tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post3815081233724659523..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: अपना हाथ जगन्नाथ…यानी महिमा कर्म कीअजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-25342898202083722352010-10-01T18:26:17.698+05:302010-10-01T18:26:17.698+05:30कर का कार होना चक्कर में डाल गया. यदी "करसेवा...कर का कार होना चक्कर में डाल गया. यदी "करसेवा" कहा जाता तो "कर" माने हाथ से लेते या फिर मानते की आदेश है "सेवा कर" :) . <br /><br />जानकारी के लिए आभार.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-60261612504608100742010-05-14T19:57:34.544+05:302010-05-14T19:57:34.544+05:30पिछले ५ दिन पचमढ़ी-भोपाल में गुज़रे, सो आमद में ता...पिछले ५ दिन पचमढ़ी-भोपाल में गुज़रे, सो आमद में ताख़ीर हुई है....<br /><br />'जुड़े हाथ' करते दुआ, 'खुला हाथ' झापट लगे*,<br />कर की महिमा जान कर, बाकी सब औसत* लगे,<br />'कर सेवा' से 'CAR' तक पहुँच हुई आसान,<br />'कृ' धातु में छुपे हुए भाव हमे 'चौंसठ' लगे.<br /><br /> [*बकौल खुश्दीपजी ]<br />[*बकौल द्विवेदी जी ]*Mansoor ali Hashmihttps://www.blogger.com/profile/09018351936262646974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-15390289111782360842010-05-10T12:32:34.138+05:302010-05-10T12:32:34.138+05:30आपकी लेखनी से शब्द का सफ़र, लगता है कोई शब्दों की ...आपकी लेखनी से शब्द का सफ़र, लगता है कोई शब्दों की इतिहास नाटिका हो, और शब्द विभिन्न रूप बदल कर,अपनी उत्पत्ति गाथा गा रहे है.<br />ज्ञानदान के लिए धन्यवाद.सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-64538946910711699862010-05-10T07:45:50.132+05:302010-05-10T07:45:50.132+05:30@बलजीत बासी,
कारसेवा के संदर्भ में पंजाबी का हवाल...@बलजीत बासी, <br />कारसेवा के संदर्भ में पंजाबी का हवाला इसलिए दिया क्योंकि कारसेवा का हिन्दी में जो प्रचलित प्रयोग है वह समाचार माध्यमों के जरिये पंजावी वाले कारसेवा की तरह अधिक होता है, अन्यथा कारसेवा, करसेवा ही है। करसेवा हिन्दी में भी है, पर अल्पप्रचलित। महाराष्ट्र में भी मंदिरों में करसेवा होती है। मराठी में भी यह प्रचलित है। वृहत प्रामाणिक हिन्दी कोश समेत अनेक कोशों में यह करसेवा ही दर्ज है जिसमें धार्मिक आयोजनों या धार्मिक निर्माण हेतु किया जानेवाला श्रमदान का भाव ही है। बाकी आप सही हैं।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-45690606339027309372010-05-10T03:59:16.935+05:302010-05-10T03:59:16.935+05:30आप शायद क्रिया का वैयाकर्नक अर्थों में प्रयोग नही...आप शायद क्रिया का वैयाकर्नक अर्थों में प्रयोग नहीं कर रहे.Baljit Basihttps://www.blogger.com/profile/11378291148982269202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-40866471761043578802010-05-10T03:26:14.695+05:302010-05-10T03:26:14.695+05:30पंजाबी में 'कार' स्वतंतर शब्द है और इसका व...पंजाबी में 'कार' स्वतंतर शब्द है और इसका व्यापक प्रचलन है. इसका मतलब काम ही है:<br />जो तुधु भावै साई भली कार - गुरू नानक<br /> संजोगु विजोगु दुइ कार चलावहि लेखे आवहि भाग- गुरू नानक <br />नानक सचे की साची कार -गुरू नानक <br />एक मुहावरा है: हाथ कार वल, चित यार वल.