tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post3878821002773237812..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: द्रोण, दोना और डोंगी…[पोत-1]अजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-9508224434790148672009-03-27T23:01:00.000+05:302009-03-27T23:01:00.000+05:30बहुत ही जानकारीपूर्ण लेख है।एक शब्द याद आया स्किपर...बहुत ही जानकारीपूर्ण लेख है।<BR/><BR/>एक शब्द याद आया स्किपर, जो जहाज के कप्तान के लिए अंग्रेजी में प्रयुक्त होता है। आपका यह लेख पढ़कर लगता है, यह भी पुराने जर्मन के स्किप शब्द से ही बना होगा।बालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणhttps://www.blogger.com/profile/09013592588359905805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-79118805644512931442009-03-27T17:34:00.000+05:302009-03-27T17:34:00.000+05:30रोचक जानकारी लगी । हमेशा ही आपके द्वारा दी गयी जान...रोचक जानकारी लगी । हमेशा ही आपके द्वारा दी गयी जानकारी ज्ञान कि पर्त खोल देती है ।naresh singhhttps://www.blogger.com/profile/16460492291809743569noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-78478695415037677822009-03-27T16:52:00.000+05:302009-03-27T16:52:00.000+05:30आज पता चल गया ये दोना - पत्तल वाला दोना कहाँ से आय...आज पता चल गया ये दोना - पत्तल वाला दोना कहाँ से आया . एक बार गाँव में एक भोज में खाना खिला रहे थे , सब्जी ले के घूम रहे थे , तभी किसी ने कहा "भैया दोना ". हम सब्जी देने लगे, वो बोले ये नहीं" दोना नहीं मिला है" .आलोक सिंहhttps://www.blogger.com/profile/00082633138533183604noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-72089346243126830922009-03-27T12:12:00.000+05:302009-03-27T12:12:00.000+05:30कहने की जरुरत नही है की इस बार भी ज्ञान मे बढोतरी...कहने की जरुरत नही है की इस बार भी ज्ञान मे बढोतरी हुई ।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-19560680857254140172009-03-27T11:30:00.000+05:302009-03-27T11:30:00.000+05:30विभिन्न देशों के भाषाओं और संस्कृतियों में मिलते ज...विभिन्न देशों के भाषाओं और संस्कृतियों में मिलते जुलते शब्दों व तरीकों से यह तो प्रमाणित होता है कि पूर्व में वे इन सभ्यताओं के बीच आदान-प्रदान होता रहा है।<BR/>>"द्रुमः शब्द जिसका अर्थ भी पेड़ ही होता है ..." शायद अंग्रेज़ी का ड्रम भी इसी शब्द से बना हो जो लकडी के पीपों के लिए प्रयोग में लाया जाता रहा है।चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-9855067571583284962009-03-27T09:39:00.000+05:302009-03-27T09:39:00.000+05:30सफ़र के विशाल पोत परफ्लैगशिप के समान है यह पोस्ट.प...सफ़र के विशाल पोत पर<BR/>फ्लैगशिप के समान है यह पोस्ट.<BR/>प्रतिपदा पर इस यात्रा के सतत <BR/>प्रशस्त होने की शुभकामनाएँ<BR/>स्वीकार कीजिए अजित जी.<BR/>========================<BR/>आपका<BR/>डॉ.चन्द्रकुमार जैनDr. Chandra Kumar Jainhttps://www.blogger.com/profile/02585134472703241090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-31657639807862952162009-03-27T07:38:00.000+05:302009-03-27T07:38:00.000+05:30interesting.....हमेशा की तरहinteresting.....हमेशा की तरहAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-21253169425039916302009-03-27T07:19:00.000+05:302009-03-27T07:19:00.000+05:30डोंगी से यात्रा करना सुखद रहा। एक नया अनुभव भी। यह...डोंगी से यात्रा करना सुखद रहा। एक नया अनुभव भी। यहाँ शब्दों का विकास करते केवल मनुष्य दिखाई देता है, उस की जाति, धर्म, रंग, रूप दूर दूर तक दृष्टिगोचर नहीं होते।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-28263108457549864872009-03-27T06:53:00.000+05:302009-03-27T06:53:00.000+05:30डोंगी तो हमने डाल ही दी है आपके शब्दों के समुन्दर ...डोंगी तो हमने डाल ही दी है आपके शब्दों के समुन्दर मे , रोज़ सैर हो जाती है और दो चार शब्दों से मुलाक़ातdhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-20006300713656938632009-03-27T06:47:00.000+05:302009-03-27T06:47:00.000+05:30भाई वडनेकर जी।आप बधाई के पात्र हैं। नव सम्वत्सर पर...भाई वडनेकर जी।<BR/>आप बधाई के पात्र हैं। <BR/>नव सम्वत्सर पर आपने भवसागर पार <BR/>करने के लिए एक डोंगी उपलब्ध कराई हैं।<BR/>जगत-नियन्ता सबकी नाव पार लगायें। <BR/>इसी आशा के साथ-आपको नववर्ष की बधायी प्रेषित करता हूँ।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-71551933545283477502009-03-27T06:24:00.000+05:302009-03-27T06:24:00.000+05:30http://www.sahityashilpi.com/2008/09/blog-post_25....http://www.sahityashilpi.com/2008/09/blog-post_25.html<BR/>शहतीर में है वही तीर<BR/>जो आप चलाते हैं वीर<BR/>शब्दों के, अर्थ के, भेद के<BR/>आपके तीरों से होता है<BR/>शहतीरों को फायदा<BR/>जब आप देते हैं जानकारी<BR/>इंटरनेट पर, ब्लॉग पर<BR/>नहीं लिखते कागज पर<BR/>तो बचता है शहतीर<BR/>तब ही आप हैं<BR/>सच्चे मायने में<BR/>शब्दों के वीर।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.com