tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post5223877184691068922..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: काश, लीलावती पहले मिल जाती...[बकलमखुद-93]अजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger20125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-84646928516084397182009-11-22T17:45:00.315+05:302009-11-22T17:45:00.315+05:30जासूसी उपन्यास तो हमने भी खूब बांचे।जासूसी उपन्यास तो हमने भी खूब बांचे।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-46360971492773701482009-07-26T08:34:32.709+05:302009-07-26T08:34:32.709+05:30बहुत रोचक रहा :)बहुत रोचक रहा :)लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-22880357494596490022009-07-23T00:07:34.707+05:302009-07-23T00:07:34.707+05:30बहुत रोचक जिक्र चल रहा है... अभी पिछला भी पढ़ कर आ...बहुत रोचक जिक्र चल रहा है... अभी पिछला भी पढ़ कर आ रहा हूँ. जारी रहे. ये रिजल्ट कितने दिनों बाद देखा आपने... दसवी का रिजल्ट तो हमने भी कुछ दिनों बाद देखा था :)Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-72881732154443924702009-07-22T18:47:20.998+05:302009-07-22T18:47:20.998+05:30बहुत ही रोचक विवरण लगा.पढ़ते समय सारी दृश्यावली जी...बहुत ही रोचक विवरण लगा.पढ़ते समय सारी दृश्यावली जीवित हो उठी.पढ़कर आनंद आगया.प्रकाश पाखीhttps://www.blogger.com/profile/09425652140872422717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-78680991603564125802009-07-21T21:03:35.775+05:302009-07-21T21:03:35.775+05:30बहुत ही रोचक
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· ब्रह्माण्ड के प्रचीनतम् ...बहुत ही रोचक<br />----------<br />· <a href="http://vijnaan.charchaa.org/2009/featured/ancient-supernova.html" rel="nofollow">ब्रह्माण्ड के प्रचीनतम् सुपरनोवा की खोज</a><br>· <a href="http://www.charchaa.org/2009/gyaanguru/aum.html" rel="nofollow">ॐ (ब्रह्मनाद) का महत्व</a>Vinayhttps://www.blogger.com/profile/08734830206267994994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-29381992985730671512009-07-21T20:59:26.313+05:302009-07-21T20:59:26.313+05:30काश लीलावती मुझे भी मिल जाती तो मैं भी गणित से डरत...काश लीलावती मुझे भी मिल जाती तो मैं भी गणित से डरता नहीं . दिवेदी जी की लिखी जीवनी किसी रोचक उपन्यास से कम नहीं .dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-3252659151943184972009-07-21T15:22:55.750+05:302009-07-21T15:22:55.750+05:30अजित जी पाठक साहब का मुकाबला नहीं,लम्बे अरसे तक सो...अजित जी पाठक साहब का मुकाबला नहीं,लम्बे अरसे तक सोहल, सुनील, सुधीर वगैरह भीतर उगे रहे.sanjay vyashttps://www.blogger.com/profile/12907579198332052765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-36669312429013799962009-07-21T15:12:30.554+05:302009-07-21T15:12:30.554+05:30जासूसी नॉवल पढ़ने की लत तो अपन को भी थी। अब सिर्फ ...जासूसी नॉवल पढ़ने की लत तो अपन को भी थी। अब सिर्फ सुमोपा को ही पढ़ते हैं। <br />दिलचस्प विवरण।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-4753532905527881262009-07-21T12:59:58.597+05:302009-07-21T12:59:58.597+05:30रोचक, सहज विवरण कौतुहल कायम रखते हुए बचपन से नौजवा...रोचक, सहज विवरण कौतुहल कायम रखते हुए बचपन से नौजवानी की तरफ बढती हुई आप बीती . स्काउट कैम्प,किताबो का चस्का और इत्तेफाक से वही सारे लेखक जिसको अपने स्कूली दौर में पढने का मै भी आदि हो गया था, यादो की दुनिया में ले गया.<br /><br />''बरसों बाद दिल के मरीज हो जाने के पर चाचा जी एक दिन सरदार से बोले -तुमने मरने की जो तारीख मेरी जन्मपत्री में लिखी है। उस ने हमेशा मुझे यह विश्वास दिलाया कि उस से पहले तो मैं मर ही नहीं सकता।''<br /><br />इस कथन पर ये शेर बरबस याद आ गया है:-<br /><br /> # ये बात है कलीद* दरे काएनात* की ,<br /> यानी अजल* है खुद ही मुहाफिज़ हयात* की.<br /><br />*कलीद = कुंजी , दरे काएनात= सृष्टि का द्वार, अजल= मौत, हयात= ज़िन्दगी.Mansoor ali Hashmihttps://www.blogger.com/profile/09018351936262646974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-56742195193505937162009-07-21T12:53:39.658+05:302009-07-21T12:53:39.658+05:30bhut rochak sansmarn aur prernadayk bhi .
agle ank...bhut rochak sansmarn aur prernadayk bhi .<br />agle ank ki prteeksha.shobhanahttps://www.blogger.com/profile/11004251729395220506noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-40640920990422895972009-07-21T11:17:07.257+05:302009-07-21T11:17:07.257+05:30बहुत रोचकता लिये हुये है. आगे का इंतजार है.
