tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post5144108962349194485..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: कोई और तरह की बात करोअजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-91849231650957437372014-07-18T00:16:54.935+05:302014-07-18T00:16:54.935+05:30धन्यवाद!धन्यवाद!MANOJhttps://www.blogger.com/profile/12300870068760614669noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-10991814146599693192007-10-06T02:16:00.000+05:302007-10-06T02:16:00.000+05:30बेचैन बहुत फिरना , घबराए हुए रहना ये तो लाइन कमाल ...बेचैन बहुत फिरना , घबराए हुए रहना ये तो लाइन कमाल की हैं और अखिरी वाली तो लाजवाब है.. जिस शहर में रहना उक्ताए हुए रहना ... दिल को छू जाती है.. गुलाम अली साहब ने इसे गाया भी है, मुनीर नियाज़ी की ये वाली पोस्ट चढाने के लिये आपको बहुत बहुत शुक्रिया,VIMAL VERMAhttps://www.blogger.com/profile/13683741615028253101noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-26792577759107575062007-10-05T03:22:00.000+05:302007-10-05T03:22:00.000+05:30अजितजी,इतनी बढिया नज्म पढवाने के लिये धन्यवाद !अजितजी,<BR/>इतनी बढिया नज्म पढवाने के लिये धन्यवाद !Neeraj Rohillahttps://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.com