tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post4727358806480849787..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: साबुन ज़रूरी नहीं…निंदक नियरे राखियेअजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger36125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-70208356477874503322012-05-22T23:19:02.393+05:302012-05-22T23:19:02.393+05:30पुनःश्च : सबुनी जैतून के छाल के अंदरूनी हिस्से का ...पुनःश्च : सबुनी जैतून के छाल के अंदरूनी हिस्से का क्षार है, शायद ?<br /><br />सबुन साबू - साबूदाना!<br />पता नहीं साबूदाने से साबुन का रिश्ता न हो कुछ।<br /><br />दोनों ही पेड़ से निस्रत हैंAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-11708628415555122372010-01-21T07:03:19.147+05:302010-01-21T07:03:19.147+05:30साबन की चर्चा में मुझे अजित जी की बात सही लगती है....साबन की चर्चा में मुझे अजित जी की बात सही लगती है. साबुन हमारे पुर्तगालियों से पहले का आया मालूम पड़ता है और संभवत बरास्ता अरबी फारसी आया है . कबीर की चर्चा तो हो ही चुकी है, गुरु ग्रन्थ में यह शब्द कम से कम पांच बार आया है. गुरु नानक (जो कबीर के थोडा बाद यानि १५ वीं सदी के आखिर में हुए ) ने दो बार यह शब्द इस्तेमाल किया है. एक बार तो उन की प्रसिद्ध रचना जपुजी के शुरू में ही है:<br />भरीऐ हथु पैरु तनु देह<br />पाणी धोतै उतरसु खेह<br />मूत पलीती कपड़ु होइ<br />दे साबूणु लईऐ ओहु धोइ <br />( अगर हाथ पैर और शरीर गंदे हो जाएँ तो पानी से धोने से मैल उतर जाती है, अगर कोई कपडा मलमूत्र से गन्दा हो जाये तो उसे साबन के साथ धो लेते हैं). और स्रोत ढूंढे जाएँ तो हो सकता है मालूम पड़े यह शब्द भारत में बहुत पुरातन कल से चला आ रहा है.Baljit Basihttps://www.blogger.com/profile/11378291148982269202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-516181198673813152009-03-12T15:23:00.000+05:302009-03-12T15:23:00.000+05:30ये ब्लॉग,जिसका नाम शब्दों का सफ़र है,इसे मैं एक अद...ये ब्लॉग,जिसका नाम शब्दों का सफ़र है,इसे मैं एक अद्भुत ब्लॉग मानता हूँ.....मैंने इसे मेल से सबस्क्राईब किया हुआ है.....बेशक मैं इसपर आज तक कोई टिप्पणी नहीं दे पाया हूँ....उसका कारण महज इतना ही है कि शब्दों की खोज के पीछे उनके गहन अर्थ हैं.....उसे समझ पाना ही अत्यंत कठिन कार्य है....और अपनी मौलिकता के साथ तटस्थ रहते हुए उनका अर्थ पकड़ना और उनका मूल्याकन करना तो जैसे असंभव प्रायः......!! और इस नाते अपनी टिप्पणियों को मैं एकदम बौना समझता हूँ....सुन्दर....बहुत अच्छे....बहुत बढिया आदि भर कहना मेरी फितरत में नहीं है.....सच इस कार्य के आगे हमारा योगदान तो हिंदी जगत में बिलकुल बौना ही तो है.....इस ब्लॉग के मालिक को मेरा सैल्यूट.....इस रस का आस्वादन करते हुए मैं कभी नहीं अघाया......और ना ही कभी अघाऊंगा......भाईजी को बहुत....बहुत....बहुत आभार.....साधुवाद....प्रेम......और सलाम.......!!राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ )https://www.blogger.com/profile/07142399482899589367noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-79524558025789222582009-03-05T09:46:00.000+05:302009-03-05T09:46:00.000+05:30मुझे खुशी है आज साबुन की चर्चा हो रही है -दुनिया क...मुझे खुशी है आज साबुन की चर्चा हो रही है -<BR/>दुनिया के सबसे महँगे साबुन मेँ Silver भी रहता है -<BR/>(Plank Co.makes " Cor Soap "- Is this bar of soap so fantastic that it’s worth $125?<BR/> ऐसा सुना है अभी तक इस्तेमाल नहीँ किया उसे :) <BR/>सादर, स स्नेह, <BR/>- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-62339981016577268812009-03-05T02:30:00.000+05:302009-03-05T02:30:00.000+05:30बहुत ही अनूठी जानकारी मिली.धन्यवाद.बहुत ही अनूठी जानकारी मिली.<BR/>धन्यवाद.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-50114688999698321652009-03-04T23:10:00.000+05:302009-03-04T23:10:00.000+05:30साबुन बनाने की रासायनिक प्रक्रिया के विषय में तो प...साबुन बनाने की रासायनिक प्रक्रिया के विषय में तो पढ़ाया गया था कभी - और अब तो साबुन शब्द की उत्पत्ति और यात्रा को भी समझा दिया आपने अपने अनूठे रुचिकर तरीके से।