tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post5184781314541799371..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: लाऊडस्पीकर और रावणअजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-85731193508244207362009-09-05T01:45:24.892+05:302009-09-05T01:45:24.892+05:30@शरद कोकास
संभव है मैं अपनी बात स्पष्ट न कर पाया ह...@शरद कोकास<br />संभव है मैं अपनी बात स्पष्ट न कर पाया हूं। वैसे भी यह मेरी अपनी निजी राय है। विद्वानों ने श्रुतः की बात कही है। मैने रुद् का विचार रखा है। श्रुतः में सुनने के भाव से लाऊड का रिश्ता तो है ही मगर नजदीकी शब्द रुद् भी है जिसमें ध्वनि सुनने की बजाय ध्वनि करने बोल (जोर से) का भाव स्पष्ट है। रावः तो क्रिया है। इसके साथ ण तो प्रत्यय की हैसियत से है जिससे रावण संज्ञारूप में शब्द बना। मूल संस्कृत में रावण का विग्रह होता है-रु+णिच्+ल्युट् (आपटे कोश के मुताबिक).अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-14453700335103816322009-09-04T23:52:02.880+05:302009-09-04T23:52:02.880+05:30"मेरा मानना है कि लाऊड की रिश्तेदारी रूद् से ..."मेरा मानना है कि लाऊड की रिश्तेदारी रूद् से अधिक है।" मुझे आपकी इस बात में सन्देह लग रहा है । या हो सकता है ठीक तरह से स्पष्ट न हो पाया हो ? राव: के साथ ण कैसे जुड़ा ?शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-34558840640665804082009-09-04T18:22:44.949+05:302009-09-04T18:22:44.949+05:30raavan kaa yah arth to pata hi nahi tha aajtak wai...raavan kaa yah arth to pata hi nahi tha aajtak wait to lagta tha ki hame sabkuchh pataa haiएक पुराना सा म्यूजियमhttps://www.blogger.com/profile/00492160549670867971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-57563690225490191862009-09-04T16:54:06.429+05:302009-09-04T16:54:06.429+05:30गजब की जानकारी, गजब का काम्बिनेशन।
-Zakir Ali ‘Raj...गजब की जानकारी, गजब का काम्बिनेशन।<br /><a href="http://za.samwaad.com/" rel="nofollow">-Zakir Ali ‘Rajnish’</a> <br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">{ Secretary-TSALIIM </a><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">& SBAI }</a>Science Bloggers Associationhttps://www.blogger.com/profile/11209193571602615574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-16935182995193094562009-09-04T14:15:52.359+05:302009-09-04T14:15:52.359+05:30@गिरिजेशराव
घबराइये नहीं श्रीमानजी। रावण से राव की...@गिरिजेशराव<br />घबराइये नहीं श्रीमानजी। रावण से <b>राव</b> की रिश्तेदारी नहीं है। यह तो बड़ी महिमावाला शब्द है। राजकः का देशज रूप है यह। इस कड़ी के कुछ शब्दों का उल्लेख अन्यत्र लेखों में किया है। सम्पूर्ण आलेख अभी बनना बाकी है। मराठी और उड़िया उपनाम <b>राऊत</b> इसी तरह <b>राजदूत</b> का अपभ्रंश है।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-53240253558416856082009-09-04T13:52:08.649+05:302009-09-04T13:52:08.649+05:30वाह ये तो बडी कमाल की जानकारी है.केवल कहने के लिये...वाह ये तो बडी कमाल की जानकारी है.केवल कहने के लिये नहीं बल्कि सचमुच ही आप हम सब का खासतौर से जो शिक्षा से जुडे हैं उनका तो बहुत ही भला कर रहे हैं.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-76111152737102368682009-09-04T11:45:39.433+05:302009-09-04T11:45:39.433+05:30यूनान जाके अपना व्यंजन बदल गया,
फारस जो पहुंचा सिन...यूनान जाके अपना व्यंजन बदल गया,<br />फारस जो पहुंचा सिन्धु भी हिन्दू में ढल गया,<br /><br />रु से रुदन भी, रुद्र भी, निकले है रौद्र भी,<br />चिंघाड़ता हुआ... अरे! रावण निकल गया.<br /><br />व्यथा कि स्पीकर को नही बोलना नसीब,<br />वड(word) नेरकर तो ढेर सी बाताँ उगल गया.Mansoor ali Hashmihttps://www.blogger.com/profile/09018351936262646974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-16012140694297418932009-09-04T10:38:17.728+05:302009-09-04T10:38:17.728+05:30स्पीक speak शब्द लैटिन मूल के स्पारजरे spargere शब...स्पीक speak शब्द लैटिन मूल के स्पारजरे spargere शब्द से बना है जिसका मतलब है बिखेरना, फैलाना, प्रसारित होना आदि। गौरतलब है कंठ से निकलती ध्वनियां जीभ और तालू के स्पर्श से शब्द बनकर मुंह से झरती हैं, बिखरती हैं, प्रसारित होती हैं। <br />यह परिभाषा तो कमाल है .dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-67561804061836905352009-09-04T09:25:56.776+05:302009-09-04T09:25:56.776+05:30बहुत खूब!
