tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post5782641168210027675..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: रमता जोगी , बहता पानी...[किस्सा-ए-यायावरी 2]अजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-46463248240751816082019-04-02T14:14:53.668+05:302019-04-02T14:14:53.668+05:30धार्मिक स्थलों को तीर्थ शायद इसलिए भी कहते हों कि ...धार्मिक स्थलों को तीर्थ शायद इसलिए भी कहते हों कि यह एक तरह से तीर ही हैं जिनके पास लोग वैतरणी सुगमता से पार करने का लक्ष्य लेकर आते हैं।गांडीवhttps://www.blogger.com/profile/15399452023413302439noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-19966448860329441912007-12-16T00:22:00.000+05:302007-12-16T00:22:00.000+05:30जारी रहे यह सफर....जारी रहे यह सफर....बोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/09557000418276190534noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-22527872158455105412007-12-15T20:53:00.000+05:302007-12-15T20:53:00.000+05:30शब्दों का यह सफर काफी उत्साहजनक है. भाषा से मेरा प...शब्दों का यह सफर काफी उत्साहजनक है. भाषा से मेरा प्रेम हमेशा रहा है. अब उसके दिलचस्प पहलुओं पर नजर डालने का अवसर मिल रहा है. आभार !!<BR/><BR/>आपके सारे लेखों को छाप कर एवं सीडी पर सुरक्षित रखें क्योंकि कुछ साल के बाद इनको एक आधिकारिक एवं पठनीय संदर्भ ग्रंथ के रूप में सहेजा जा सकता है. ईश्वर करे कि ऐसा जरूर हो.Shastri JC Philiphttps://www.blogger.com/profile/00286463947468595377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-42950275055328021982007-12-15T18:24:00.000+05:302007-12-15T18:24:00.000+05:30अखबार में छपे शब्द जोड़-जोड़ कर और उससे पहले स्कूल म...अखबार में छपे शब्द जोड़-जोड़ कर और उससे पहले स्कूल में अक्षर ज्ञान लेकर पढ़ना सीखा। फ़िर किताबों की दुनिया ने अपनी ओर खींचा उसके बाद पत्रकारिता ने शब्दों का सफ़र शुरु करवाया। लेकिन इन सब के बीच अब जाकर आपके इस ब्लॉग के माध्यम से <BR/> उन्ही शब्दों की उत्पत्ति और व्यवहार की जानकारी मिल रही है जिन्हें हम अब तक लिखने-बोलने में धड़ल्ले से उपयोग करते आए हैं।<BR/><BR/>बचपन से स्थानीय देशबंधु अखबार पढ़ता-पढ़ता बड़ा हुआ, या यूं कहूं कि यही वह अखबार था जिसके अक्षर अक्षर जोड़-जोड़ कर शब्द और शब्द-शब्द जोड़कर वाक्य पढ़ना सीखा,इसमें मेहरोत्रा जी का हर इतवार को ऐसा ही एक कॉलम आता था जिसमें शब्दों कि उत्पत्ति-व्युत्पत्ति और व्यवहार के बारे में जानकारी दी जाती थी। पर तब उस कॉलम में उतनी रूचि नही हुआ करती थी,शायद उम्र का असर रहा हो तब।<BR/><BR/>लेकिन अब आपका यह शब्दों का सफर तो ऐसा लगता है कि इसे पढ़कर आनंदित होता हूं। इतनी जानकारी जो मिलती है।<BR/><BR/>जारी रहे शब्दों का सफरSanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-27059984562965323822007-12-15T13:42:00.000+05:302007-12-15T13:42:00.000+05:30जानकारी ...जानकारी को रोचक ढंग से परोसने के लिए धन्यवाद. आप वास्तव मे चिटठा जगत मे एक महत्वपूर्ण कार्य कर रहे है. आप को कोटी-कोटी साधुवाद.बालकिशनhttps://www.blogger.com/profile/18245891263227015744noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-41149620722698914042007-12-15T12:25:00.000+05:302007-12-15T12:25:00.000+05:30मन यायावर सा आपके शब्दों के सफर में यहाँ से वहाँ भ...मन यायावर सा आपके शब्दों के सफर में यहाँ से वहाँ भटकता हुआ सुख ही नहीं ज्ञान भी पाता है.मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-31931986087716830452007-12-15T08:20:00.000+05:302007-12-15T08:20:00.000+05:30हमने तो सफरी झोला उठा लिया है और चल पड़े हैं । आँखो...हमने तो सफरी झोला उठा लिया है और चल पड़े हैं । आँखों के सामने प्राचीन कबीलों का काफिला नदी के तट पर सुस्ताता दिखता है । ज़माने पहले पढ़ी सोश्यॉलजी अंथ्रोपॉलोजी दुबारा पढ़ने का मन करने लगा है ।<BR/>हाँ जादू वाली पोस्ट छूट गई लगता है । पढ़ती हूँ ।Pratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-35070860220897894702007-12-15T07:31:00.000+05:302007-12-15T07:31:00.000+05:30एकदम सही, तमाम सभ्यताओं का विकास नदियों के किनारे...एकदम सही, तमाम सभ्यताओं का विकास नदियों के किनारे हुआ. यह पड़ाव बहुत अच्छा चुना और बहुत ही रोचक साबित हुआ क्योंकि यायावर सचमुच एक जादुई शब्द है और आप जादूसुखन. वैसे मुझे पता है कि जादू फारसी का शब्द है... क्योंकि यहीं तो पढ़ा था कुछ समय पहले.Sanjay Karerehttps://www.blogger.com/profile/06768651360493259810noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-44060168203328763972007-12-15T07:26:00.000+05:302007-12-15T07:26:00.000+05:30शानदार यायावरी। आगे क्या है? दिखायें।शानदार यायावरी। आगे क्या है? दिखायें।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.com