tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post4323289652588970657..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: भाड़े की देन हैं भड़ुआ और भाड़ूअजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-16772715702589451012011-03-19T16:45:58.200+05:302011-03-19T16:45:58.200+05:30अजित वडनेरकर में प्रतिभा के स्फुलिंग मुझे वर्षों प...अजित वडनेरकर में प्रतिभा के स्फुलिंग मुझे वर्षों पूर्व तब दिखे थे जब उन्हें गीत-ग़ज़ल गाते हुए सुना. कुछ गज़लें तो मैं उनसे जब भी मिलते, फरमाइश करके सुनता था. उनकी अपनी कविताओं में भी होनहार होने के ढेर सारे सबूत मैंने देखे थे. इधर वर्षों से उनसे संपर्क कम हो गया है. 'शब्दों का सफ़र' देखकर मुझे सुखद आश्चर्य हुआ. उनके मामा जी (डाक्टर कमलकांत बुधकर) से मैंने अपनी भावना साझा की. विद्यार्थी जीवन में डॉ. विद्या निवास मिश्र का 'दिनमान' में एक स्तम्भ हम पढ़ा करते थे. उसमें वे विभिन्न अवसरों पर या क्षेत्रों में प्रयुक्त होने वाले भोजपुरी के शब्दों की जड़ें संस्कृत से ढूंढ कर लाते थे. अजित वडनेरकर कुछ और, कुछ अधिक कर रहे हैं. हमारे जैसे उनके शुभेच्छुओं के गदगद होने की बारी है. बधाई, शुभकामनाएं और ढेर सारा आशीष. उनके ब्लाग्स, उनकी पुस्तक को थोड़ा और पढ़ने के बाद कुछ विशेष रूप से और शायद ज़्यादा अच्छा कहना हो पायेगा. <br /><br />शिव शंकर जायसवालDr. S S Jaiswalnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-50158215446510071642011-03-18T13:36:57.964+05:302011-03-18T13:36:57.964+05:30दोस्तों! अच्छा मत मानो कल होली है.आप सभी पाठकों/ब्...दोस्तों! अच्छा मत मानो कल होली है.आप सभी पाठकों/ब्लागरों को रंगों की फुहार, रंगों का त्यौहार ! भाईचारे का प्रतीक होली की शकुन्तला प्रेस ऑफ़ इंडिया प्रकाशन परिवार की ओर से हार्दिक शुभमानाओं के साथ ही बहुत-बहुत बधाई!रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीकhttps://www.blogger.com/profile/01260635185874875616noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-12307772582932056662011-03-15T13:54:23.149+05:302011-03-15T13:54:23.149+05:30शकुन्तला प्रेस कार्यालय के बाहर लगा एक फ्लेक्स बोर...शकुन्तला प्रेस कार्यालय के बाहर लगा एक फ्लेक्स बोर्ड देखे.......http://shakuntalapress.blogspot.com/2011/03/blog-post_14.html क्यों मैं "सिरफिरा" था, "सिरफिरा" हूँ और "सिरफिरा" रहूँगा! देखे.......... http://sach-ka-saamana.blogspot.com/2011/03/blog-post_14.html<br /><br />आप सभी पाठकों और दोस्तों से हमारी विनम्र अनुरोध के साथ ही इच्छा हैं कि-अगर आपको समय मिले तो कृपया करके मेरे (http://sirfiraa.blogspot.com , http://rksirfiraa.blogspot.com , http://shakuntalapress.blogspot.com , http://mubarakbad.blogspot.com , http://aapkomubarakho.blogspot.com , http://aap-ki-shayari.blogspot.com , http://sachchadost.blogspot.com, http://sach-ka-saamana.blogspot.com , http://corruption-fighters.blogspot.com ) ब्लोगों का भी अवलोकन करें और अपने बहूमूल्य सुझाव व शिकायतें अवश्य भेजकर मेरा मार्गदर्शन करें. आप हमारी या हमारे ब्लोगों की आलोचनात्मक टिप्पणी करके हमारा मार्गदर्शन करें और अपने दोस्तों को भी करने के लिए कहे.हम आपकी आलोचनात्मक टिप्पणी का दिल की गहराईयों से स्वागत करने के साथ ही प्रकाशित करने का आपसे वादा करते हैं # निष्पक्ष, निडर, अपराध विरोधी व आजाद विचारधारा वाला प्रकाशक, मुद्रक, संपादक, स्वतंत्र पत्रकार, कवि व लेखक रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" फ़ोन:9868262751, 9910350461रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीकhttps://www.blogger.com/profile/01260635185874875616noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-4663619367402157862011-03-12T21:32:26.192+05:302011-03-12T21:32:26.192+05:30घोटाला शब्द के विषय में जानने की तीब्र इच्छा है. आ...