अच्छी उपमा दी है आपने।बहुत खूब!<br />अच्छी उपमा दी है आपने।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-9078563447613484992009-09-04T09:19:01.300+05:302009-09-04T09:19:01.300+05:30ये भी खूब है भाई.
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डॉ.चन्द्रकुम...ये भी खूब है भाई.<br />===================<br />डॉ.चन्द्रकुमार जैनDr. Chandra Kumar Jainhttps://www.blogger.com/profile/02585134472703241090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-22640259448253987012009-09-04T08:39:20.727+05:302009-09-04T08:39:20.727+05:30वाह !वाह !Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09116344520105703759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-70225883774025873002009-09-04T08:04:51.942+05:302009-09-04T08:04:51.942+05:30रावण गुणवाचक है इस पर ध्यान आज आप ने ही दिलाया।रावण गुणवाचक है इस पर ध्यान आज आप ने ही दिलाया।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-86371815245757790862009-09-04T07:45:54.422+05:302009-09-04T07:45:54.422+05:30बहुत बेहतरीन लगा इसे पढ़ना और जानना!!बहुत बेहतरीन लगा इसे पढ़ना और जानना!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-56762692821004598862009-09-04T07:36:15.174+05:302009-09-04T07:36:15.174+05:30चर्चा अच्छी रही। आप ने तो मेरे उपनाम 'राव'...चर्चा अच्छी रही। आप ने तो मेरे उपनाम 'राव' की भी ऐसी ऐसी तैसी कर दी। हम रिसिया गए हैं ;)गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-75464725970709472822009-09-04T07:22:25.045+05:302009-09-04T07:22:25.045+05:30रोचक है - ’रु’ में हर तरह की ध्वनि का भाव है यानि ...रोचक है - ’रु’ में हर तरह की ध्वनि का भाव है यानि कोलाहल भी और संयमित ध्वनि भी "।<br /><br />कितनी गहरी अर्थ-यात्रा के साक्षी बन रहे हैं हम !Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-91467218185167389562009-09-04T05:52:47.490+05:302009-09-04T05:52:47.490+05:30शब्द उत्पत्ति को लेकर प्रतिदिन आपकी पोस्ट ....।
है...शब्द उत्पत्ति को लेकर प्रतिदिन आपकी पोस्ट ....।<br />हैरत में रहता हूं ।<br />अच्छा रहा यह सफर ।आभार...।हेमन्त कुमारhttps://www.blogger.com/profile/01073521507300690135noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-84981782875698153582009-09-04T05:41:14.801+05:302009-09-04T05:41:14.801+05:30एक ही क्रम में आने वाले वर्ण आपस में अदला-बदली करत...एक ही क्रम में आने वाले वर्ण आपस में अदला-बदली करते है ; भारोपीय भाषा परिवार की इस विशेषता को जान लेने से सफ़र और आसान हो गया | रौद्र और रूदन का सम्बन्ध कलरव के ''र'' से माना परन्तु रौद्र (रावण ) और रूद्र (शिव) की समानता विचलित करती है | र की यात्रा ''मंद्र'' के प्रथम बिंदु से ''तार'' के अंतिम छोर तक पहुँचती है | र की कल्याणकारी ऊर्जा विखण्डित हो कितना विनाश कर सकती है ; परमाणु के विखंडन (fission) का स्मरण हो आता है | <br /><br />र पर अन्य सम्बंधित कड़ियाँ भी पढी, लगा कि इस अक्षर से सफ़र की डगर अभी बाकी है |RDShttps://www.blogger.com/profile/14134695386879343906noreply@blogger.com