tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post5128568393294831719..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: कपड़े छिपाओ, किताबें छिपाओ....अजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-45090009169996913882008-02-17T18:38:00.000+05:302008-02-17T18:38:00.000+05:30वाह अजीत जी बेहतरीन जानकारीवाह अजीत जी बेहतरीन जानकारीAnita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-14292630301436425842008-02-15T13:25:00.000+05:302008-02-15T13:25:00.000+05:30पश्मक ,यानि बुढ़िया के बाल .. वाह, इसे खाने के लिय...पश्मक ,यानि बुढ़िया के बाल .. वाह, इसे खाने के लिये बच्चे ही नहीं बूढ़े भी ललायित रहते हैं। मुँह में रखते ही घुल जाती है ...अहा...Unknownhttps://www.blogger.com/profile/08878542403462383588noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-49673185791359816012008-02-15T12:55:00.000+05:302008-02-15T12:55:00.000+05:30Poshak aur pustak ke naye riste ke bare mein mein ...Poshak aur pustak ke naye riste ke bare mein mein janne ko mila. acha likha aapne.....<BR/><BR/><A HREF="http://rohittripathi.blogspot.com/2008/02/urgent-vacancy-for-post-of-girl-friend.html" REL="nofollow"> latest Post :Urgent vacancy for the post of Girl Friend… </A>travel30https://www.blogger.com/profile/00114463185726816112noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-53937953152878216012008-02-14T11:38:00.000+05:302008-02-14T11:38:00.000+05:30पोशाक और पुस्तक में ऐसा संबंध होगा कभी सोचा नही था...पोशाक और पुस्तक में ऐसा संबंध होगा कभी सोचा नही था!!<BR/><BR/>एक सवाल<BR/>अक्सर पढ़ने में आता है "पसमांदा यानि मुसलमानों में मौजूद पिछड़ी जातियां"<BR/><BR/>तो पसमांदा में पस की क्या भूमिका और मांदा अर्थात?Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-69383419649898703892008-02-14T10:59:00.000+05:302008-02-14T10:59:00.000+05:30हर बार की तरह यह जानकारी भी मजेदार थी।हर बार की तरह यह जानकारी भी मजेदार थी।Ashish Maharishihttps://www.blogger.com/profile/04428886830356538829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-78289165684823969102008-02-14T10:41:00.000+05:302008-02-14T10:41:00.000+05:30पोशाक और पुस्तक की तुलना लाजवाब है। इसी बहाने आपने...पोशाक और पुस्तक की तुलना लाजवाब है। इसी बहाने आपने बडी रोचक जानकारी दी है, बधाई स्वीकारें।Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-89272697231734703352008-02-14T05:43:00.000+05:302008-02-14T05:43:00.000+05:30अरे वाह क्या नाम है? पश्मक। याद रखना पड़ेगा। ये मि...अरे वाह क्या नाम है? पश्मक। याद रखना पड़ेगा। ये मिठाई तो मुझे और आप की भाभी (शोभा) को बहुत पसंद है। यानी बुढ़िया के बाल। किसी शादी की पार्टी में यह होती है तो कई बार सिर्फ इसे खा कर अगली शादी पार्टी में चल देते है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-89592310428757637672008-02-14T05:41:00.000+05:302008-02-14T05:41:00.000+05:30अजितजी,वाह! कभी सोचा ही नही कि पोशाक और पुस्तक का ...अजितजी,<BR/><BR/>वाह! कभी सोचा ही नही कि पोशाक और पुस्तक का भी आपस में सम्बन्ध हो सकता है । <BR/><BR/>आपसे एक अन्य प्रश्न है, क्या संस्कृत और अन्य दक्षिण भारतीय भाषायें एक ही मूल स्रोत से उपजी हैं या इनके स्रोत अलग अलग हैं । इस विषय पर जितना पढो उतना ही कन्फ़्यूजन बढ जाता है । मैं जानना चाहूँगा कि इस विषय पर आपकी व्यक्तिगत राय क्या है ।Neeraj Rohillahttps://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-25931562246206868532008-02-14T05:39:00.000+05:302008-02-14T05:39:00.000+05:30आह....बचपन याद आ गया.... मुंह में पानी भर आया... ब...आह....बचपन याद आ गया.... मुंह में पानी भर आया... बुढि़या के बाल बच्चे ही नहीं हम जैसे अधेड़ भी खूब चाव से खाते हैं और वो भी सरेआम. भले ही देखने वाले हंसी उड़ाएं या मजा लें. भेड़ों को देखकर रश्क होता है कि काश ठंड से बचने का हमारे पास भी कोई ऐसा कुदरती इंतजाम होता तो कितना अच्छा रहता. बहुत ही उम्दा पोस्ट. पढ़कर सदा की भांति आनंद आ गया.Sanjay Karerehttps://www.blogger.com/profile/06768651360493259810noreply@blogger.com