tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post5829914280777618002..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: घासलेटी साहित्य और मिट्टी का तेलअजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-73588861884109818182016-04-10T08:23:16.082+05:302016-04-10T08:23:16.082+05:30बहुत ही ज्ञान बढ़ गया ! आपका शोध आँखे खोल देने वाल...बहुत ही ज्ञान बढ़ गया ! आपका शोध आँखे खोल देने वाला होता है हमेशा ! <br />घासलेट शब्द के बारे में बताना है कि ब्रज में घासलेट वनस्पति घी को भी कहते हैं ! बचपन में घासलेट डालडा को कहते थे ! ये भी खोजें तो मिलेगा ! Dr. Rajrani Sharmahttps://www.blogger.com/profile/16260807586444192043noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-39040060378924816272009-06-05T20:33:12.783+05:302009-06-05T20:33:12.783+05:30गैस लाइट बन गया घासलेट . कैसे अपनी सुबिधानुसार शब्...गैस लाइट बन गया घासलेट . कैसे अपनी सुबिधानुसार शब्द बना लिए जाते है और वः प्रचलित भी हो जाते है . इतनी रोचक जानकारी के लिए आपको धन्यबादdhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-45496816748176728492009-06-05T17:30:53.476+05:302009-06-05T17:30:53.476+05:30बहुत बढ़िया पोस्ट. एक पोस्ट में इतनी सारी जानकारी ...बहुत बढ़िया पोस्ट. एक पोस्ट में इतनी सारी जानकारी मिली कि जितनी तारीफ़ की जाय, कम होगी.<br />धन्यवाद अजित भाई.Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-31059533510344654012009-06-05T15:45:21.573+05:302009-06-05T15:45:21.573+05:30अब तो वनस्पति से द्रव ईंधन निकाला जा रहा है। शायद ...अब तो वनस्पति से द्रव ईंधन निकाला जा रहा है। शायद वह वनस्पति घासलेट कहा जाए। वैसे बायो डीजल शब्द प्रचलन में लिया जा रहा है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-88150214449875375012009-06-05T14:54:09.446+05:302009-06-05T14:54:09.446+05:30अच्छी जानकारी भरा आलेख .अच्छी जानकारी भरा आलेख .डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-71210277362068267782009-06-05T14:48:55.755+05:302009-06-05T14:48:55.755+05:30पेट्रा और ओलियम तो टेक्स्ट बुक में पढ़ा था और बाकी...पेट्रा और ओलियम तो टेक्स्ट बुक में पढ़ा था और बाकी घासलेट को तो हम घास से ही जोड़ कर सोचते थे :)Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-8995622688404846202009-06-05T13:05:23.809+05:302009-06-05T13:05:23.809+05:30यह अद्भुत जानकारी देकर आपने घासलेट को बिठा दिया है...यह अद्भुत जानकारी देकर आपने घासलेट को बिठा दिया हैअविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-2999903000723273312009-06-05T12:53:04.391+05:302009-06-05T12:53:04.391+05:30gaslight ki jankari sachmuch bahut upyogi hai.gaslight ki jankari sachmuch bahut upyogi hai.किरण राजपुरोहित नितिलाhttps://www.blogger.com/profile/13893981409993606519noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-53758541006106611802009-06-05T12:14:24.783+05:302009-06-05T12:14:24.783+05:30अच्छी जानकारी मिली आपके इस पोस्ट सेअच्छी जानकारी मिली आपके इस पोस्ट सेArvind Gauravhttps://www.blogger.com/profile/10264054128694996561noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-87759125585061568252009-06-05T11:49:59.005+05:302009-06-05T11:49:59.005+05:30घासलेटी साहित्य के बारे में जानकर अच्छा लगा।
-...घासलेटी साहित्य के बारे में जानकर अच्छा लगा।<br /><br /><br /><a href="http://alizakir.blogspot.com/" rel="nofollow">-Zakir Ali ‘Rajnish’</a> <br /><a href="http://tasliim.blogspot.com/" rel="nofollow">{ Secretary-TSALIIM </a><a href="http://sciblogindia.blogspot.com/" rel="nofollow">& SBAI }</a>adminhttps://www.blogger.com/profile/09054511264112719402noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-81023693824238238452009-06-05T06:36:10.682+05:302009-06-05T06:36:10.682+05:30बहुत सुंदर।बहुत सुंदर।सुमन्त मिश्र ‘कात्यायन’https://www.blogger.com/profile/14324507646856271888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-42212153158259585062009-06-05T06:29:26.721+05:302009-06-05T06:29:26.721+05:30हमेशा की तरह जानकारियों से भरा आलेख। प्रशंसनीय।
स...हमेशा की तरह जानकारियों से भरा आलेख। प्रशंसनीय।<br /><br />सादर <br />श्यामल सुमन <br />09955373288 <br />www.manoramsuman.blogspot.com<br />shyamalsuman@gmail.comश्यामल सुमनhttps://www.blogger.com/profile/15174931983584019082noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-32217151229348116952009-06-05T06:27:41.239+05:302009-06-05T06:27:41.239+05:30घासलेटी साहित्य शब्द तो सुना था, लेकिन घासलेट की व...घासलेटी साहित्य शब्द तो सुना था, लेकिन घासलेट की व्युत्पत्ति का पता आपसे ही चला. इसी तरह ऑलिव का सम्बन्ध आइल से है, यह भी नई जानकारी थी. बहुत उम्दा आलेख. बधाई.डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/04367258649357240171noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-90897963342734282772009-06-05T05:40:31.588+05:302009-06-05T05:40:31.588+05:30मेंटल वाला पेट्रोमेक्स मुझे अभी तक याद है। छोटे बड...मेंटल वाला पेट्रोमेक्स मुझे अभी तक याद है। छोटे बड़े अवसरों पर इसे भाड़े पर लाया जाता था। बहुत ही नफासत से कारीगर इसे जलाता था। वह उस शाम का एक सम्माननीय व्यक्ति होता था।<br />कुतुहल मिश्रित प्रशंसा का भाव बच्चों के मन में रहता था और हम लोग उसके आस पास फतिंगों की तरह मँडराते रहते थे।<br />रेणु की एक बड़ी अच्छी कहानी भी इस पर है - 'पंचलाइट'।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-64451108770680053762009-06-05T05:22:01.878+05:302009-06-05T05:22:01.878+05:30घासलेटी साहित्य की अवधारणा ही बदल गयी । स्तुत्य हो...घासलेटी साहित्य की अवधारणा ही बदल गयी । स्तुत्य हो गया वह । आलेख मजेदार है ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.com