<br />यहाँ कर 'संज्ञा' ही है. कारसेवा वाली बात ज़रा स्पष्ट करें.वैसे आप 'कार्य' और 'सेवा' को किर्याएँ बता रहे हैं , क्या यह भाववाचक संज्ञाएँ नहीं हैं?Baljit Basihttps://www.blogger.com/profile/11378291148982269202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-53952941525148473182010-05-09T22:54:09.346+05:302010-05-09T22:54:09.346+05:30आपके हाथ बहुत लम्बे हैं सर जी, जबरदस्त। हमेशा की त...आपके हाथ बहुत लम्बे हैं सर जी, जबरदस्त। हमेशा की तरह उम्दा जानकारी लेकर आये। शुक्रिया।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-16113714345432729892010-05-09T22:05:44.218+05:302010-05-09T22:05:44.218+05:30@ द्विवेदी जी आपकी टिप्पणी पढने के बाद और कुछ लिखन...@ द्विवेदी जी आपकी टिप्पणी पढने के बाद और कुछ लिखने की हिमाकत नहीं कर रहा हूँ !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-83150034059753226872010-05-09T21:58:45.605+05:302010-05-09T21:58:45.605+05:30हमने श्लोक में "करमूले तु गोविन्द" पढ़ा ह...हमने श्लोक में "करमूले तु गोविन्द" पढ़ा है अजित भाई [ करतल ध्वनि के साथ [ :-) - मनीषAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/08624620626295874696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-29690859068431343852010-05-09T20:48:45.911+05:302010-05-09T20:48:45.911+05:30अजित जी,
कांग्रेस जीती तो आम आदमी के हाथ का साथ दे...अजित जी,<br />कांग्रेस जीती तो आम आदमी के हाथ का साथ देने के वादे से जीती थी...<br />लेकिन ये नीरा राडिया के प्रकरण से आपको नही लगता कि कांग्रेस का हाथ भ्रष्टाचारियों के साथ हैं, जिसमें पत्रकारिता के कुछ कथित पुरोधाओं ने भी अपना महत्ती योगदान दिया है...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-16735771555952883432010-05-09T20:36:47.174+05:302010-05-09T20:36:47.174+05:30कमेंटबॉक्स पूरा नही खुलता है! इसलिए कमेंट नही कर प...कमेंटबॉक्स पूरा नही खुलता है! इसलिए कमेंट नही कर पाता हूँ!रूपचंद शास्त्री मयंकnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-66174786384779469642010-05-09T18:28:40.498+05:302010-05-09T18:28:40.498+05:30बहुत सुंदर पोस्ट, काफ़ी समय बाद आना हुआ, अब पीछे क...बहुत सुंदर पोस्ट, काफ़ी समय बाद आना हुआ, अब पीछे की पोस्ट पढनी पडेंगी तब घाटा पूरा होगा.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-20508936137128428542010-05-09T17:07:51.382+05:302010-05-09T17:07:51.382+05:30अन्दर ही अन्दर शब्द कितने हिले मिले हैं ।अन्दर ही अन्दर शब्द कितने हिले मिले हैं ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-57505817631304054152010-05-09T16:47:28.173+05:302010-05-09T16:47:28.173+05:30इस पाठ से ऐसा लगा मनुष्य की सारी संपदा कर शब्द में...इस पाठ से ऐसा लगा मनुष्य की सारी संपदा कर शब्द में ही समाहित हो गई है। बहुत विस्तृत और श्रमोत्पन्न आलेख।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-67849243552732170342010-05-09T15:29:58.358+05:302010-05-09T15:29:58.358+05:30कर कमलो से उद्घाटन इसी लिये करवाते है नेताओ से कि ...कर कमलो से उद्घाटन इसी लिये करवाते है नेताओ से कि उनका हाथ बना रहे उपरdhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.com