tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post5696730334344901174..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: बेपरवाह मस्त मलंग [संत-6]अजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-29632656957003319422014-06-14T22:03:36.476+05:302014-06-14T22:03:36.476+05:30संत एकनाथ चरित्र मे स्पष्ट लिखा है --- मलंग चामडे ...संत एकनाथ चरित्र मे स्पष्ट लिखा है --- मलंग चामडे के कपडे पहनते थे | मुसलमान तो कभी चामडेके कपडे पहनते नाही . बुद्ध परम्पारमे बुद्ध साधू चामडे के कपडे पहानते थे . इससे याही साबित होता है मलंग लोग बुद्ध संप्रदाय के थे .<br />Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-50548779539108399992009-02-15T07:31:00.000+05:302009-02-15T07:31:00.000+05:30अच्छी जानकारी!अच्छी जानकारी!नितिन | Nitin Vyashttps://www.blogger.com/profile/14367374192560106388noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-79168532093441285002009-02-15T02:16:00.000+05:302009-02-15T02:16:00.000+05:30संजय भाई, शुक्रिया कि लगातार सफर में बने हुए हैं। ...<B>संजय भाई</B>, <BR/>शुक्रिया कि लगातार सफर में बने हुए हैं। बुत शब्द बुद्ध से ही बना है। इस पर दो साल पहले पोस्ट छाप चुका हूं। कृपया इसे ज़रूर देखें।<A HREF="http://mail.google.com/mail/?ui=1&view=page&name=js&ver=1mdpa1v23r6zp" REL="nofollow">समझदार से बुद्धू की रिश्तेदारी</A><BR/>आपसे एक अनुरोध है। कृपया मेरे लिए <B>विद्वान</B> जैसे विशेषण का प्रयोग न करें। मैं बहुत सामान्य शिक्षित हूं। किसी भी क्षेत्र में विशेषज्ञता का दावा नहीं। अपनी जिज्ञासावश कुछ खोजबीन करता रहता हूं और फिर उसे सबसे साझा करता हूं। <BR/>उम्मीद है अन्यथा न लेंगे। <BR/>साभार <BR/><B>अजित</B>अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-70281004781400330242009-02-15T00:35:00.000+05:302009-02-15T00:35:00.000+05:30संत परम्परा पर आपकी प्रस्तुत श्रंखला अद्वितीय है |...संत परम्परा पर आपकी प्रस्तुत श्रंखला अद्वितीय है | एक बात साफ़ होती जा रही है कि भारतीय दर्शन में जिस सत्-चित्-आनंद का विषद उल्लेख पुनः पुनः आता है उसी की प्राप्ति के प्रयास कमोबेश हर पंथ में हुए होंगे | निर्गुणी गहराई से उपजे इस आनंद तक पहुँचने वाले अधिकतर संत इस्लामी शाख के ही इर्द गिर्द पाए जाते हैं | जैसे, दरवेश, फकीर, सूफी, कलंदर और मलंग | कबीर पंथी भी सगुण पंथ से लगभग अलग से ही हैं | इधर बंगाल के बाउल और चीन के ज़ेन संत भी कहाँ सगुणोपासक हैं ? <BR/><BR/>प्रतीत होता है सगुण की भक्ति धारा में हमारे देश का मूल दर्शन न सिर्फ विलुप्त हो गया वरन आडम्बरों के कारण असल आनंद की राह ही खो गयी | <BR/><BR/>चिंतन को श्रेष्ठ विषय पर केन्द्रित कर देने के लिए आपको किस प्रकार धन्यवाद कहें ! 'शब्दों के हवेनत्सांग' की तारीफ़ में शब्दों का टोटा | प्रणाम ! साधुवाद !!RDShttps://www.blogger.com/profile/14134695386879343906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-17647530887689933952009-02-14T22:19:00.000+05:302009-02-14T22:19:00.000+05:30मस्त मलंग लगी ये जानकारी.ये जानने के बाद कि बौध भि...मस्त मलंग लगी ये जानकारी.ये जानने के बाद कि बौध भिक्षु रेशम मार्ग पर बुद्ध के उपदेश बिखेर रहे थे,चीनी मूल के किसी शब्द से मलंग कि व्युत्पत्ति दूर कि कौडी नही लगता, पर ये हमारी जानकारी में अब आया है. कहीं पढ़ा था बुद्ध कि मूर्तियाँ इतनी पहले से बनने लग गई थी कि बुत शब्द भी बुद्ध के प्रभाव से बना है.पता नहीं कितना सच है .शायद वडनेरकर प्रभृति विद्वान ही बता पायें.sanjay vyashttps://www.blogger.com/profile/12907579198332052765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-14219224411180047922009-02-14T20:49:00.000+05:302009-02-14T20:49:00.000+05:30मलिंगा उपनाम भी सुनने में ऐसा ही लगता है ?मलिंगा उपनाम भी सुनने में ऐसा ही लगता है ?Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-36421199195194224222009-02-14T20:34:00.000+05:302009-02-14T20:34:00.000+05:30बहुत अच्छी जानकारी.....बहुत अच्छी जानकारी.....Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/17320191855909735643noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-62435606943434344612009-02-14T13:59:00.000+05:302009-02-14T13:59:00.000+05:30@डॉ रूपचंद्र शास्त्रीपरमादरणीय डाक्टर साहब,सफर में...@डॉ रूपचंद्र शास्त्री<BR/>परमादरणीय डाक्टर साहब,<BR/>सफर में आपको साथ पाकर मैं धन्य हूं। बस, मेरे नाम के साथ आदरणीय न लगाए। ज्ञान, अनुभव, आयु - हर मामले में आपसे कमतर हूं। <BR/>सफर में बनें रहें साथ।<BR/>सादर, साभार<BR/>अजितअजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-79318227631854171782009-02-14T13:50:00.000+05:302009-02-14T13:50:00.000+05:30मलंगों के बारे इतनी सारगर्भित जानकारी का धन्यवाद ।...मलंगों के बारे इतनी सारगर्भित जानकारी का धन्यवाद ।<BR/><BR/>एक बधाई 100 हमसफ़र की भी । कारवां जुड़ता जाय, इसी कामना के साथ ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-81388216665616237572009-02-14T10:52:00.000+05:302009-02-14T10:52:00.000+05:30गोरखपुर में जो अवैद्यनाथ/आदित्यनाथ जैसे नाथ हैं, प...गोरखपुर में जो अवैद्यनाथ/आदित्यनाथ जैसे नाथ हैं, पता नहीं वे नाथ सम्प्रदाय के हैं या नहीं। उनके मन्दिर पर लिखे दोहे तो इसी तरह के लगते हैं। पर वहां हिन्दुत्व कट्टर है। <BR/>कुछ समझ नहीं आता।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-40941110315198040942009-02-14T10:34:00.000+05:302009-02-14T10:34:00.000+05:30इस शब्द पर की गई पोस्ट पढ्कर तो बस पवन जी का एक शे...इस शब्द पर की गई पोस्ट पढ्कर तो बस पवन जी का एक शेर याद आ गया। <BR/>एलान उसका देखिए कि वो मजे में है <BR/>या तो वो फ़कीर है या वो नशे में है।सुशील छौक्कर https://www.blogger.com/profile/15272642681409272670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-67441319673200904322009-02-14T09:29:00.000+05:302009-02-14T09:29:00.000+05:30ये भी मस्त है साहब !===================आभारडॉ.चन्द...ये भी मस्त है साहब !<BR/>===================<BR/>आभार<BR/>डॉ.चन्द्रकुमार जैनDr. Chandra Kumar Jainhttps://www.blogger.com/profile/02585134472703241090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-48981911082262308402009-02-14T09:12:00.000+05:302009-02-14T09:12:00.000+05:30'मलंग' संख्या की दृष्टि से नगण्य हैं किन्तु उनक...'मलंग' संख्या की दृष्टि से नगण्य हैं किन्तु उनका संसार कितना विस्तृत और भव्य है, यह आपकी इस पोस्ट से ही अनुभव हो पाया।<BR/><BR/>सन्त एकनाथ और पंढरीनाथ के आगे 'मलंग' का उपयोग आज तक कहीं भी सुना-पढा नहीं। यह तनिक असहज लग रहा है।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-90198854557979827212009-02-14T08:05:00.000+05:302009-02-14T08:05:00.000+05:30मलंग पर अच्छा आलेख है। तलाश करेंगे तो ब्लागरों में...मलंग पर अच्छा आलेख है। तलाश करेंगे तो ब्लागरों में भी मलंग मिल लेंगे।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-2299674008196854732009-02-14T07:35:00.000+05:302009-02-14T07:35:00.000+05:30आदरणीय, वडनेकर जी।मलंग पर आपने सुन्दर और खोजपूर्ण ...आदरणीय, वडनेकर जी।<BR/>मलंग पर आपने सुन्दर और खोजपूर्ण लेख लिखा है। आपकी लेखनी की लेखन शैली से मैं इतना प्रभावित हुआ कि पद्य छोड़ गद्य मे ही टिप्पणी करनी पड़ी। आशा है आगे भी इतिहास की पर्तों को खोलते रहेंगे। सम्पर्कः 09368499921डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-88677235485241177742009-02-14T06:18:00.000+05:302009-02-14T06:18:00.000+05:30मस्त मलंग के बारे मे जाना . एक बात जो हमेशा पॉइंट ...मस्त मलंग के बारे मे जाना . एक बात जो हमेशा पॉइंट करती है कि सभी भाषा मे कई शब्द ऐसे है जिनकी शरुआत एक समान अक्षर से होती है .dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-23865214272429609282009-02-14T05:13:00.000+05:302009-02-14T05:13:00.000+05:30मलंगो के विषय में इतनी गहराई से बताने का आभार. इनक...मलंगो के विषय में इतनी गहराई से बताने का आभार. इनकी अलग से दरगाहें भी होती हैं, यह आज जाना. बहुत आभार.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com