tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post4657035058198218577..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: लुधियाने की लड़कीअजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-77084943081820996322008-01-17T11:49:00.000+05:302008-01-17T11:49:00.000+05:30लड़की को परीशान देखकर...एक गीत याद आ गया जो हमेशा ग...लड़की को परीशान देखकर...एक गीत याद आ गया जो हमेशा गुनगुनाते हैं...इस शहर में हर शख्स परीशान सा क्यों है !!!!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-39642183421539804532008-01-17T11:45:00.000+05:302008-01-17T11:45:00.000+05:30अजित जी आपने लुधियाना की लड़की के माध्यम से जो बा...अजित जी आपने लुधियाना की लड़की के माध्यम से जो बात कही हैं, वो मेरे गांव की लड़की से लेकर बनारस,कानपुर, पटना, जयपुर और आजमगढ़ तक की लड़कियों पर एकदम सटीक बैठती है, रचना खूबरसूरत हैAshish Maharishihttps://www.blogger.com/profile/04428886830356538829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-1562538284219852552008-01-17T09:34:00.000+05:302008-01-17T09:34:00.000+05:30बेचारी लड़की आज तक परीशान है ।बेचारी लड़की आज तक परीशान है ।Pratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-52797303291108792512008-01-17T07:57:00.000+05:302008-01-17T07:57:00.000+05:30ईश..मोटी किताबों की भारी भारी बातेंइतना कूड़ा दिमा...ईश..मोटी किताबों की भारी भारी बातें<BR/>इतना कूड़ा दिमाग में कैसे समाता है<BR/>पूरी कविता आज भी प्रासंगिक.Sanjay Karerehttps://www.blogger.com/profile/06768651360493259810noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-42545201509540319252008-01-17T05:00:00.000+05:302008-01-17T05:00:00.000+05:30ममता जी। जब उपभोक्ता के स्थान पर अपने व्यवसाय की फ...ममता जी। जब उपभोक्ता के स्थान पर अपने व्यवसाय की फिक्र करने का रिवाज बन जाए तो ऐसा ही होता है। यह होता भी रहेगा। इसलिए कि अब स्कूलों का स्थान दुकानों ने ले लिया है। मेरी पुत्री एक ही स्कूल में चौदह वर्ष अध्ययन किया, लेकिन उसी स्कूल से पुत्र को शिक्षकों के व्यवहार के कारण हटना पड़ा था।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-21214246319607587832008-01-17T04:42:00.000+05:302008-01-17T04:42:00.000+05:30मेरे बचपन के समय की सुन्दर कविता। एक पत्नी की शिका...मेरे बचपन के समय की सुन्दर कविता। एक पत्नी की शिकायत कि उसके पति को कभी उसे भी समय देना चाहिए। आज और अधिक प्रासंगिक हो गई है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com