Rajeev (राजीव)https://www.blogger.com/profile/04166822013817540220noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-21196416107031938092009-03-04T23:06:00.000+05:302009-03-04T23:06:00.000+05:30AAJ HI AAPKA BLOG PADHA BAHUT HI ACHHA LAGA . JAAN...AAJ HI AAPKA BLOG PADHA BAHUT HI ACHHA LAGA . JAANKARI KE LIYE DHANYAVAAD JI :) Bhawna Kukretihttps://www.blogger.com/profile/01524665656092886448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-36731781612945284482009-03-04T22:21:00.000+05:302009-03-04T22:21:00.000+05:30ज्यादा साबुन मलने से, सुन्दरता घट जाती है।रूखा बदन...ज्यादा साबुन मलने से, <BR/>सुन्दरता घट जाती है।<BR/>रूखा बदन बनाता है यह, <BR/>खुश्की झट से आती है।।<BR/><BR/>सफर बिना साबुन के, <BR/>मुझको रास नही आता है।<BR/>हाथ बिना साबुन के धोना, <BR/>मुझको नही सुहाता है।।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-47401015434058909862009-03-04T20:01:00.000+05:302009-03-04T20:01:00.000+05:30बहुत रोचक जानकारी है।कविता बुधकरबहुत रोचक जानकारी है।<BR/>कविता बुधकरAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-17432093710337929012009-03-04T19:59:00.000+05:302009-03-04T19:59:00.000+05:30मुझे पसंद आया ये आलेख ।केकेमुझे पसंद आया ये आलेख ।<BR/>केकेAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-8278352837972878662009-03-04T17:27:00.000+05:302009-03-04T17:27:00.000+05:30@sanjeev.persai@gmail.com संजीव भाई, जानकारी का शु...@sanjeev.persai@gmail.com <BR/>संजीव भाई, जानकारी का शुक्रिया। आपने सही कहा। यहां साबुन का इतिहास बताना अभीष्ठ नहीं था। निश्चित ही साबुन क्षारीय पदार्थ है। इसके निर्माण में कास्टिक सोडा और वनस्पति तेल प्रमुख घटक हैं।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-17779701733356000382009-03-04T17:23:00.000+05:302009-03-04T17:23:00.000+05:30@cmpershad साबुन शब्द पर शंका करने की कोई वजह नहीं...@cmpershad <BR/>साबुन शब्द पर शंका करने की कोई वजह नहीं है। उक्त दोनों ही दोहे कबीर की बहुश्रुत लोकप्रिय उक्तियां हैं। कबीर साहित्य के गंभीर अध्येता डॉ श्यामसुंदरदास और डॉ हजारी प्रसाद द्विवेदी ने भी इनकी प्रामाणिकता पर संदेह नहीं किया है। कबीर काग़ज़, क़लम, मसजिद जैसे तमाम शब्दों का प्रयोग करते हैं जो अरबी मूल के हैं। काग़ज़ तो चीनी मूल का शब्द है पर भारत में अरबी-फारसी के जरिये घूम कर पहुंचा है। तात्पर्य यही है कि कबीर की शब्दावली में अरबी के जो शब्द हैं वे असंदिग्ध रूप में ऐसे शब्द हैं जो तत्कालीन जनमानस में पैठ कर चुके थे। यूं भी कबीर ने साबुन शब्द का प्रयोग किसी एक स्थान पर नहीं किया है बल्कि कई दोहों-साखियों में किया है। डॉ बल्देव वंशी तो साबुन को कबीर के पसंदीदा प्रतीकों में गिनते हैं। अगर यह क्षेपक भी है तो भी साबुन शब्द का अरबी भाषा में प्रयोग बीते डेढ़ हजार साल से होना तो सिद्ध है। भारत में पुर्तगाली अरबों के बाद ही आए हैं। हमारा विषय यही कहता है कि हिन्दी को साबुन अरबी ने दिया ना कि पुर्तगाली ने।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-23971656375984273042009-03-04T17:07:00.000+05:302009-03-04T17:07:00.000+05:30लोग मानते हैं की साबुन का आविष्कार 4000 BC के आसपा...लोग मानते हैं की साबुन का आविष्कार 4000 BC के आसपास बेबिलोनिया के शिकारियों के द्बारा किया गया होगा. जो की भोजन बनने की प्रक्रिया में बचे पदार्थ के साथ पोटाश और राख मिलकर बर्तन साफ़ करने के लिए किया करते थे . इसका कोई लिखित दस्तावेज नही है लेकिन फिर भी कहा जाता है की 2800 BC में साबुन के फार्मूला को खोज लिया था. <BR/>बहरहाल आपकी खोज शब्द की है जो स्तुत्य है.<BR/>सबुनी जैतून के छाल के अंदरूनी हिस्से का क्षार ही हैAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-21133678280378849972009-03-04T16:50:00.000+05:302009-03-04T16:50:00.000+05:30सबने बहुत कुछ कह ही दिया है इस साबुन पर । सबसे जरू...