रामरा...बहुत रोचकता लिये हुये है. आगे का इंतजार है.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-5136019167103603372009-07-21T10:39:47.995+05:302009-07-21T10:39:47.995+05:30रोचक और प्रेरक.
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डॉ.चन्द्रकुमार ...रोचक और प्रेरक.<br />==================<br />डॉ.चन्द्रकुमार जैनDr. Chandra Kumar Jainhttps://www.blogger.com/profile/02585134472703241090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-27802575654337022252009-07-21T09:09:31.510+05:302009-07-21T09:09:31.510+05:30आगे के हाल की प्रतीक्षाआगे के हाल की प्रतीक्षाअनिल कान्तhttps://www.blogger.com/profile/12193317881098358725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-28607808789248951582009-07-21T08:43:22.433+05:302009-07-21T08:43:22.433+05:30मेरी टीप के पहले वाक्य में " सरदार’क" था...मेरी टीप के पहले वाक्य में <b>" सरदार’क" था "</b> को <b>सरदार ’कब’(शेर-बच्चा)था</b> पढ़ें ।अफ़लातूनhttps://www.blogger.com/profile/08027328950261133052noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-73272650428461702182009-07-21T08:37:34.808+05:302009-07-21T08:37:34.808+05:30सरदार ’क” था और मेरी बिटिया ’बुलबुल’ ।
"स्वैच...सरदार ’क” था और मेरी बिटिया ’बुलबुल’ ।<br />"स्वैच्छिक सेवाओं ने सरदार को उदात्त बनाया। छूतछात, धर्म और जाति के भेदों से दूर सब के साथ समानता से बर्ताव करने की प्रायोगिक शिक्षा वहीं मिली"- इसमें कोई दो राय नहीं । रचनात्मक काम परिवर्तन की ताकत देते हैं । फिर एक विशिष्ट धारा की स्वयंसेवा इससे विपरीत स्थाई किस्म की संकीर्णता और कट्टरता कैसे प्रदान करती है?अफ़लातूनhttp://kashivishvavidyalay.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-29792240906426929902009-07-21T07:41:56.980+05:302009-07-21T07:41:56.980+05:30शेर बच्चा -जासूसी उपन्यासों की लत मेरी ही तरह -गणि...शेर बच्चा -जासूसी उपन्यासों की लत मेरी ही तरह -गणित में विशेष योग्यता -यही मात खा गया मैं आपसे दिनेश जी ! और हाँ आपकी मृत्यु की भविष्यवाणी का क्या हुआ जिज्ञासा बलवती है!Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-39141091645670941382009-07-21T07:30:36.805+05:302009-07-21T07:30:36.805+05:30सुंदर बचपन ,आगे के हाल की प्रतीक्षा .सुंदर बचपन ,आगे के हाल की प्रतीक्षा .डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-80206871786549695822009-07-21T07:24:22.088+05:302009-07-21T07:24:22.088+05:30दाज्जी की बात पहले मान लेता तो शायद प्रथम श्रेणी आ...दाज्जी की बात पहले मान लेता तो शायद प्रथम श्रेणी आ जाती... लीलावती पढ़कर बाद में पढ़ने का क्या फ़ायदा... और सिर कूटने का भी कि पहले पढ़ लेते तो आसान हो जाती..विवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-11578054875334016302009-07-21T07:11:36.497+05:302009-07-21T07:11:36.497+05:30सरदार के बचपन के बारे में बहुत कुछ जाना।
अगली कड़ी...सरदार के बचपन के बारे में बहुत कुछ जाना।<br />अगली कड़ी का इन्तजार।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-29386014470312718342009-07-21T03:31:55.126+05:302009-07-21T03:31:55.126+05:30लीलावती तो हमने भी नहीं पढ़ी-अच्छा चल रहा है सरदार ...लीलावती तो हमने भी नहीं पढ़ी-अच्छा चल रहा है सरदार का बचपन. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com