घोटाला शब्द के विषय में जानने की तीब्र इच्छा है. आप से बड़ी उम्मीद हैBhoopendra pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04367163751148042903noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-41061783758871363722011-03-10T18:18:21.004+05:302011-03-10T18:18:21.004+05:30आपसे बहुत कुछ सीखने को मिला है....आपसे बहुत कुछ सीखने को मिला है....डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-44370035494928173262011-03-10T17:01:34.123+05:302011-03-10T17:01:34.123+05:30सब नेता भाडू नही होते . .......सब नेता भाडू नही होते . .......dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-82619282125713962832011-03-10T15:23:32.801+05:302011-03-10T15:23:32.801+05:30स्वप्नदर्शीजी,
आपका सुझाव बहुत अच्छा है। गौर करें...स्वप्नदर्शीजी, <br />आपका सुझाव बहुत अच्छा है। गौर करें कि मैं अक्सर शब्द व्युत्पत्ति के संदर्भ में सफ़र को विभिन्न भाषा परिवारों के नज़दीक ले जाता हूँ। द्रविड़ परिवार से भी अगर किसी शब्द के संदर्भसूत्र जुड़ते हैं तो उसका हवाला यहाँ होता है। अपने काम का दायरा अब मैं मराठी के जरिये बढ़ा रहा हूँ। मराठी ही वह कड़ी है जिसके जरिये दक्षिणी भाषाओं के शब्दो का आगमन उत्तर की ज़बानों में हुआ।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-83349424173877148592011-03-10T09:08:44.943+05:302011-03-10T09:08:44.943+05:30अपने चारो तरफ ही 'भाड़ू' है,
कोई साली न को...अपने चारो तरफ ही 'भाड़ू' है,<br />कोई साली न कोई साढ़ू है,<br />फुल है पॉकेट 'सफ़ेद पोशो'* के, *[Agents]<br />और 'भड़ुए' के हाथ झाड़ू है<br />=====================<br />[दिन हुए है करीब होली के,<br />आलू आते नज़र गड़ाढ़ू* है!!!] * {भंगेरियो को } <br /><br />-मंसूर ali हाश्मी<br />http://aatm-manthan.comMansoor ali Hashmihttps://www.blogger.com/profile/09018351936262646974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-16968229705173485682011-03-10T08:44:46.469+05:302011-03-10T08:44:46.469+05:30शब्दों के रचयिता हमीं हैं और उनके अर्थ-अनर्थ की जि...शब्दों के रचयिता हमीं हैं और उनके अर्थ-अनर्थ की जिम्मेदारी भी हमारी है !<br /><br />*केवल आपके लिए- बहुत दिन से आपकी तलाश में था ,आखिर पा ही लिया !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-68290177819005317912011-03-10T06:19:42.201+05:302011-03-10T06:19:42.201+05:30अजित जी,
उम्मीद है की शब्दों का सफ़र को पुष्तक रूप...अजित जी,<br />उम्मीद है की शब्दों का सफ़र को पुष्तक रूप में देखना ज़ल्दी होगा. इंडो यूरोपियन भाषा परिवार जिसकी संस्कृत और हिंदी, फारसी, अरबी, उर्दू, एइरेमक, हिब्रू , भी मेंबर है उसको जोड़ने का आपका प्रयास निसंदेह हिन्दी में बहुत अच्छा है. अचानक एक मित्र से बातचीत के बीच ख्याल आया की हिंदी का द्रविण भाषाओँ, और आदिवासी बोलियों से किस तरह का सम्बन्ध है. उन सब बोलियों से जो हिंदी और संस्कृत से ज्यादा पुरानी है. और जिनकी उत्पत्ति भारत की है, उन्होंने स्वतंत्र रूप से हिंदी (संस्कृत) में क्या जोड़ा है?<br /> निश्चित रूप से संस्कृत के बहुत से शब्द तमिल, तेलगू, मलयाली, कन्नड़ में बहुतायत में है. अगर संस्कृत द्रविण भाषा में समाहित हुयी तो ये यात्रा कुछ उल्टी दिशा में भी हुयी होगी. कुछ नए शब्द भी बने होंगे. <br />आपसे गुजारिश है अपनी इस यात्रा की समान्तर पर दूसरी दिशा से आने वाली सड़क पर भी नज़र रखे, जहां तक संभव हो. दुसरे मित्र जिनकी कुछ गति द्रविण भाषाओँ में है, अजित जी की मदद करे. एक बहुत समृद्ध रिसोर्स की ज़मीन बन सकती है. <br />हज़ार और सपने क्यूँ न देखे जाय?स्वप्नदर्शीhttps://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-54061103126226127242011-03-09T21:04:04.788+05:302011-03-09T21:04:04.788+05:30शब्दों का अर्थपतन होता है।शब्दों का अर्थपतन होता है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com