन्यास पढ़ने पर होता है। वही प्रभा...जो असर जासूसी उपन्यास पढ़ने पर होता है। वही प्रभाव यहां पर मौजूदगी से हुआ है। जासूसी उपन्यास का असर का अहसास बखूबी उकेरा गया है जो चिंतित करता है जबकि होता नहीं है।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.com