सबने बहुत कुछ कह ही दिया है इस साबुन पर । सबसे जरूरी जानकरी वो आपने दी । बहुत बहुत धन्यवादAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/16883786301435391374noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-37842243420562578602009-03-04T16:35:00.000+05:302009-03-04T16:35:00.000+05:30arw waaah SABUN se naha dho kar ekdam tyaar ho gay...arw waaah<BR/> <BR/>SABUN se naha dho kar ekdam tyaar ho gaya hu SABUN par bhashan dene...<BR/>dhnyavaad behtreen jaankari ke liye..<BR/> <BR/> <BR/>AMITABHAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-27837553251710179532009-03-04T15:53:00.000+05:302009-03-04T15:53:00.000+05:30क्या यह सम्भव नहीं है कि यह कबीर के नाम पर किसी ने...क्या यह सम्भव नहीं है कि यह कबीर के नाम पर किसी ने क्षेपक गढा हो?चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-1962161710000036772009-03-04T15:38:00.000+05:302009-03-04T15:38:00.000+05:30सबुन साबू - साबूदाना! पता नहीं साबूदाने से साबुन क...सबुन साबू - साबूदाना! <BR/>पता नहीं साबूदाने से साबुन का रिश्ता न हो कुछ।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-89589659306557123762009-03-04T14:40:00.000+05:302009-03-04T14:40:00.000+05:30sona bhi zaroori है। 3:06 AM पर ये पोस्ट पब्लिश हु...sona bhi zaroori है। 3:06 AM पर ये पोस्ट पब्लिश हुई। 5:08 AM पर पहली टिप्पणी का जवाब। नाराजी का डर है सो बेनामी हूं!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-17456610707916242342009-03-04T14:23:00.000+05:302009-03-04T14:23:00.000+05:30वाह दादा, यहॉं नीदरलैण्ड में दुकानों पर साबोन sab...वाह दादा, यहॉं नीदरलैण्ड में दुकानों पर साबोन sabon देखकर जब मैंने आपसे इसके बारे में पूछा था तो कतई अंदाज़ा नहीं था कि यह शब्द मेरे को यूरोप, मध्य एशिया की सैर तक ले जाएगा। बहुत रोचक और ज्ञानवर्धक यात्रा है शब्दों की। <BR/>भाषाविज्ञान संबंधित आलेख के बारे में भी जल्दी कुछ किजिएगा।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13363804793541137192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-66620591041231012372009-03-04T12:36:00.000+05:302009-03-04T12:36:00.000+05:30बहुत बढिया ज्ञानवर्धन हो रहा है.रामराम.बहुत बढिया ज्ञानवर्धन हो रहा है.<BR/><BR/>रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-50320637642467536102009-03-04T11:59:00.000+05:302009-03-04T11:59:00.000+05:30गृहकार्य बोले तो पुर्तगालियों एवं अरबों के आवागमन ...गृहकार्य बोले तो पुर्तगालियों एवं अरबों के आवागमन का इतिहास जानने का कार्य :)डा० अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09556018337158653778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-84866371159459878842009-03-04T11:17:00.000+05:302009-03-04T11:17:00.000+05:30क्षमा करें, एक बार फिर रंग में भंग डालने चला आया !...<I><BR/>क्षमा करें, एक बार फिर रंग में भंग डालने चला आया !<BR/>भाई अजित जी ने एक वृहत्त गृहकार्य दे दिया दिया है, पर साथ ही नियरे को लेकर चल रहे मेरे पड़ताल को आसान भी कर दिया ।<BR/>किंचित आश्चर्य भी है, कि एक स्वस्थ खोजपरक संयता भाषा में बहस जारी है,<BR/>अजित भाई, लोग आपके आपके ब्लाग पर दंभ के जूते बाहर उतार नंगे पाँव क्यों आया करते हैं ?<BR/>:)<BR/></I>डा० अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09556018337158653778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-4636338862106795512009-03-04T11:04:00.000+05:302009-03-04T11:04:00.000+05:30अच्छी जानकारियां देते हैं आप।भाषाविज्ञान के सैद्ध...अच्छी जानकारियां देते हैं आप।<BR/>भाषाविज्ञान के सैद्धांतिक पक्ष पर भी प्रति सप्ताह एक आलेख देने के विचार को अवश्य साकार कीजिएगा।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-4434606611467244972009-03-04T10:53:00.000+05:302009-03-04T10:53:00.000+05:30जय हो शब्द सम्राट की।जय हो शब्द सम्राट की।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-61743274133678672872009-03-04T10:35:00.000+05:302009-03-04T10:35:00.000+05:30आपके लेखों को अधिकतर पढती हूं.. आप हम सबकी भाषा को...आपके लेखों को अधिकतर पढती हूं.. आप हम सबकी भाषा को ’उजला’ कर रहे हैं.. :) शुभकामनाएं.Anonymousnoreply@blogger.com